यूरोपीय मधुमक्खियों का जहर अब तक दवाओं से बेअसर रहे स्तन कैंसर की कोशिकाओं के इलाज में "काफी कारगर" हो सकता है. इसका पता एक रिसर्च से चला है.
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ऑस्ट्रेलिया के हैरी परकिंस इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च ने 312 मधुमक्खियों और भौरों के जहर में कैंसररोधी गुणों की खोज की है. रिसर्च टीम ने पता लगाया है कि जहर और इसमें सबसे ज्यादा मौजूद मेलिटिन ट्रिपल निगेटिव स्तन कैंसर और एचईआर 2 संवर्धित स्तन कैंसर कोशिकाओं की मौत को बढ़ावा देता है. सिर्फ इतना ही नहीं इस काम के लिए इसके बहुत गाढ़े तरल की जरूरत नहीं होती तो ऐसे में यह दूसरी कोशिकाओं को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचाता.
इंस्टीट्यूट का कहना है कि ट्रिपल निगेटिव स्तन कैंसर यानी टीएनबीसी की तादाद स्तन कैंसर के सभी मामलों में करीब 10 से 15 फीसदी होती है. फिलहाल टीएनबीसी का कोई कारगर इलाज नहीं है. खोज करने वाली टीम की प्रमुख रिसर्चर कियारा डफी ने बताया, "जहर अत्यधिक ताकतवर था. हमने देखा कि मेलिटिन 60 मिनट के भीतर कैंसर कोशिकाओं के मेम्ब्रेन को पूरी तरह खत्म कर सकता है."
पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख वैज्ञानिक प्रोफेसर पीटर क्लिंकेन के मुताबिक मेलिटिन का इन कोशिकाओं के विकास को रोकने का पता चलना "बेहद रोमांचकारी" है. नेचर प्रिसीजन ऑन्कोलॉजी जर्नल में छपी रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि इस बात का भी परीक्षण किया गया कि क्या मेलिटिन को पहले से केमोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के साथ मिलाकर ज्यादा आक्रामक स्तन कैंसर के इलाज में इस्तेमाल किया जा सकता है.
डफी के मुताबिक मेलिटिन स्तन कैंसर की कोशिकाओं के मेम्ब्रेन में छेद कर देता है. इसके बाद इलाज का इन कोशिकाओं के भीतर प्रवेश करने का रास्ता बन जाता है और इन कोशिकाओं की मौत आसान हो जाती है. मेलेटिन को डोसिटेक्सेल (केमोथेरेपी की एक दवा) के साथ मिलाकर इस्तेमाल करने पर यह चूहों में ट्यूमर के विकास को रोकने में काफी सफल रही है.
दुनिया भर की महिलाएं सबसे ज्यादा स्तन कैंसर की शिकार बनती हैं. फेफड़ों के कैंसर के बाद दुनिया भर में सबसे ज्यादा मामले स्तन कैंसर के ही सामने आते हैं. 2018 में इसके 20 लाख से ज्यादा मामले सामने आए. लगभग इतनी संख्या फेफड़े के कैंसर पीड़ितों की भी थी. अमूमन दुनिया की हर सात में से एक महिला स्तन कैंसर का शिकार बनती है. स्तन कैंसर के कारण मरने वालों की तादाद महिलाओं में 13.7 फीसदी है.
महिलाएं नियंत्रित वजन, अल्कोहल का कम इस्तेमाल, ज्यादा शारीरिक गतिविधियां और स्तन पान कराकर कैंसर का शिकार बनने के जोखिम को कम कर सकती हैं.
एनआर/एमजे (डीपीए)
बढ़ रहा है भारत में कैंसर
सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले चार सालों में भारत में कैंसर के मामलों में लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. अगले पांच साल में मामले 12 प्रतिशत तक बढ़ सकते हैं.
तस्वीर: Reuters/J. Dey
बढ़ता कैंसर
राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के अनुसार इस समय भारत में कैंसर के लगभग 14 लाख मामले हैं. पिछले चार सालों में इन मामलों में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2016 में देश में अनुमानित 12.6 लाख मामले थे.
तस्वीर: picture-alliance/Pixsell/D. Puklavec
रफ्तार बढ़ने की संभावना
कैंसर रजिस्ट्री के मुताबिक अगले पांच साल में कैंसर के मामलों में 12 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है. 2025 तक देश में 15.7 लाख मामले होने का अनुमान है.
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ज्यादा महिलाएं प्रभावित
पुरुषों के मुकाबले ज्यादा महिलाएं कैंसर से पीड़ित हैं. 2020 में 6.8 लाख पुरुषों के मुकाबले 7.1 लाख महिलाओं के कैंसर से पीड़ित होने का अनुमान है. 2025 में पुरुषों में कैंसर के 7.6 लाख मामले और महिलाओं में 8.1 लाख मामले होने की आशंका है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Mustafa
बच्चों में कैंसर
सभी उम्र के कैंसर पीड़ितों की तुलना में 14 साल तक के बच्चों में कैंसर का अनुपात देश के अलग अलग इलाकों में 0.7 प्रतिशत से 3.7 प्रतिशत तक है. ये अनुपात उत्तर भारत में सबसे ज्यादा दिल्ली में है (लड़कों में 4.7 प्रतिशत और लड़कियों में 2.6 प्रतिशत), दक्षिण में हैदराबाद में, पश्चिम में लड़कों में औरंगाबाद और लड़कियों में बर्षि ग्रामीण.
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Mustafa
तंबाकू से नुकसान
कैंसर के सभी मामलों में तंबाकू से होने वाले कैंसरों की संख्या सबसे अधिक (27 प्रतिशत) है. 2020 में कैंसर के 3,77,830 मामलों के पीछे तंबाकू के कारण होने का अनुमान है. 2025 तक इस संख्या के बढ़ कर 4,27,273 हो जाने की आशंका है.
तस्वीर: DW/Sirsho Bandopadhyay
स्तन कैंसर की ऊंची दर
महिलाओं में होने वाले कैंसर में सबसे बड़ी संख्या (14.8 प्रतिशत) स्तन के कैंसर की है. 2020 में जहां 2,05,424 स्तन कैंसर के मामले होने का अनुमान है, 2025 तक स्तन कैंसर के मामले बढ़ कर 2,32,832 हो जाने की संभावना है.
तस्वीर: Colourbox
कैंसर से मृत्यु दर
पुरुषों में कैंसर से मृत्यु दर देश के अलग अलग इलाकों में 14.7 प्रतिशत से 71.9 प्रतिशत के बीच है और महिलाओं में 9 प्रतिशत से 63 प्रतिशत के बीच है. सबसे ऊंची मृत्यु दर (67.2 प्रतिशत) महाराष्ट्र के बर्षि ग्रामीण इलाके में की गई है.
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui
पूर्वोत्तर में बढ़ता संकट
हर 1,00,000 लोगों की आबादी पर पुरुषों में कैंसर के सबसे ज्यादा मामले मिजोरम के आइजॉल जिले में हैं (269.4) और सबसे कम महाराष्ट्र के उस्मानाबाद और बीड जिलों में हैं (39.5). महिलाओं में आबादी के अनुसार सबसे ज्यादा मामले अरुणाचल प्रदेश के पापुमपारे जिले में हैं (219.8) और सबसे कम महाराष्ट्र के उस्मानाबाद और बीड जिलों में हैं (49.4).