पिछले 300 दिनों में मंगल का सफर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के वैज्ञानिकों के लिए उत्साह और चुनौतियों से भरा रहा. मिशन की शुरुआत हुई 5 नवंबर 2013 को जब श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रॉकेट ने उड़ान भरी और 44 मिनट बाद रॉकेट से अलग हो कर उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में आ गया.
7 नवंबर 2013 को मंगलयान की कक्षा बढ़ाने की पहली कोशिश सफल रही.
8 नवंबर को मंगलयान की कक्षा बढ़ाने की दूसरी कोशिश सफल रही.
9 नवंबर को मंगलयान की एक और कक्षा सफलतापूर्वक बढ़ाई गई.
11 नवंबर मंगलयान की कक्षा बढ़ाने की चौथी सफल कोशिश.
12 नवंबर मंगलयान की कक्षा बढ़ाने की पांचवीं कोशिश सफल रही.
16 नवंबर मंगलयान को आखिरी बार कक्षा बढ़ाई गई.
1 दिसंबर को मंगलयान ने सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा छोड़ दी और मंगल की तरफ बढ़ चला.
4 दिसंबर को मंगलयान पृथ्वी के 9.25 लाख किलोमीटर घेरे के प्रभावक्षेत्र से बाहर निकल गया.
11 दिसंबर को अंतरिक्षयान में पहले सुधार किए गए.
22 सितंबर को मंगलयान अपने अंतिम चरण में पहुंच गया. मंगलयान ने मंगल के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में प्रवेश कर लिया.
24 सितंबर को मंगल की कक्षा में प्रवेश करने के साथ ही मंगलयान भारत के लिए ऐतिहासिक पल लेकर आया. इसके साथ ही भारत पहली ही बार में मंगल मिशन में सफलता हासिल करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया.
भारत का मंगलयान 24 सितंबर को मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंच गया. इसी के साथ भारत पहला ऐसा देश बन गया है जिसने पहली ही बार में अपने यान को सफलतापूर्वक मंगल तक पहुंचा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Jagadeesh NVभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान इसरो के वैज्ञानिकों ने कहा कि मंगल की कक्षा में जाने की प्रक्रिया बिना किसी गड़बड़ी के हो गई. तरल इंजन के 24 मिनट के बर्न आउट के बाद यान कक्षा में स्थापित हो गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Jagadeesh NVप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस दौरान बैंगलोर में इसरो के वैज्ञानिकों के साथ थे. उन्होंने बधाई देते हुए कहा, "हमने इंसानी साहस और नवीनता की सीमा पार कर ली है. हमने अपने यान को एक ऐसे रास्ते पर भेजा जो बहुत कम लोगों को ही मालूम है. सभी वैज्ञानिकों और भारतीयों को बधाई."
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Jagadeesh NVमंगल पर यान भेजना कोई आसान काम नहीं है. अब तक आधी कोशिशें ही सफल हो पाई हैं. इसी के साथ भारत अमेरिका, रूस और यूरोप के साथ मंगल तक पहुंचने वाले शामिल हो गया है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Indian Space Research Organisationमंगलयान लाल ग्रह की सतह पर नहीं उतरेगा, बल्कि उसके आस पास चक्कर काटेगा और मंगल ग्रह के वातावरण पर शोध करेगा. इससे जीवन के लिए जरुरी मीथेन गैस के बारे में जानकारी मिल सकेगी.
तस्वीर: imago/United Archives1,350 किलोग्राम का मंगलयान अगले छह महीने लाल ग्रह के आस पास रहेगा और मंगल के बारे में आंकड़े जमा करेगा. इसमें पांच सौर पैनल लगे हैं जिससे यह ऊर्जा ले रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaनासा ने मार्स पर मंगलयान के पहुंचने का उसका स्वागत किया. भारतीय वैज्ञानिकों ने मंगल यात्रा के लिए कम इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक स्लिंगशॉट का इस्तेमाल किया.
तस्वीर: imago/Xinhuaनासा के मार्स क्यूरियोसिटी मिशन ने ट्विटर पर मंगलयान को बधाई देते हुए 'नमस्ते' लिखा. नासा का मेवन भी सोमवार को ही मंगल की कक्षा में पहुंचा है.
तस्वीर: Twitter2013 में पांच नवंबर को भारत ने मंगलयान को श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया था. भारत के वैज्ञानिकों के लिए यह मिशन बहुत अहम और गर्व करने वाला है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Indian Space Research Organisation
एसएफ/एएम (पीटीआई)