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मणिरत्नम: नायाब फिल्मकार

रिपोर्टः समय ताम्रकर, वेबदुनिया(संपादनः आभा मोंढे)१६ जून २०१०

भारतीय सिनेमा में मणिरत्नम् जैसे फिल्म निर्देशक निराले होते हैं. तमिल और हिन्दी में फिल्में बनाकर मणि ने जो अंतरराष्ट्रीय ख्याति अर्जित की है, वह चौंकाने वाली बात है.

तस्वीर: reliance big pictures

मणि ने फिल्म निर्देशन का कहीं से कोई प्रशिक्षण नहीं लिया है. फिल्मी दुनिया में कोई उनका सगा-संबंधी भी नहीं है. जापान के फिल्मकार अकीरा कुरोसावा की फिल्मों से प्रभा‍वित और खासकर उनकी सम्पादन-कला के कायल मणि ने लगभग वैसा ही रास्ता अपनाया है.

मणिरत्नम ने भारतीय पौराणिक गाथाओं के चरित्रों को आधुनिक संदर्भ में पेश कर उन्हें नए अर्थ प्रदान करने में सफलता पाई है. जैसे फिल्म 'रोजा'में सत्यवान-सावित्री की कथा को आसानी से देखा जा सकता है. यहां आतंकवाद यमराज के रूप में दर्शाया गया है.

इसी तरह आज के समाज में जो घटित होता है, उसे भी मणि ने अपनी फिल्मों की कहानी में प्रस्तुत किया है. मसलन, 'गुरु' फिल्म में गांव के एक साधारण व्यक्ति की कथा है कि वह कैसे अपने प्रयत्नों तथा तिकड़मों से बड़ा उद्योगपति बन जाता है. उनकी फिल्म 'नायकन' में अपने समय के डॉन रहे वरदराजन मुदालियर के जीवन के उतार-चढ़ाव के साथ पतन की दास्तान कही गई है.

मणिरत्नम की अनेक फिल्में विवाद का विषय रही हैं. इस वजह से उनकी खूब चर्चा हुई हैं. उनकी नवीनतम फिल्म रावण है, जो तमिल के साथ हिन्दी में प्रदर्शित हो रही है. इसमें रामायण के पात्र रावण को आधुनिक संदर्भ दिया गया है. फिल्म गुरु की जोड़ी ऐश्वर्या राय और अभिषेक बच्चन को उन्होंने रावण में दोहराया है. रावण रिलीज के अवसर पर मणिरत्नम्‌ की उन फिल्मों की चर्चा करना उपयुक्त होगा जो हिन्दी में भी प्रदर्शित हुई हैं.

अंजलि
हिन्दी में बड़े फिल्मकारों द्वारा बच्चों पर आधारित फिल्में बनाने से पहले मणिरत्नम 1990 में यह फिल्म लेकर प्रस्तुत हुए थे. डाउन सिण्ड्रोम से पीड़ित एक नन्ही, मासूम, सुन्दर अंजलि की यह कहानी दर्शकों को भीतर तक भिगो देती है. फिल्म में यह खासतौर पर दिखाया गया है कि किसी बीमारी से पीड़ित बच्चे को समाज तथा आसपास के लोग किस तरह अपनाने से कतराते हैं. बेबी शामली से मणि ने बेहतरीन अभिनय कराया है.

रोजा
उत्तर भारत के दर्शकों को ध्यान में रखकर रोजा की पटकथा तैयार की गई और इसे हिन्दी में डब कर प्रदर्शित गया. कश्मीर से कन्याकुमारी तक के लोकेशन और पटकथा का तानाबाना फिल्म में बुना गया है. सत्यवान-सावित्री की पौराणिक-गाथा को आतंकवाद की पृष्ठभूमि में खूबसूरती के साथ पेश करने में मणिरत्नम सफल रहे हैं. रहमान का संगीत और मणिरत्नम के प्रस्तुतिकरण को देख लोग दंग रह गए.

बॉम्बे
रोजा की कामयाबी के बाद मणि का आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने ‘बॉम्बे' बनाई. फिल्म प्रदर्शित होते ही विवादों से घिर गई थी. बम्बई के 1993 के दंगों पर आधारित इस फिल्म में एक हिंदू से मुस्लिम लड़की के प्यार और शादी को लेकर कट्टरपंथियों ने फिल्म पर प्रतिबंध की मांग की थी. इतना ही नहीं कुछ अतिवादियों ने मणि के घर पर बम भी फेंके थे. दंगों का सजीव चित्रण फिल्म में किया गया. मनीषा कोइराला के उत्कृष्ट अभिनय, रहमान के मधुर संगीत का भी इस फिल्म की सफलता में योगदान रहा.

दिल से
एक बार फिर आतंकवाद मणि की फिल्म का हिस्सा बना. एक लड़की जो मानव बम बनकर अपनी जिंदगी खत्म करने वाली है, प्यार में पड़कर जिंदगी से प्यार करने लगती है. प्रीति जिंटा ने इस फिल्म से अपनी शुरुआत की. शाहरुख और मनीषा जैसे स्टार होने के बावजूद फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल रही. मणिरत्नम को इस फिल्म की नाकामयाबी से धक्का लगा.

दिल से में शाह रुख ने कियातस्वीर: AP
गुरू और रावण अभिषेकतस्वीर: AP
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