रात को अगर ठीक से नींद ना आए, तो अगला पूरा दिन बेकार जाता है. दफ्तर में ठीक से काम नहीं हो पाता, हर वक्त थकान महसूस होती है. फिर चाहे आप नींद भगाने के लिए जितनी भी चाय कॉफी पी लें, कोई फायदा नहीं होता. आखिर नींद हमारे लिए इतनी जरूरी क्यों है? इस पर वैज्ञानिकों ने कई रिसर्च कीं और नींद पूरा करने के लिए विकल्प तैयार किए. नींद हमारे लिए कितनी जरूरी है, यह बात अब बड़ी बड़ी कंपनियां भी समझने लगी हैं. अमेरिका में गूगल ने अपने दफ्तर में लोगों के लिए नैप-पॉड्स लगाए हैं. ये छोटे से बिस्तर हैं, जैसे एयरपोर्ट पर आराम करने के लिए लगे होते हैं. फर्क इतना है कि इनमें ऊपर एक बड़ा सा गोला बना होता है, जिससे अंधेरा हो जाता है और आप आराम से पावर नैप ले सकते हैं. मंथन में इस बार मिलिए बर्लिन की एक बैले डांसरों से जिन्हें व्यस्त दिनचर्या के बीच नींद पूरा करने का मौका नहीं मिलता. जानिए क्या व्यवस्था की गई है उनके लिए.
शरीर में कुदरती तौर पर फैट यानि चर्बी को जलाने की क्षमता होती है. कई शोधों से पता चला है कि जब हम सोते हैं तब भी ये काम चलता रहता है. देखिए फैट जलाने की इस प्रक्रिया को और तेज कैसे किया जाए.
तस्वीर: picture-alliance/chromorange'द स्मॉल चेंज डायट' के लेखक केरी गैन्स बताते हैं कि अगर आप सुबह फूले हुए पेट के साथ नहीं उठना चाहते तो रात के भोजन में सोडियम की मात्रा घटाइए. इसके लिए भोजन हल्का लें और उसमें भी उबली हुई सब्जियां, कम नमक और आसानी से पचने वाले प्रोटीन खाएं.
तस्वीर: Werner Heiber/Fotoliaजी हां, अगर आपको भी लगता है कि देर शाम खेलकूद या व्यायाम करने से आपको रात को नींद नहीं आएगी तो ये धारणा मन से निकाल दें. नेशनल स्लीप फाउंडेशन के 2013 के सर्वे में पाया गया कि ऐसा करने वाले 56 से 67 फीसदी लोगों को रात में बहुत अच्छी नींद आई.
तस्वीर: shoot4u/Fotoliaआमतौर पर किसी रेस्तरां के खाने में घर के खाने के मुकाबले दोगुनी कैलोरी होती हैं. अगर वजन कम करना चाहते हैं तो रोजाना कम कैलोरी का भोजन भी करना होगा. दोपहर का खाना घर पर खाएं या घर से लंचबॉक्स पैक कर के दफ्तर ले जाएं.
तस्वीर: Fotoliaपानी पूरे पाचन तंत्र को सुचारू ढंग से चलाने के लिए जरूरी है. लेकिन शरीर में देर तक पानी इकट्ठा रखना भी ठीक नहीं. ना ही कभी मूत्र को देर तक रोकना चाहिए. रात में सोने से कम से कम एक घंटा पहले पानी पीना बंद कर दें.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/mm-imagesअंधेरे में शरीर में मेलाटोनिन बनता है जो कि एक बढ़िया एंटीऑक्सिडेंट है. इसके कारण नींद भी अच्छी आती है और अच्छी नींद से शरीर में मेटाबोलिज्म तेज होता है. जब खाना अच्छी तरह पचता है तो आपको देर तक संतुष्ट रखता है और बार बार स्नैक्स खाने का मन नहीं करता.
तस्वीर: Colourboxगर्मी से तुरंत फैट गलाने वाले तरीकों के बारे में तो आपने सुना ही होगा. लेकिन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने पाया कि जो लोग 18 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले कमरे में सोए उन्होंने 23 डिग्री में सोने वालों के मुकाबले 7 कैलोरी अधिक जलाई.
तस्वीर: Colourbox
जानलेवा प्रदूषण
गंदी हवा सेहत को नुकसान पहुंचाती है, यह बात पहले से ही पता थी, लेकिन जर्मनी में एक नई स्टडी में पहली बार सामने आया है कि प्रदूषित हवा से कितने लोगों की जान जाती है. यदि जहरीली गैसों को रोका नहीं गया तो 2050 तक स्मॉग से मरने वालों की तादाद दोगुनी हो सकती है. एक विशेष रिपोर्ट के साथ समझेंगे कि कितना नुकसान पहुंचा रही है गंदी हवा और इससे कैसे बचा जाए.
