मंत्रियों समेत मैर्केल इस्राएल के दौरे पर
३१ जनवरी २०११तेल अवीव में विमान से उतरने के बाद चांसलर मैर्केल पूरे दल बल के साथ यरुशलम में प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंची जहां बेन्यामिन नेतन्याहु ने उनकी अगवानी की. मैर्केल के साथ 10 मंत्रियों का समूह गया है. इस तरह से फिलहाल जर्मनी की आधी सरकार यरुशलम में है. जर्मन चांसलर समेत ये सभी मंत्रियों ने इस्राएली कैबिनेट के साथ संयुक्त रूप से बैठक की. यूरोप के बाहर इस्राएल पहला ऐसा देश है जिसके साथ जर्मन कैबिनेट संयुक्त रूप से संसदीय कार्यवाई में शामिल हुए. जर्मन चांसलर आज रात प्रधानमंत्री के दिए राजकीय भोज में शामिल होंगी.
जर्मन चांसलर का ये दौरा ऐसे समय में हो रहा है. जब एक तरफ मिस्र अशांत है तो दूसरी तरफ मध्यपूर्व शांति वार्ता पटरी से उतर गई है. अरब देशों में जॉर्डन के अलावा मिस्र इकलौता ऐसा देश है जिसके इस्राएल के साथ कूटनीतिक संबंध हैं. जाहिर है दोनों देशों के बीच आज की बातचीत में इन मुद्दों पर चर्चा होगी. उम्मीद की जा रही है की जर्मन चांसलर इस्राएल सीमा विवाद सुलझाने के लिए बातचीत शुरू करने को कहेंगी. इसके साथ ही इस्राएल की बस्तियां बसाने की नीति पर जर्मन सरकार की असहमति पर भी चर्चा होगी.इसके साथ ही दोनों देश अपराध, आतंकवाद, पर्यावरण में बदलाव, और युवाओं के मामले में आपसी सहयोग से जु़ड़े कई समझौतों पर दस्तखत करेंगे. इसके अलावा लेबनान में राजनीतिक बदलाव, मिस्र, और ईरान पर भी दोनों देशों के नेता चर्चा करेंगे.
मंगलवार को जर्मन चांसलर इस्राएली राष्ट्रपति शिमोन पेरेज और विपक्षी नेता त्सिपी लिवनी और इस्राएल के कारोबारियों से मुलाकात करेंगी. इसके बाद वो सुरक्षा मामलों पर एक कांफ्रेंस को भी संबोधित करेंगे. मंगलवार को तेल अवीव यूनिवर्सिटी चांसलर मैर्केल को मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित करेगी.
जर्मन इस्राएल संबंध
दोनों देशों के बीच तीन साल पहले साल में एक बार संयुक्त रूप से बैठक करने पर सहमति बनी थी. कैबिनेट की ये बैठक इस तरह की तीसरी बैठक है. इससे पहले मार्च 2008 में जब मैर्केल ने इस्राएल का दौरा किया था तब इस्राएल की स्थापना के साठ साल पूरे हुए थे. इस मौके पर इस्राएली संसद में मैर्केल ने दिए अपने ऐतिहासिक भाषण में यहूदी राष्ट्र बनाने की बात कही थी. मैर्केल ने तब संसद में कहा था, "जर्मनी के कंधे पर इस्राएल और उसकी सुरक्षा की खास ऐतिहासिक जिम्मेदारी है." दोनों देशों के बीच दूसरी बैठक पिछले साल जर्मनी में हुई थी तब होलोकॉस्ट के 65 साल बीतने पर चर्चा हुई. जर्मनी और इस्राएल के बीच कई सालों की चर्चा के बाद 1965 में सहमति बनी. इस सहमति में जर्मनी दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान यहूदियों की जब्त की गई संपत्ति को लौटाने पर भी राजी हो गयी. इसके बाद से ही दोनों देशों के रिश्ते लगातार मजबूत हो रहे हैं. इस्राएल जर्मनी को यूरोप में अपना सबसे मजबूत साथी मानता है. जर्मनी इस्राएल का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारीक साझेदार है. पिछले साल इस्राएल ने करीब 4.6 अरब अमेरिकी डॉलर का सामान जर्मनी से आयात किया जबकि निर्यात की जाने वाली चीजों की कीमत लगभग 1.7 अरब डॉलर थी.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः ईशा भाटिया