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मंगल ग्रह पर प्रकाश का अद्भुत नजारा

जुल्फिकार अबानी
३० अप्रैल २०२२

मंगल ग्रह का चक्कर काट रहे, संयुक्त अरब अमीरात के एक अंतरिक्ष शोध यान- होप ने कुछ नायाब तस्वीरें खींची है. ये तस्वीरें प्रकाश की उन अनुपम और रंगीन छटाओं की हैं जिन्हें हम धरती पर ध्रुवीय ज्योति या ध्रुवीय आभा कहते हैं.

मंगल ग्रह पर मिली रोशनी की तस्वीरें स्तब्ध करने वाली हैं
मंगल ग्रह पर मिली रोशनी की तस्वीरें स्तब्ध करने वाली हैंतस्वीर: Emirates Mars Mission

दावा किया जा रहा है कि मंगल पर ऐसी रोशनी पहली बार देखी गई है. प्रकाश की इस जगमगाती लहर का आकार एक कृमि या कीड़े जैसा दिखता है और यह मंगल के आधे हिस्से पर बिखरी हुई है. पहली निगाह में ये लहर, धरती के उत्तरी गोलार्ध पर पड़ने वाले प्रकाश की छटाओं जैसी दिखती है. (इन्हें हम नॉदर्न लाइट्स कहते हैं और यूनानी भाषा में ये ऑरोर बोरियालिस के नाम से जानी जाती हैं.) हालांकि हैं ये साढ़े पांच करोड़ किलोमीटर दूर मंगल पर. जिन शोधकर्ताओं ने इस प्रकाशीय आभा की खोज की है उनका कहना है कि ये वाकई असाधारण - बल्कि "स्तब्ध कर देने वाली” खगोलीय घटना है.

इस ऑरोर यानी प्रकाश-आभा का चित्र, संयुक्त अरब अमीरात के मंगल अभियान (ईएमएम- अमीरात्स मार्स मिशन) के तहत भेजे गए अंतरिक्ष यान होप ने उतारा है.

जैसे ही होप मंगल की कक्षा में दाखिल हुआ, उसने ग्रह पर प्रकाश की इन छटाओं की तस्वीरें उतारना शुरू कर दिया. शोधकर्ताओं ने मूल योजना से अलग जाकर मंगल की इन अलग और खास किस्म की आभाओं पर और बारीकी से ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया.

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अमीरात के मंगल अभियान के प्रमुख वैज्ञानिक हेसा अल मात्रोशी ने एक बयान में कहा, "हम जानते थे कि हमने इस पैमाने पर पहले कभी संभव ना हो सकने वाले पर्यवेक्षणों के लिए नयी सामर्थ्य पैदा कर दी थी.”

अब करीब एक साल बाद, शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने "एक विशाल कृमि जैसी रंगीन छटा को लाल ग्रह के आधे हिस्से के ऊपर डोलता हुआ देखा है.” ऐसी छटा पहले कभी नहीं देखी गई थी.

होप ने मंगल ग्रह की कुछ शानदार तस्वीरें ली हैंतस्वीर: Mohammed bin Rashid Space Center/AP Photo/picture alliance

उन्होंने इसे नाम दिया है "साइनुउस डिस्क्रीट ऑरोर.” यानी सर्पीली लहरदार विशिष्ट आभा.

मंगल के वायुमंडल के बारे में बताती हैं प्रकाश छटाएं

मंगल के वायुमंडल का डाटा जमा करना, अंतरिक्षयान होप के मुख्य उद्देश्यों में से एक है. प्रकाश की इन छटाओं के अध्ययन से ये पता चल पाएगा कि मंगल का वायुमंडल, ग्रह के चुंबकीय क्षेत्रों और सौर पवन के साथ कैसे अंतःक्रिया करता है. यानी इन सब का एकदूसरे पर क्या प्रभाव पड़ता है.

शोधकर्ता कहते हैं कि वे एक ऐसा डाटा मुहैया कराना चाहते हैं जिससे अंतरराष्ट्रीय विज्ञान बिरादरी को मंगल का एक वैश्विक मौसमी नक्शा तैयार करने में मदद मिल सके. उसकी बदौलत ग्रह के मौसम चक्रों को समझा जा सकता है और वायुमंडल की अलग अलग परतों के बीच हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की आवाजाही को भी चिन्हित किया जा सकता है. 