कोस्टा रिका में पर्यावरण रक्षा
कोस्टा रिका के बारे में कहा जाता है कि वह पर्यावरण के लिए सबसे ज्यादा जागरूक देशों में से एक है. उसने गैर फौसिल ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ाया है और जंगलों की रक्षा का रास्ता साफ किया है. लेकिन पर्यावरण संरक्षण पर खर्च होता है और लोगों को इसके लिए राजी भी करवाना पड़ता है. मंथन में शामिल है खास रिपोर्ट.
हमारे पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान कारें पहुंचा रही हैं, खासकर डीजल कारें. चलिए देखते हैं कि हमें मंजिल तक पहुंचाने वाले साधन पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचा रहे हैं.
तस्वीर: AFP/Getty Images/S. Khanएक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में एक अरब से ज्यादा कारें हैं. औसत देखा जाए तो कार प्रति किलोमीटर 48 ग्राम पीएम10 और 30 ग्राम सल्फर ऑक्साइड छोड़ती है. अकेली कार के हिसाब से यह बहुत ज्यादा नहीं, लेकिन जब बात एक अरब कारों की हो, तो यह प्रदूषण विकराल हो जाता है.
तस्वीर: AFP/Getty Images/S. Khanअकेले उत्सर्जन के लिहाज से पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान हवाई जहाज पहुंचाते हैं. एक हवाई जहाज एक किलोमीटर की यात्रा में औसतन 350 ग्राम से ज्यादा सीओटू छोड़ता है. यही कारण है कि अब हवाई जहाजों को बायो फ्यूल और सौर ऊर्जा से उड़ाने की कोशिश हो रही है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Marius Beckerभारत के कुछ शहरों में सीएनजी से चलने वाली बसें पर्यावरण को बहुत कम नुकसान पहुंचाती हैं. लेकिन भारत समेत दुनिया भर में अब भी ज्यादातर बसें डीजल से चलती हैं. डीजल बस प्रति किलोमीटर 4 ग्राम सीओटू, 10 ग्राम पीएम10 और पांच ग्राम सल्फर ऑक्साइड छोड़ती हैं.
तस्वीर: AFP/Getty Images/P. Singhबिजली से चलने वाली रेलगाड़ियां बहुत कम ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करती हैं. हालांकि डीजल और कोयले से चलने वाली ट्रेनों के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता. और अभी भी बहुत सी रेलगाड़ियां डीजल और कोयले से चल रही हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/D. Reinhardtभारत समेत एशिया के कई देशों में अच्छे सार्वजनिक परिवहन के अभाव में बड़ी संख्या में लोग दोपहिया वाहनों का इस्तेमाल करते हैं. अकेला दोपहिया वाहन कम प्रदूषण करता है, लेकिन इनकी विशाल संख्या पर्यावरण को खासा नुकसान पहुंचा रही है.
तस्वीर: DW/K. Prabhakarपर्यावरण और सेहत के लिहाज से यह सबसे अच्छी सवारी है. इसके लिए किसी ईंधन की जरूरत नहीं पड़ती, न ही ये धुआं छोड़ती है. नीदरलैंड्स के शहरी इलाकों में 70 फीसदी लोग साइकिल का इस्तेमाल करते हैं.
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रोशनी का डिजायनर
रोशनी के लिए बल्ब का इस्तेमाल अब बीते दिनों की बात हुई. अब तो कमरे को रोशन करने के लिए बल्बों की श्रृंखला लगाई जाती है, अलग अलग ताकत के बल्ब लगाकर रोशनी डिजायन की जाती है. मंथन में मिलिए इसके माहिर आंद्रेयास शुल्स से जिनकी कंपनी को पिछले साल जर्मनी का लाइट डिजायन पुरस्कार मिला है.
देखना ना भूलें, मंथन, शनिवार सुबह 11 बजे डीडी नेशनल पर.
जर्मन शहर उन्ना का अंतरराष्ट्रीय रोशनी आर्ट म्यूजियम दुनिया का पहला और अकेला ऐसा म्यूजियम है जो रोशनी की कला को समर्पित है. इस कला को एक पुरानी ब्रुअरी के तहखाने में बने कमरों में दिखाया जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa1979 में बंद हुई ब्रुअरी लिंडेन के तहखाने में एक खास म्यूजियम बनाया गया. तहखाने की गलियों और कमरों में कलाकारों ने अपनी खास कलाएं लगाईं हैं. एक दर्शनीय कला है कीथ सोनियर का लाल और नीले पाइपों वाला "आंसुओं का टनल".
