भारत के पूर्वोत्तर प्रांत मणिपुर में आए भूकंप में कम से कम 8 लोग मारे गए हैं. रिष्टर स्केल पर 6.7 की तीव्रता वाले भूकंप के झटके सैकड़ों किलोमीटर दूर बांग्लादेश में भी महसूस किए गए और लोग डर कर सड़कों पर उतर आए.
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सुबह तड़के आए भूकंप के कारण दिल का दौरा पड़ने से भारत में पांच लोगों की मौत हो गई जबकि बांग्लादेश में तीन लोगों की जान गई. भारत के आपदा प्रबंधन प्राधिकार के अनुराग गुप्ता ने कहा है कि राजधानी इंफाल में इमारतों को नुकसान पहुंचा है. गुप्ता ने कहा, "पांच लोगों के मरने की पुष्टि हुई है जबकि इंफाल में 33 लोग घायल हो गए हैं."
अमेरिकन जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार भूकंप 4 बजकर 35 मिनट पर आया. उसका केंद्र इंफाल से 29 किलोमीटर पश्चिमोत्तर में था. उस इलाके में इमारतें नष्ट हो गई हैं और प्रांत के कई हिस्सों में बिजली का संपर्क टूट गया है.
बीणालक्ष्मी नेपराम ने भूकंप की तस्वीरें ट्वीट की हैं, जिनसे तबाही के आयाम का पता चलता है. मणिपुर की ऐतिहासिक ईमा मार्केट को भी भारी नुकसान पहुंचा है जो महिलाओं का बाजार है.
भूकंप के झटके बांग्लादेश के अलावा नेपाल में भी महसूस किए गए हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि उन्होंने मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह से टेलिफोन पर बातचीत की है और मणिपुर तथा पूर्वोत्तर की स्थिति का जायजा लिया है.
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने एक ट्वीट में कहा है कि उनके विचार और प्रार्थना मणिपुर और भूकंप से प्रभावित पूर्वोत्तर के दूसरे प्रांतों के लोगों के साथ हैं.
इंफाल के निवासी दीपक शिजागुरुमायुंग ने कहा है कि उनका घर भी टूट गया है और वहां भूकंप के बाद अव्यवस्था का माहौल है. जब भूकंप के झटके आए तो लोग सो रहे थे. अब वे नए झटकों के डर से घर के अंदर नहीं जा रहे हैं. भारत का पूर्वोत्तर नियमित भूकंपीय गतिविधियों वाला इलाका है. 1950 में तिब्बत में आए भूकंप के बाद भूस्खलन और बाढ़ जैसे असर से असम के कई गांव ध्वस्त हो गए थे और 1500 लोग मारे गए थे.
अब तक के सबसे विनाशकारी भूकंप
भूकंप, सबसे जानलेवा प्राकृतिक आपदाओं में से एक हैं. पृथ्वी के भीतर होने वाली ये शक्तिशाली भूगर्भीय हलचल अब तक करोड़ों लोगों की जान ले चुकी है. एक नजर, अब तक के सबसे जानलेवा भूकंपों पर.
तस्वीर: Reuters
शांशी, 1556
चीन के शांशी प्रांत में 1556 में आए भूकंप को मानव इतिहास का सबसे जानलेवा भूकंप कहा जाता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक रिक्टर स्केल पर करीब 8 तीव्रता वाले उस भूकंप से कई जगहों पर जमीन फट गई. कई जगह भूस्खलन हुए. भूकंप ने 8,30,000 लोगों की जान ली.
तस्वीर: Reuters
तांगशान, 1976
चीन की राजधानी बीजिंग से करीब 100 किलोमीटर दूर तांगशान में आए भूकंप ने 2,55,000 लोगों की जान ली. गैर आधिकारिक रिपोर्टों के मुताबिक मृतकों की संख्या 6 लाख से ज्यादा थी. 7.5 तीव्रता वाले उस भूकंप ने बीजिंग तक अपना असर दिखाया.