अल मात्रोशी कहते हैं कि वे कमोबेश समूचे विश्व को स्कैन कर सकते हैं. इसके लिए "सिनोप्टिक स्नैपशॉट्स” लिए जाते हैं- ये वे तस्वीरें होती हैं जो ग्रह का मुकम्मल नजारा मुहैया कराती हैं. इसकी मदद से शोधकर्ता उन वायुमंडलीय घटनाओं की जांच करने में समर्थ हो पाएंगे.

अल मात्रोशी कहते हैं, "हम लोग इतने बड़े पैमाने पर और इतने तरीकों से खास किस्म की आभाओं को देख रहे हैं जिनका हमें पहले कभी अंदाजा ही नहीं था."

फिनलैंड में नॉर्दर्न लाइट्स का नजारातस्वीर: Lehtikuva/Irene Stachon/REUTERS

मंगल पर अन्य आभाएं

वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर पहले तीन किस्म की आभाओं या छटाओं की शिनाख्त की थी.

पहली हैं, बिखरी हुई विपुल छटाएं. ये पैदा होती हैं सघन सौर आंधियों की वजह से.

दूसरी हैं विशिष्ट आभाएं, होप अपने मिशन की शुरुआत से ही इनकी जांच करता आ रहा है. ये अलग तरह की छटाएं मंगल ग्रह की क्रस्ट यानी बाहरी परत में धंसे हुए, चुंबीकृत खनिजों से पैदा होती हैं.

बिखरी और विशिष्ट आभाएं मंगल के अंधेरे हिस्से मे देखी जा सकती हैं. ये ग्रह का वो हिस्सा है जो अपने तारे से उलट दिशा में है, और मंगल के मामले ये सूरज ही है- धरती का सूरज.

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तीसरी किस्म की आभाएं कहलाती हैं- प्रोटोन आभाएं. जो मंगल के उजाले वाले हिस्से (सूरज की ओर वाले हिस्से) से दिखती हैं.

प्रोटोन आभाएं लगता है मंगल की सौर पवन और उसके एक्सोस्फीयर (यानी ग्रह के वायुंमडल की सबसे बाहरी परत) में मौजूद हाइड्रोजन के आपसी प्रभाव से पैदा होती हैं.

अचंभित और स्तब्ध कर देने वाली आभा

और अब हमारे सामने है ये चौथी किस्म की आभा. जिसे नाम मिला है सर्पीली विशिष्ट आभा का.

शोधकर्ताओं का कहना है कि ये आभाएं, "ऊपरी वायुमंडल में ऊर्जित इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन की लंबी कृमि जैसी धारियों की बनी होती हैं.” और ये मंगल के अंधेरे हिस्से से लेकर उजले हिस्से तक हजारों किलोमीटर फैली हुई होती हैं.

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बर्कले स्थित कैलिफॉर्निया यूनिवर्सिटी से जुड़े रॉब लिलिस कहते हैं कि ये एक स्तब्ध करने वाली खोज है. लिलिस भी होप के मार्स अल्ट्रावायलट स्पेक्ट्रोमीटर की टीम का हिस्सा हैं. एक बयान में उन्होंने कहा, "हम अपने सर खुजा रहे हैं और हमने माथापच्ची शुरू कर दी है. हमारे पास विचार तो बहुत हैं लेकिन इस बात की कोई ठोस व्याख्या नहीं है कि इस आकार की और इतने बड़े पैमाने पर फैली हुई, इतनी गहन और प्रचंड आभाएं, हम क्यों देख पा रहे हैं. हमारे पास अब एक अवसर है कि हम पुराने पर्यवेक्षणों की फिर से जांच करें और यहां जो हो रहा है उसे खंगाल सकें."

अमीरात का मार्स मिशन किसी अरब देश का अपनी तरह का पहला अंतरिक्ष अभियान है. मंगल ग्रह पर उसके अलावा दो और अंतरिक्षयान 2020 में भेजे गए थे. इनमें से एक चीन का है. 

होप अंतरिक्षयान हर 55 घंटे में मार्स का एक चक्कर पूरा करता है और हर नौ दिन में पूरे ग्रह का डाटा जमा करता है. 

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