तस्वीर: www.frankvinken.comभूमिगत म्यूजियम हजारों वर्गमीटर में फैला है. इसके कमरे दूसरे म्यूजियमों के आम सफेद कमरों जैसे नहीं हैं. ये अभी भी पहले की ही तरह दिखते हैं. दीवारें नम हैं, हीटिंग की कोई व्यवस्था नहीं. अंधेर में रोशनी लाने का काम कलाकार यान फॉन मुंस्टर का लाइट इंस्टॉलेशन करता है.
तस्वीर: www.frankvinken.comजेम्स टुरेल की दो कलाकृतियां उन्ना के इस म्यूजियम में हैं. अपना इंस्टॉलेशन लगाने वे एरीजोना से उन्ना आए. दर्शक "फ्लोटर 99" में आ सकते है. इंस्टॉलेशन का आउटलाइन नीले लाल रंग में समाता दिखता है और प्रदर्शनी देखने आए लोग अपने आस पास फैली रोशनी में खो से जाते हैं.
तस्वीर: www.frankvinken.comरोशनी की कला के पायनियर जेम्स टुरेल का यह इंस्टॉलेशन ऐसे कैमरे की याद दिलाता है जिसमें घुसा जा सकता है. इसके दो हिस्से हैं. पहले कमरे में रोशनी एक छोटी सी लेंस से होकर सतह पर उतरती है. दूसरे कमरे स्काईस्पेस में कृत्रिम और प्राकृतिक रोशनी मिलकर खासकर तरह की छटा तैयार करती है.
तस्वीर: www.frankvinken.comफ्रांसोआ मोरले ने अपने इंस्टॉलेशन "नो एंड नियोन" के लिए एक पुराना कोल्ड स्टोरेज चुना है. वहां उन्होंने दीवार पर 9 नियोन की लाइटें अलग अलग कोनों में लगाई है. लाइट के ट्यूब लोगों के हलचल के साथ प्रतिक्रिया दिखाते हैं और कमरा कहीं ज्यादा रोशनी वाला, तो कहीं कम रोशनी वाला दिखता है.
तस्वीर: www.frankvinken.comरेबेका हॉर्न जर्मनी के प्रसिद्ध लाइट कलाकारों में शामिल हैं. अपने इंस्टॉलेशन लोटस का साया के लिए उन्होंने जो कमरा चुना है वह भूजलस्तर के नीचे है. समुद्री पौधों की तरह तांबे के लैंप की रोशनी में नहाए पत्ते एक दूसरे में समाते नजर आते हैं. नम दीवार पर रोशनी के छोटे द्वीप बनते हैं.
तस्वीर: www.frankvinken.comक्रिस्टियान बोल्टांस्की अंधेरे के डर से खेलते हैं. एक ढांचे पर डायन और राक्षसों के पुतले हैं, जब उन पर रोशनी डाली जाती है तो उनकी डरावनी छाया दीवारों पर नाचती दिखती है. बोलटांस्की अपने बचपन की यादों से निबट रहे हैं. उनके यहूदी पिता नाजी नरसंहार के दौरान मारे गए थे.
तस्वीर: www.frankvinken.comपहले इन बेसीन में बीयर बनती थी. धुनों की कलाकार क्रिस्टीना कूबिश बेसीन के पेंदों में 172 लाउडस्पीकर लगाकर पुराने दिनों की याद दिलाना चाहती हैं. काली लाइट को रोशन कर उन्होंने रोशनी की बूंदों को कतारों में ढाल दिया है, जो जमीन से निकल कर तैरती नजर आती हैं.
तस्वीर: www.frankvinken.comप्राकृतिक घटनाओं के साथ परीक्षण करना ओलाफुर एलियासोन का खास इलाका है. डेनमार्क के कलाकार कला और विज्ञान को करीब लाने के लिए विख्यात हैं. दर्शक एक रैंप से होकर गुजरता है और उसके दाईं और बाईं ओर पानी गिरने की आनाज आती है.
तस्वीर: www.frankvinken.comऑस्ट्रिया की ब्रिगिटे कोवांत्स ने उन्ना में प्रकाश और समय के रिश्ते को अपने इंस्टॉलेशन का विषय बनाया है. उन्ना में लिंडेन ब्रुअरी के गेट पर चमक रहा है प्रकाशगति 11.5 एम जो 19 नियोन अंकों से बना है. यह उन कुछेक कृत्तियों में शामिल है जिन्हें जमीन के ऊपर भी देखा जा सकता है.
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