मंथन में इस बार
१८ दिसम्बर २०१५कोई भी जो कभी बीमार हुआ हो, समस्याओं से वाकिफ है. डॉक्टर व्यस्त रहते हैं, अप्वाइंटमेंट नहीं मिलता या वेटिंग रूम खचाखच भरा होता है, लंबा इंतजार करना पड़ता है. भविष्य में हालात बदल सकते हैं, टेलीमेडिसिन की मदद से. मरीजों के टेस्ट नतीजों को भेजने के लिए इंटरनेट के इस्तेमाल से हर बार रूटीन टेस्ट की जरूरत नहीं रहेगी.
जीपीएस तकनीक
स्मार्टफोन का जीपीएस यानि ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम, उपग्रहों से मिलने वाले सिग्नल की मदद से हमें किसी जगह का पता बताता है. पहले केवल सैन्य गतिविधियों में इस्तेमाल होने वाली इस तकनीक को आम लोगों के इस्तेमाल के लिए सन 2000 में लाया गया. आईए देखें कि पृथ्वी का चक्कर लगाते हुए, अपने पल पल की स्थिति की सूचना देते उपग्रहों का जीपीएस सिस्टम कैसे काम करता है.
प्लास्टिक हटाओ
दुनिया भर के सागर कूड़े से भरते जा रहे हैं. 2010 में 80 लाख टन प्लास्टिक कचरा बहकर समुद्र में गया. 2020 तक यह बढ़कर 8 करोड़ टन हो जाने का अंदेशा है. कारण यह है कि हम अब भी प्लास्टिक के कचरे को सही तरह से निपटाने के सुझावों पर ध्यान नहीं दे रहे. हॉलैंड में एम्स्टर्डम का उदाहरण दिखाता है कि लोग नदी में प्लास्टिक फेंकने से बाज नहीं आते.
साओला की खोज
1990 के दशक तक वैज्ञानिकों को लगता था कि उन्होंने दुनिया के सभी स्तनधारी जीव खोज लिए हैं. लेकिन यह दावा गलत निकला. वियतनाम और लाओस के घने जंगलों में आज भी एक ऐसा दुर्लभ जीव रहता है जिसकी सिर्फ तस्वीरें ही हैं. बीते 22 साल से रिसर्चर अस्तित्व की लड़ाई लड़ते इस जीव की एक झलक पाना चाहते हैं.
उड़ते मशीनी परिंदों का खेल
बहुत पहले की बात नहीं है जब ड्रोन को सिर्फ मिलिट्री के ही साथ जोड़ कर देखा जाता था. लेकिन पिछले कुछ वक्त में ड्रोन आम लोगों की पहुंच में आ गए हैं. हालांकि ये सेना के सैटेलाइट से चलने वाले प्लेन नहीं हैं, बल्कि बैटरी लगे हुए छोटे से क्वॉडकॉप्टर होते हैं जिन्हें रिमोट से कंट्रोल किया जाता है. इन पर कैमरा लगा कर कभी पहाड़ों की, तो कभी नदियों की बेहतरीन तस्वीरें अब कोई भी ले सकता है. इनका ऐसा चलन चला है कि कई जगह ड्रोन वाले मुकाबले भी होने लगे हैं.
ओएसजे/आरआर