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"मंथन है छात्रों के लिए खास"

५ अप्रैल २०१३

पिछले हफ्ते के मंथन पर पाठकों ने हमें कुछ प्रतिक्रियाएं भेजी है. और हां, कल फिर से नई जानकारियों के साथ ला रहे हैं हम मंथन का अगला एपिसोड, देखना न भूलिएगा...

तस्वीर: Prabhakar Mani Tiwari

दिल्ली में छात्र जीवन में टीवी जैसे संसाधन सुलभ नहीं होते, इसलिए आज जब मुझे अपने घर पर मंथन देखने का मौका लगा तो सब कुछ छोड़कर इसे देखना अच्छा लगा. पूरा कार्यक्रम मजेदार था लेकिन अभिजीत जी विषय को ठीक ढंग से समझा नहीं पाए. शेष कार्यक्रम बहुत अच्छा था, यह छात्रों के लिए विशेष लाभकारी है. अंत में मैं आपसे बस एक निवेदन करना चाहता हूं कि कृपया इसे अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड कर दिया करें.
अमित, भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली

डीडब्ल्यूः अमित जी यू ट्यूब पर आप हमारे मंथन के वीडियो देख सकते हैं. ये है हमारी लिंक http://youtu.be/h0fU5FbsFqA . यहां क्लिक करने के बाद आपको डॉयचे वेले हिन्दी के मंथन सहित सभी वीडियो मिल सकेंगे.

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ज्ञानवर्धक, रोचक, ताज़ा जानकारी से भरा हिन्दी वेबसाइट का हर विभाग, साथ ही साप्ताहिक टीवी शो 'मंथन' के बारे में जितना भी कहूं उतना ही कम होगा. डॉयचे वेले हिन्दी की उपस्थापना तारीफ के काबिल है. समुद्र में तेल फैलने से पैदा हुआ संकट और पर्यावरण के ऊपर इसका असर दोनों विषयों की तस्वीरों भरी जानकारी अच्छी लगी. आपके वेबपेज पर 'जर्मनी को जानिए' शीर्षक में "हाइवे की कहानी" में दी गई जानकारी भी काफी रोचक थी.

सुभाष चक्रबर्ती, नई दिल्ली

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

राजू श्रीवास्तव से आपकी वार्ता बहुत ही मनोरंजक लगी. डीडब्ल्यू श्रोताओं को सुनाया गया उनका चुटकुला आज की अवसरवादी राजनीती पर कडा प्रहार था. होली के अवसर पर प्रस्तुत लेख पसंद आया. निश्चय ही प्राचीन और आधुनिक होली में काफी अंतर आ गया है. कहा जाए तो अब यह पर्व वाद-विवाद का प्रतीक बन गया है.

हरीश चन्द्र शर्मा, हसनपुर, जिला अमरोहा, उत्तर प्रदेश

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हमें मंथन कार्यक्रमों से पता चलता है कि जर्मनी कैसे अपने समाज की बेहतरी के लिए नई नई टेक्नोलोजी का प्रयास करता रहता है. वास्तव में आप लोग बहुत ही अच्छा काम कर रहे हैं. अब मुझे पता चला क्यों मेरा दोस्त साजिद धातुविज्ञान शोध के लिए जर्मनी गया.

ए खान, बोकारो स्टील सिटी, झारखंड

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मंथन आज के युवा के लिए फेसबुक पर रह कर दुनिया की सारी जानकारी जानने का एक जरिया है. जहां किताबों की जरुरत नहीं पड़ती और छात्र बड़ी आसानी से नई बातें सीख जाते है. महत्वपूर्ण जानकारियां देने के लिए मंथन की टीम का बहुत बहुत धन्यवाद.

आतिश काम्बले, नाशिक रोड, महाराष्ट्र

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संकलनः विनोद चड्ढा

संपादनः आभा मोंढे

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