बहुत पहले से ही इस बात की जानकारी है कि मंगल ग्रह पर बर्फ मौजूद है. लेकिन यह कहां और कितनी गहराई पर मौजूद है इसके बारे में जानकारी रिसर्चरों के लिए बहुत काम की साबित हो सकती है. ग्लेशियर की मौजूदगी के बारे में अमेरिकी विज्ञान पत्रिका साइंस ने खबर दी है.
भूमि में कटाव के कारण आठ ऐसी जगहें दिखाई पड़ी हैं जहां बर्फ मौजूद है. साइंस की रिपोर्ट में कहा गया है कि कई जगह पर तो यह सतह से महज एक मीटर नीचे ही है लेकिन दूसरी जगहों पर यह 100 मीटर की गहराई तक भी मौजूद है. जमीन के भीतर मौजूद चट्टान "विशुद्ध बर्फ" जैसे दिख रहे हैं. साइंस की यह रिपोर्ट 2005 में मार्स की टोह लेने भेजे गए ऑर्बिटर से लिए गए आंकड़ों पर आधारित है.
अमेरिका में एरिजोना के जियोलॉजिकल सर्वे से जुड़े भूवैज्ञानिक कॉलिन डुंडास का कहना है, "इस तरह की बर्फ जितना पहले सोचा गया था उससे कहीं ज्यादा दूर दूर तक फैली है." बर्फ में पट्टियां हैं और इनके अलग अलग रंगों से पता चलता है कि यह अलग अलग समय में परत दर परत जमा हुए हैं.
भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाते हुए मंगलवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से मंगल ग्रह के लिए मंगलयान प्रक्षेपित किया. मंगलयान पर और जानकारी तस्वीरों में..
तस्वीर: picture-alliance/APअपने ताजा मिशन के साथ भारत ने अपना तकनीकी कौशल साबित कर दिखाया है. इस अभियान के तहत मंगल ग्रह पर मीथेन की संभावना को तलाशा जाएगा. मीथेन को पृथ्वी पर जीवन के लिए अहम माना जाता है. सैटेलाइट लाल ग्रह पर विज्ञान प्रयोग करेगा साथ ही मंगल की सतह का अध्ययन करेगा.
तस्वीर: picture-alliance/dpaमंगल मिशन के लिए भारत ने करीब 450 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. यह बोइंग 787 के निर्माण पर होने वाली लागत का आधा हिस्सा है. अनौपचारिक तौर पर मिशन का नाम मंगलयान है. 300 दिन की यात्रा के बाद मंगलयान 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में प्रवेश करेगा. मंगल ग्रह तक जाने के लिए इसे करीब 78 करोड़ किलोमीटर का सफर तय करेगा.
तस्वीर: Getty Images/Afp/Sajjad Hussainमंगल मिशन में अगर भारत कामयाब होता है तो वह उन चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा जिन्होंने मंगल पर यान भेजा है. अब तक रूस, अमेरिका और यूरोप ने ही मंगल पर मिशन भेजा है. मिशन सफल होने पर भारत एशिया का पहला देश बन जाएगा.
तस्वीर: imago/Xinhuaमंगल पर पहुंचना आसान नहीं. दुनिया भर में अब तक 40 में 23 कोशिशें नाकाम साबित हुईं हैं. 1999 में जापान और 2011 में चीन का मिशन असफल रहा.
तस्वीर: picture-alliance/AP15 अगस्त, 2012 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान मंगलयान योजना की घोषणा की थी. यह घोषणा चीन और रूस की मंगल पर मिशन भेजने की असफल कोशिश के बाद की गई थी. जानकारों ने सवाल उठाए थे कि क्या दिल्ली और बीजिंग के बीच अंतरिक्ष की दौड़ शुरू हो रही है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaभारत सालाना एक अरब डॉलर अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम पर खर्च करता है. भारत ने अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत सैटेलाइट, संचार और रिमोट सेंसिंग तकनीक का विकास किया है जिसकी मदद से तटीय इलाकों में मिट्टी का कटाव, बाढ़ और वन्यजीव अभयारण्यों की देखरेख में सहायता मिलती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaभारतीय अंतरिक्ष एजेंसी 2016-17 में चांद पर दूसरा मिशन भेजना चाहती है. इसरो मानव को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रही है. सरकार से स्वीकृति का इंतजार है.
तस्वीर: picture-alliance/AP वैज्ञानिक मान रहे हैं कि बर्फ का निर्माण तुलनात्मक रूप से जल्दी ही हुआ है. क्योंकि इस जगह की सतह चिकनी है और उसमें गड्ढे नहीं दिख रहे हैं. ग्रहों पर अकसर देखा जाता है कि लंबे समय के दौर में खगोलीय कचरा गिरता रहता है जिससे सतह उबड़ खाबड़ और गड्ढों वाली बन जाती है.
बर्फ के ये चट्टान ध्रुवों के करीब हैं जो मंगल ग्रह पर सर्दी के दौरान गहरे अंधकार में डूब जाते हैं और इंसानों के लिए लंबे समय तक वहां शिविर बना कर रह पाना संभव नहीं होगा. हालांकि इन ग्लेशियरों का कुछ हिस्सा अगर वैज्ञानिक खोद सके तो वे मंगल ग्रह की जलवायु के और वहां जीवन की संभावना के बारे में काफी जानकारी जुटा सकेंगे.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा मंगल ग्रह पर अपना पहला मानव खोजी दल 2030 में भेजने की तैयारी कर रही है.
एनआर/एमजे (एएफपी)