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मंगल का अनजाना पत्थर

Anwar Jamal Ashraf२४ जनवरी २०१४

लाल ग्रह पर अचानक एक पत्थर आ गया है, जिसने वैज्ञानिकों को परेशान कर दिया है. लग रहा है कि दो ब्रेड के बीच किसी ने जेली लगा रखी हो. यह पत्थर पहले मंगल ग्रह पर नहीं था. अब पता लगाने की कोशिश हो रही है कि यह आया कैसे.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 12 दिनों के अंतर पर एक ही जगह की दो तस्वीरें लीं. पहली तस्वीर में यह पत्थर नहीं दिख रहा था. दूसरी में यह साफ साफ दिख रहा है. तस्वीरें नासा के रोवर ने ली, जो करीब एक दशक से काम कर रहा है.

26 दिसंबर, 2013 की तस्वीर में इसका अता पता नहीं, जबकि आठ जनवरी, 2014 को यह दिख रहा है. मंगल ग्रह के रोवरों की जांच करने वाले स्टीव स्कवेयर का कहना है, "यह जेली लगे ब्रेडों की तरह दिख रहा है. बाहर से सफेद, अंदर से लाल." उन्होंने साफ किया कि यह कोई नर्म चीज नहीं है, "हमने अपने माइक्रोस्कोप से देखा है. यह पत्थर ही है." लेकिन यह ऐसा पत्थर है, जिसे पहले कभी नहीं देखा गया था.

नासा ने मंगल ग्रह की दो अलग अलग तस्वीरें जारी की हैंतस्वीर: picture-alliance/AP Photo

स्कवेयर का कहना है कि इस पत्थर का नाम "पिनेकल रॉक" रखा गया है और हो सकता है कि जब रोवर वहां चहलकदमी कर रहा था, तो कहीं मुड़ते वक्त इसने वहां बिछी विशाल पत्थर की परत को तोड़ दिया और उससे छिटक कर यह सामने आ गया. हालांकि वैज्ञानिकों को वह गड्ढा नहीं मिल रहा है, जहां से यह पत्थर निकला होगा. अनुमानों का दौर चल रहा है, "हो सकता है कि यह रोवर के किसी हिस्से से छिपा हो." अब रोवर को हिला डुला कर उस गड्ढे की तलाश की कोशिश हो रही है.

मंगल ग्रह पर अध्ययन करता रोवरतस्वीर: picture-alliance/dpa

लेकिन इसका रंग ऐसा क्यों है, स्कवेयर कहते हैं कि मानव आंखें ऐसी सतह को देख रही हैं, जो पहले कभी नहीं देखी गई, "ऐसा लगता है कि सामने आने से पहले यह पलट गया है. अगर ऐसा हुआ है, तो हम सिर्फ सतह देख रहे हैं. यानी पत्थर के अंदर का हिस्सा. ऐसा हिस्सा, जिसने करोड़ों साल से बाहरी वातावरण को नहीं देखा होगा." इस पत्थर में सल्फर, मैगनीशियम और मैगनीज दिख रहा है. अब इसे नापने का काम चल रहा है.

मंगल ग्रह की हर छोटी बड़ी चीज कौतूहल पैदा करती है. हाल के दिनों में मनुष्य इस लाल ग्रह के काफी पास पहुंचा है और इस वजह से भी कौतूहल बढ़ता है. भारत ने पिछले साल एक मंगलयान इस ग्रह की तरफ भेजा है, जो इस साल सितंबर तक वहां पहुंच जाएगा.

एजेए/आईबी (एएफपी)

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