विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स से बचने के लिए सलाह दी है कि संक्रमण के जोखिम का सामना कर रहे पुरुषों को अपने सेक्स पार्टनर कम कर देने चाहिए.
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक बीमारी के 98 प्रतिशत मामले गे, बाइसेक्सुअल और पुरुषों के साथ सेक्स करने वाले दूसरे पुरुषों में पाए गए हैं.
संगठन के महानिदेशक तेदरोस अधनोम घेब्रेयासुस ने कहा है कि इस बीमारी के बढ़ते प्रसार को देखते हुए जिन लोगों को इसके संक्रमण का ज्यादा खतरा है, उन्हें अपनी सुरक्षा के इंतजाम कर लेने चाहिए.
उन्होंने कहा, "इसका मतलब है पुरुषों के साथ सेक्स करने वाले पुरुष अपने लिए और दूसरों के लिए सुरक्षित विकल्प चुनें. इसमें फिल्हाल अपने सेक्सुअल पार्टनरों की संख्य कम करना भी शामिल है."
घेब्रेयासुस ने कहा संक्रमित लोगों को खुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए और ऐसी जगह जाने से बचना चाहिए जहां करीब से शारीरिक संपर्क की गुंजाइश हो. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई नया सेक्सुअल पार्टनर चुनते हैं तो उन्हें संपर्क करने की जानकारी ले लेनी चाहिए.
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अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने पुरुषों के साथ सेक्स करने वाले पुरुषों को अपने पार्टनर कम करने की सलाह नहीं दी है. उसने बात इतना कहा है कि जिनके शरीर पर चकत्ते हों ऐसे लोगों के साथ स्किन-टू-स्किन संपर्क से बचें क्योंकि वो मंकीपॉक्स हो सकता है.
डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों ने जोर दे कर कहा कि यह बीमारी किसी संक्रमित व्यक्ति से करीब से संपर्क करने या उसके संक्रमित कपड़ों या चादर से भी फैल सकती है. संस्था ने चेतावनी दी है कि बीमारी बच्चों और गर्भवती महिलाओं जैसे कमजोर तबकों में ज्यादा गंभीर रूप से फैल सकती है.
अभी तक 75 से भी ज्यादा देशों में 19,000 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं. मौत के मामले सिर्फ अफ्रीका में दर्ज किए गए हैं.
संगठन के सलाहकार एंडी सील ने कहा कि विशेषज्ञों ने पता लगाया है कि मौजूदा ऑउटब्रेक "स्पष्ट रूप से सेक्स के दौरान" हुए संक्रमण से फैल रहा है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि विशेषज्ञ अभी इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं कि यह एक यौन रोग है या नहीं.
सीके/एए (एएफपी, एपी)
डब्ल्यूएचओ ने आगाह किया था इन 15 बीमारियों के खतरे से
डब्ल्यूएचओ ने 2018 में ऐसी 15 बीमारियों की सूची तैयार की थी जो महामारी की शक्ल ले सकती हैं. "मैनेजिंग एपिडेमिक" नाम से डब्ल्यूएचओ की सलाह को एक किताब की शक्ल भी दी गई. 21वीं सदी इनमें से कई बीमारियों को देख चुकी है.
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इबोला
कोविड-19 की तरह यह भी एक वायरस से फैलता है और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले लोग बीमार हो जाते हैं. इबोला के अधिकतर मामले अफ्रीका के गरीब इलाकों में देखे गए हैं.
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लस्सा बुखार
यह बुखार चूहों के कारण फैलता है. चूहों के मल या मूत्र के संपर्क में आने से इंसान बीमार हो सकता है. बीमार व्यक्ति के शारीरिक द्रव से यह दूसरों में फैल सकता है. बच्चों पर इसका ज्यादा बुरा असर होता है.
