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मंगलमय जेठ के मंगल

१५ जून २०१३

ज्येष्ठ को आम भाषा में जेठ कहा जाता है. इस दिन से रिश्ता जोड़ गए अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह. नवाब ने इसे पर्व की तरह मनाया और पूरे लखनऊ की सड़कों पर भंडारे लगवा दिए. तब से ये परंपरा चली आ रही है.

तस्वीर: DW

देसी घी की पूड़ी सब्जी और हलवा से लेकर पेठा और बूंदी, चना, छोला चावल, इमरती, गजक- यह सब इन दिनों हर मंगलवार को लखनऊ की सड़कों पर मुफ्त मिलता है. रेडियो जॉकी राशि लोगों से सीधे जानने की कोशिश कर रही हैं कि कहां कितनी स्वादिष्ट पूड़ी सब्जी बनी है, वे खुद भी इस पुण्य को कमाने की बात कर रही है. कानपुर के व्यापारी अनिल अग्रवाल अपने काम से आए और अपनी होंडा सिटी रोक पूड़ी सब्जी खाने लगे. हंसते हुए बोले," माहौल देखा तो अपने को रोक नहीं सका."

इन भंडारों में कोई वेट कम करने के नुस्खे बांटता है तो लखनऊ में गरीब से गरीब भी भूखा नहीं सोता. सड़क किनारे लगने वाले खोमचे और खाने पीने का सामान बेचने वाले ठेले भी नहीं लगते, क्योंकि कौन खाए खरीद कर जब सब कुछ मुफ्त मिल रहा है.

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इतिहासकार योगेश प्रवीण कहते हैं कि अवध के हिंदू-मुस्लिम आपस में इतना घुले मिले हैं कि एक दूसरे के त्यौहार मनाना फख्र समझते हैं. नवाब मीर जाफर अब्दुल्लाह इसे लखनऊ की शान कहते हैं. कहते हैं कि दुनिया में ऐसी मिसाल कहां हैं कि मुसलमान मंदिर बनवाएं और हिंदू मस्जिद. लखनऊ के अलीगंज स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर का विशेष महत्व है क्योंकि उसे नवाब सादत अली खां की मां बेगम आलिया ने बनवाया था. अवध के नवाब शिया मुसलमान थे, इसलिए उस मंदिर पर अभी भी मोहर्रम पर निकलने वाले अलम में जैसा चांद तारा लगा होता है वैसा ही इस मंदिर पर लगा है.

बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय उमड़े भयानक सांप्रदायिक उन्माद में भी इसे किसी ने नहीं उतारा. मंदिर के पुजारी रमेश उपाध्याय इस बात पर मुस्कुराकर खामोश रह जाते हैं. हनुमान भक्त सोमवार की आधी रात से ही लंबी कतारों में खड़े हो जाते हैं ताकि मंगलवार की सुबह हनुमान जी के दर्शन कर सकें. मंदिर ट्रस्ट के मुख्य प्रशासक अनिल कुमार तिवारी कहते हैं कि दुनिया भर में हनुमान भक्तों के लिए यहां से आरती का प्रसारण किया जाता है. पहले जेठ के पहले मंगल को ही भंडारा लगता था, अब यह हर मंगल होने लगा. लखनऊ यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफसर सारस्वत कहते हैं कि उत्सवधर्मिता भारतीयों का विशेष गुण है.

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लखनऊ की हर गली मोहल्ले में हनुमान मंदिर हैं. दक्षिणमुखी, पंचमुखी, लेटे हनुमान, और न जाने कैसे कैसे हनुमान जी के मंदिर हैं. उनके भक्त भी खूब हैं. अनिल शर्मा एक दशक से उनके रंग से मिलते जुलते रंग के कपड़े पहन रहे हैं. कृष्ण कुमार हनुमान जी के ढाई हजार दुर्लभ चित्रों-मूर्तियों को संजोए हैं. उनके पास सन 1214 के हनुमान जी पर बने करीब डेढ़ दर्जन सिक्के भी हैं.

लखनऊ के पांचवे नवाब सादत अली खां की मां "जनाबे आलिया" ने अलीगंज के प्राचीन हनुमान मंदिर का निर्माण करवाया था. वो नवाब शुजाउद्दौला की बेगम थीं और शादी से पूर्व छतरकुंवर के राजपूत घराने की राजकुमारी थीं. इतिहासकार योगेश प्रवीण बताते हैं कि आसिफउद्दौला की मौत के बाद 1798 में सादत अली खां को अवध की गद्दी पर बिठाया गया. कुछ ही दिन में वे बुरी तरह से बीमार हो गए तो उनकी मां जो कभी खुद हनुमान भक्त रहीं थीं, उन्होंने मिन्नत मांगी कि बेटा ठीक हो गया तो वे हनुमान मंदिर बनवाएंगी. सादत खां सेहतमंद हुए तो उन्होंने मिन्नत पूरी करते हुए यह मंदिर बनवाया.

रिपोर्ट: एस वहीद, लखनऊ

संपादनः मानसी गोपालकृष्णन

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