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मगरमच्छ क्या कभी दो पैरों पर चलते थे

१२ जून २०२०

आपने भी क्या दो पैरों पर चलने वाले मगरमच्छ की कहानी सुनी है. अब तक यह कल्पना से परे था लेकिन वैज्ञानिकों की टीम के पुरातात्विक खोजों से इस बात की जानकारी सामने आ रही है. क्या सचमुच ऐसा कभी हुआ होगा?

Illustration | Fossilenfund: Krokodile liefen möglicherweise auf Zwei Beinen
तस्वीर: AFP/University of Calorado Denver/M. Lockley

प्राचीन मगरमच्छों के बारे में लंबे समय से यही माना जाता है कि वो अपने आधुनिक वंशजों की तरह ही चार पांवों पर चलते थे. एक नई स्टडी में उनके दो पैरों पर चलने की संभावना जताई गई है.  चीन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के रिसर्चर दक्षिण कोरिया के जींजू फॉर्मेशन में पैरों के कुछ निशान ढूंढने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं. यह रिसर्च रिपोर्ट नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट में छपी है. दक्षिण कोरिया का यह इलाका पुरातत्व के लिहाज से बेहद अमीर है. यहां पर छिपकिली, मकड़े और शिकारी पक्षी रैप्टर की कुछ प्रजातियों के 12 करोड़ साल पुराने अवशेष मिले हैं.

रिसर्चरों का मानना है कि जिन मगरमच्छों के कदमों के निशान मिले हैं वो कम से कम तीन मीटर लंबे थे और उनका वैज्ञानिक नाम बात्राचोपस ग्रांडिस है. यह मगरमच्छ तनी हुई रस्सी पर चलने वाले बाजीगरों की तरह दो पैरों पर चलता था. चिंजू नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एजुकेशन के क्युंग सू किम का कहना है, "वो ऐसे ही चल रहे थे जैसे कि डायनोसॉर, लेकिन पैरों के ये निशान डायनोसॉर के नहीं हैं."

दो पैरों पर चलने वाले मगरमच्छ के कदमों के निशानतस्वीर: AFP/University of Calorado Denver/M. Lockley

पहले रिसर्चरों को लगा था कि ये निशान टेरोसॉर के हैं. यह डायनोसॉर की ही एक प्रजाति है लेकिन उसके पंख होते थे. यह डायनोसॉर 6.6 करोड़ साल पहले तक धरती पर मौजूद था. हालांकि अब इन्हें क्रोकोडाइलोमॉर्फ फैमिली का एक सदस्य माना जा रहा है जिसकी अब तक खोज नहीं हुई थी. करीब 10 ईंच लंबे पैरों के निशान से मगरमच्छ के इस रिश्तेदार के आकार का आकलन किया गया है.  

क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के जीवाश्म विज्ञानी एंथनी रोमिलियो भी इस रिसर्च रिपोर्ट के लेखकों में शामिल हैं. रोमिलियो का कहना है कि पैरों के निशान किसी वयस्क इंसान के जितने ही लंबे हैं. हालांकि इनके शरीर की "लंबाई तीन मीटर से ज्यादा तक की रही होगी." इसका मतलब है कि वह अपने समकालीन रिश्तेदारों की तुलना में करीब दोगुना लंबा था. यह प्राचीन मगरमच्छ मुमकिन है कि दो पैरों पर चलता रहा होगा और इंसानों की तरह ही अपनी एड़ी घसीटता होगा. यही वजह है कि इसके पैरों के निशान काफी गहरे हैं.

इन मगरमच्छों का जब प्रयोगशाला में मॉडल बनाने की कोशिश की गई तो पता चला कि इनका गुरुत्व केंद्र बहुत कम था. रोमिलियो ने बताया कि खुदाई वाली जगह पर ना तो हाथों के निशान मिले ना ही पूंछ के. इसके साथ ही इसके चलने का मार्ग भी पतला है. इन सब कारणों से इस संभावना को मजबूती मिलती है कि यह दो पैरों पर चलता रहा होगा.

इस खोज से क्रिटेशस काल के दूसरे जीवों के बार में भी नई जानकारियां सामने आएंगी. टेरोसॉर उसी दौर का जीव है. वैज्ञानिकों ने ध्यान दिलाया है कि इस नई खोज के बाद जीवाश्म मिलने की कुछ दूसरी जगहों पर भी मिले जीवाश्मों का भी नए सिरे से अध्ययन किया जाना चाहिए. 

एनआर/एमजे (एएफपी)

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