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सीसीएचएफ
क्रीमियन कॉन्गो हेमोरहेजिक फीवर उन परजीवियों के काटने से होता है जो इंसानों, जानवरों या पक्षियों के शरीर पर रह कर उनका खून चूस कर जीते हैं. यह बीमारी भी इंसानों से इंसानों में फैलती है. मृत्यु दर बहुत ज्यादा होती है.
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पीला बुखार
अर्बन येलो फीवर पीले बुखार की सबसे खतरनाक किस्म है. इस बीमारी का टीका विकसित किया जा चुका है. इस लिहाज से इसका खतरा बाकी बीमारियों की तुलना में कम है.
तस्वीर: Imago/Science Photo Library
जीका
जीका का बुखार एडीस मच्छर के काटने से होता है. यह मच्छर दिन में काटता है. गर्भवती महिलाओं में जीका होने से मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा होता है. इसका कोई टीका उपलब्ध नहीं है.
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चिकनगुनिया
यह बीमारी भी एडीस मच्छर के काटने से ही फैलती है. रिहाइशी इलाकों में इसके फैलने का खतरा ज्यादा होता है. इस बीमारी के लक्षण डेंगू जैसे होते हैं. भारत में हर साल इसके कई मामले सामने आते हैं.
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जानवरों से फैलने वाले फ्लू
इसमें एवियन और स्वाइन फ्लू शामिल हैं. 2009 में स्वाइन फ्लू को वैश्विक महामारी (पैंडेमिक) घोषित किया गया था. यह दुनिया भर में फैला था लेकिन कोरोना वायरस की तुलना में काफी कम मामले सामने आए थे.
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मौसमी फ्लू
यह हर साल मौसम बदलने के साथ होने वाला फ्लू है. यह वायरस के कारण होता है और इसकी दो किस्में होती हैं: ए और बी. बड़ी उम्र के लोगों को इससे बचने के लिए सालाना टीका लेने के लिए कहा जाता है.
अगर किसी ऐसे वायरस के कारण फ्लू होता है जिसके खिलाफ लोगों के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता का विकास नहीं हो पाता है तो वह वैश्विक महामारी की शक्ल ले सकता है. और बीमारी को समझने और टीका विकसित करने में काफी समय लग सकता है.
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मर्स
मिडल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम एक तरह के कोरोना वायरस के कारण होता है. यह बीमारी ऊंटों के कारण फैलती है. 2012 से 2015 के बीच यह बीमारी 24 देशों में फैली और 400 लोगों की जान गई.
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हैजा
साफ सफाई की कमी और गंदे पानी से हैजा फैलता है. इसमें बुखार नहीं होता. मरीज का पेट खराब होता है, दस्त के कारण कमजोरी होती है और कुछ मामलों में तो कुछ घंटों में ही जान चली जाती है.
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मंकी पॉक्स
यह उसी किस्म के वायरस के कारण फैलता है जिससे चेचक होता है. अपने नाम से विपरीत यह बंदरों से नहीं, चूहों के कारण फैलता है. जानवरों से इंसानों में पहुंचने के बाद इंसानों के बीच संक्रमण फैलने लगता है.
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प्लेग
यह छोटे जानवरों में मिलने वाले बैक्टीरिया से फैलता है. ज्यादातर चूहे इसके लिए जिम्मेदार होते हैं. प्लेग की सबसे आम किस्म है ब्यूबोनिक प्लेग जो इंसान से इंसान में नहीं फैलता है.
इस बीमारी के बारे में कम जानकारी के कारण अकसर डॉक्टर इसे पहचानने में गलती करते हैं. अगर वक्त रहते ही सही एंटीबायोटिक दिए जाएं तो इलाज मुमकिन है.
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मेनिंगनाइटिस
मेनिंगोकोकल मेनिंगनाइटिस दिमाग पर असर करता है. इस बीमारी का मृत्यु दर 50 प्रतिशत है. एंटीबायोटिक दे कर इसे रोका ना जाए तो यह दूसरों में भी फैल सकती है.