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मंगल यात्रा में ताकत खो देंगे अंतरिक्ष यात्री

२२ अगस्त २०१०

चांद की ज़मीन पर क़दम रखने के बाद नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने कहा था कि यह एक इंसान का एक छोटा सा क़दम, लेकिन मानवजाति के लिए एक महान क़दम है. जब इंसान मंगलग्रह पर क़दम रखेगा, तो वह कितना बड़ा क़दम होगा?

तस्वीर: AP/NASA

वैज्ञानिकों का कहना है कि अंतरिक्ष की लंबी यात्रा इतना कमज़ोर कर देती है, कि मंगलग्रह तक की यात्रा के दौरान अंतरिक्ष यात्री अपनी महत्वपूर्ण मांसपेशियों की आधी ताकत खो बैठेंगे. 30 से 40 साल तक की उम्र के अंतरिक्ष यात्री की ताकत अस्सी साल के एक व्यक्ति जैसी हो जाएगी.

अमेरिका के विसकोंसिन प्रदेश में मार्क्वेट विश्वविद्यालय के बायोलॉजिस्ट रॉबर्ट फिट्स के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने इस सिलसिले में खोज की है. इस सिलसिले में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन आईएसएस के 9 अमेरिकी और रूसी यात्रियों की पेशियों की जांच की, जिन्होंने स्पेस स्टेशन में 6 महीनों तक काम किया था.

क्या मंगल पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्री मांसपेशियों की ताकत खो देंगे...तस्वीर: picture-alliance/ dpa

यात्रा से पहले व उसके ठीक बाद लिए गए नमूनों के परीक्षण से पता चला कि वे अपनी पेशियों की 40 फ़ीसदी से अधिक ताकत खो बैठे थे. क्या यात्रा से पहले पेशियों की ताकत बढ़ाने से कोई फायदा होगा? नहीं, बात बिल्कुल उलटी है. जो जितने तगड़े थे, उनकी पेशियां उतनी ही कमज़ोर हुईं.

माना जाता है कि रॉकेट तकनीक के वर्तमान स्तर के चलते मंगल तक की यात्रा और वापसी में तीन साल लग जाएंगे. इस प्रकार वे अपनी पचास फ़ीसदी ताकत खो बैठेंगे. धरती तक वापसी के समय वे इस हद तक कमज़ोर हो चुके होंगे, कि आपात स्थिति की हालत में वे अंतरिक्ष यान से बाहर निकलने के काबिल नहीं रह जाएंगे.

क्या जीवन है मंगल परतस्वीर: AP

लेकिन फ़िट्स का कहना है कि इन परिणामों से मायूस नहीं होना चाहिए. मंगल ग्रह तक पहुंचना मानवजाति के लिए अगला मोर्चा है, जैसा कि 800 साल पहले पश्चिमी गोलार्ध तक पहुंचना था. उनका कहना है कि ऐसी यात्रा के बिना ब्रह्मांड की हमारी समझ अधूरी रहेगा.

रिपोर्टः उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादनः महेश झा

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