मंदिर में नमाज पढ़ने के आरोप में फैसल खान गिरफ्तार
३ नवम्बर २०२०![Indien Mathura Hinduismus Tempel Khudai Khidmatgar](https://static.dw.com/image/55480981_800.webp)
फैसल खान को यूपी पुलिस ने दिल्ली के जामिया नगर से गिरफ्तार किया. इस मामले में चार लोगों पर केस दर्ज किया गया है. इन लोगों पर आरोप है कि 29 अक्टूबर को मथुरा के नंद बाबा मंदिर में आए थे और मंदिर के सेवायतों को गुमराह करके मंदिर परिसर में नमाज पढ़ी. इस मामले में आईपीसी की धारा 153A, 295, 505 के तहत बरसाना थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी.
एफआईआर मंदिर प्रशासन की ओर से नमाज पढ़े जाने के दो दिन बाद दर्ज कराई गई. एफआईआर में कहा गया है कि सोशल मीडिया पर ऐसी फोटो डालने से हिन्दू समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं और आस्था को गहरी ठेस पहुंची है. मंदिर के एक सेवादार ने बताया कि ये चारों लोग मंदिर में दर्शन करने के उद्देश्य से आए थे और इसके लिए उन्होंने अनुमति भी ली थी लेकिन बाद में जब नमाज पढ़ते हुए तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने लगीं तो हमारे समाज के लोगों ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई.
धोखे से नहीं पढ़ी नमाज
हालांकि गिरफ्तारी से पहले फैसल खान ने मीडिया से बातचीत में इस बात से साफ इनकार किया था कि उन लोगों ने धोखे से नमाज पढ़ी थी. फैसल खान का कहना था कि उन्होंने अपने एक अन्य साथी चांद मुहम्मद के साथ सबके सामने नमाज पढ़ी और उस वक्त मंदिर के कुछ सेवादार समेत कई लोग मौजूद थे. फैसल खान का कहना था कि दो दिन बाद अचानक एफआईआर दर्ज कराए जाने से वो खुद भी हैरान हैं क्योंकि धार्मिक मामलों पर मंदिर के पुजारी से काफी चर्चा हुई थी और वो खुद भी हम लोगों से काफी प्रभावित हुए थे.
फैसल खान दिल्ली स्थित एक संस्था खुदाई खिदमतगार से जुड़े हैं और यह संस्था सांप्रदायिक सौहार्द के लिए काम करती है. संस्था के प्रवक्ता पवन यादव कहते हैं, "खुदाई खिदमतगार के राष्ट्रीय संयोजक फैसल खान 24 से 29 अक्टूबर तक कृष्ण की पवित्र भूमि ब्रज पर अपनी पांच दिवसीय यात्रा पर थे. वह गोवर्धन की प्राचीन चौरासी कोसी यात्रा में भाग ले रहे थे. अपनी यात्रा में उन्होंने कई लोगों के साथ-साथ विभिन्न मंदिरों के पुजारियों से मुलाकात की. अपनी यात्रा के अंतिम दिन फैसल खान ने 'नंद बाबा' के पवित्र मंदिर का दौरा किया. दोपहर में नमाज के लिए उन्होंने वहां मौजूद लोगों से किसी जगह के बारे में पूछा तो लोगों ने उन्हें यह कहकर मंदिर परिसर में ही प्रार्थना करने की अनुमति दी कि आप पहले से ही भगवान के घर में हैं इसलिए आपको कहीं और जाने की क्या आवश्यकता है.”
48 वर्षीय फैसल खान यूपी के फर्रुखाबाद जिले के रहने वाले हैं और उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर काम करना शुरू कर दिया. पढ़ाई के दौरान ही वे मेधा पाटकर और मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टर संदीप पांडेय जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ जुड़ गए. कई साल पहले उन्होंने डॉक्टर संदीप पांडेय के साथ दिल्ली से लाहौर तक की पदयात्रा भी की थी.
खुदाई खिदमतगार संस्था
पवन यादव बताते हैं कि साल 2011 में फैसल खान ने खुदाई खिदमतगार संगठन को पुनर्जीवित किया जिसे साल 1929 में आजादी आंदोलन के दौरान खान अब्दुल गफ्फार खान ने खड़ा किया था. इस संगठन के जरिए फैसल खान और उनसे जुड़े लोग आए दिन सांप्रदायिक सौहार्द और सद्भावना का संदेश देने के लिए तमाम कार्यक्रम आयोजित करते हैं.
दिल्ली के जामिया नगर इलाके में फैसल खान का घर ‘सबका घर' नाम से जाना जाता है और विभिन्न धर्मों के लोग न सिर्फ यहां एक साथ रहते हैं बल्कि अपनी पूजा पद्धतियों का भी अनुसरण करते हैं. फैसल खान के साथ ही पेशे से चिकित्सक डॉक्टर कुश कुमार सिंह भी रहते हैं. कुश कुमार बताते हैं, "हम लोग मिल-जुलकर होली, दीवाली, ईद, क्रिसमस, बैसाखी जैसे सभी पर्व मनाते हैं. सबका घर में हम सभी मिल-जुलकर रहते हैं और लोगों को यही संदेश देने की कोशिश करते हैं कि एक जगह रहकर, अपने धर्म का पालन करते हुए मेल-जोल से रहा जा सकता है.”
फैसल खान की गिरफ्तारी की कई समाजवादी नेताओं और विचारकों ने आलोचना भी की है. मध्य प्रदेश में विधायक रह चुके समाजवादी नेता डॉक्टर सुनीलम कहते हैं, "इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता. एक ऐसी शख्सियत, जो साम्प्रदायिक सद्भावना बढ़ाने के लिए दिन-रात काम कर रहा हो, जिसको कई हिन्दू धर्म गुरुओं से लेकर प्रतिष्ठित आईटीएम विश्वविद्यालय द्वारा पुरस्कृत किया गया हो, जिसने सबका घर बनाकर सभी धर्मों, जातियों के लोगों के लिए साथ रहने और खाने की व्यवस्था शुरू की हो, जो घोषित गांधीवादी और समाजवादी हो, जिसे 97 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ जीजी परीख जी से लेकर मेग्सेसे अवार्ड विजेता समाजवादी चिंतक संदीप पांडेय का आशीर्वाद और मार्गदर्शन प्राप्त हो, जिसने शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए सैकड़ों यात्राएं की हों, ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाना बतलाता है कि योगी सरकार सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वालों को पुरस्कृत कर रही है तथा सर्वधर्म सद्भाव को बढ़ावा देने वालों को प्रताड़ित कर रही है.”
मैग्सेसे अवार्डी डॉक्टर संदीप पांडेय ने भी फैसल खान की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर तत्काल वापस लेने की मांग की है.
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