तस्वीर: picture alliance / dpa
हिंद महासागर, 2004
दिसंबर 2004 को 9.1 तीव्रता वाले भूकंप ने इंडोनेशिया में खासी तबाही मचाई. भूकंप ने 23,000 परमाणु बमों के बराबर ऊर्जा निकाली. इससे उठी सुनामी लहरों ने भारत, श्रीलंका, थाइलैंड और इंडोनेशिया में जान माल को काफी नुकसान पहुंचाया. सबसे ज्यादा नुकसान इंडोनेशिया के सुमात्रा द्पीव में हुआ. कुल मिलाकर इस आपदा ने 2,27,898 लोगों की जान ली. 17 लाख लोग विस्थापित हुए.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo
अलेप्पो, 1138
ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक सीरिया में आए उस भूकंप ने अलेप्पो को पूरी तरह झकझोर दिया. किले की दीवारें और चट्टानें जमींदोज हो गईं. अलेप्पो के आस पास के छोटे कस्बे भी पूरी तरह बर्बाद हो गए. अनुमान लगाया जाता है कि उस भूकंप ने 2,30,000 लोगों की जान ली.
तस्वीर: Reuters/Hosam Katan
हैती, 2010
रिक्टर पैमाने पर 7 तीव्रता वाले भूकंप ने 2,22,570 को अपना निवाला बनाया. एक लाख घर तबाह हुए. 13 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा. हैती आज भी पुर्नर्निमाण में जुटा है.
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दमघान, 856
कभी दमघान ईरान की राजधानी हुआ करती थी. ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक करीब 12 शताब्दी पहले दमघान शहर के नीचे से एक शक्तिशाली भूकंप उठा. भूकंप ने राजधानी और उसके आस पास के इलाकों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया. मृतकों की संख्या 2 लाख आंकी गई.
तस्वीर: Reuters
हैयुआन, 1920
चीन में आए करीब 7.8 तीव्रता वाले भूकंप के झटके हजारों किलोमीटर दूर नॉर्वे तक महसूस किये गए. भूकंप ने हैयुआन प्रांत में 2 लाख लोगों की जान ली. पड़ोसी प्रांत शीजी में भूस्खलन से एक बड़ा गांव दफन हो गया. लोगंदे और हुइनिंग जैसे बड़े शहरों के करीब सभी मकान ध्वस्त हो गए. भूकंप ने कुछ नदियों को रोक दिया और कुछ का रास्ता हमेशा के लिए बदल दिया.
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अर्दाबिल, 893
ईरान में दमघान के भूकंप की सिहरन खत्म भी नहीं हुई थी कि 37 साल बाद एक और बड़ा भूकंप आया. इसने पश्चिमोत्तर ईरान के सबसे बड़े शहर अर्दाबिल को अपनी चपेट में लिया. करीब 1,50,000 लोग मारे गए. 1997 में एक बार इस इलाके में एक और शक्तिशाली भूकंप आया.
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कांतो, 1923
7.9 तीव्रता वाले भूकंप ने टोक्यो और योकोहामा इलाके में भारी तबाही मचाई. पौने चार लाख से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा. इसे ग्रेट टोक्यो अर्थक्वेक भी कहा जाता है. भूकंप के बाद चार मीटर ऊंची सुनामी लहरें आई. आपदा ने 1,43,000 लोगों की जान ली.
तस्वीर: Reuters
अस्गाबाद, 1948
पांच अक्टूबर 1948 को तुर्कमेनिस्तान का अस्गाबाद इलाका शक्तिशाली भूकंप की चपेट में आया. 7.3 तीव्रता वाले जलजले ने अस्गाबाद और उसके आस पास के गांवों को भारी नुकसान पहुंचाया. कई रेलगाड़ियां भी हादसे का शिकार हुईं. भूकंप ने 1,10,000 लोगों की जान ली.
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कश्मीर, 2005
भारत और पाकिस्तान के विवादित इलाके कश्मीर में 7.6 तीव्रता वाले भूकंप ने कम से कम 88 हजार लोगों की जान ली. सुबह सुबह आए इस भूकंप के झटके भारत, अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान और चीन तक महसूस किए गए. पाकिस्तान में करीब 87 हजार लोगों की मौत हुई. भारत में 1,350 लोग मारे गए.
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सिंचुआन, 2008
87,000 से ज्यादा लोगों की जान गई. करीब एक करोड़ लोग विस्थापित हुए. 7.9 तीव्रता वाले भूकंप ने 10,000 स्कूली बच्चों की भी जान ली. चीन सरकार के मुताबिक भूकंप से करीब 86 अरब डॉलर का नुकसान हुआ.