सैन्य तैनाती बढ़ाने के बीच अमेरिका की तेहरान को चेतावनी
१ मई २०२५
अमेरिका और ईरान, ओमान की मध्यस्थता में तेहरान के परमाणु कार्यक्रम पर अब तक तीन चरण की बातचीत कर चुके हैं. इस बातचीत का मकसद ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना है. बदले में तेहरान को आर्थिक प्रतिबंधों में ढील मिलने का आशा है. ईरान बार बार कहता आया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है. अमेरिका और इस्राएल इस पर भरोसा नहीं करते हैं. एक छोटे से विराम के बाद शनिवार, 3 मई को रोम में दोनों देशों के प्रतिनिधियों को फिर मिलना है.
लेकिन इस बीच अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने हूथी विद्रोहियों को लेकर तेहरान को सख्त चेतावनी दी है. 30 अप्रैल को सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स पर हेग्सेथ ने लिखा, "ईरान को संदेश: हम हूथियों को आपका घातक समर्थन देख रहे हैं. हमें सटीक ढंग से पता है कि आप क्या कर रहे हैं." इसके आगे उन्होंने लिखा, "आपको पता है कि अमेरिकी सेना की क्या क्षमताएं हैं- और आपको चेतावनी भी दी जा चुकी है. हमारे समय और स्थान के चुनाव के मुताबिक आपको नतीजे भुगतने होंगे."
इस चेतावनी के कुछ देर बार हेग्सेथ ने अपने निजी एक्स अकाउंट पर, मार्च में दी गई अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की चेतावनी को रिपोस्ट किया. अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर लिखी उस पोस्ट में ट्रंप ने कहा था कि हूथियों के किसी भी हमले के लिए वह ईरान को जिम्मेदार ठहराएंगे.
ईरान का जवाबी पटलवार
हेग्सथे के बयान के अगले ही दिन गुरुवार (1 मई) को ईरान ने अमेरिका पर "विरोधाभासी व्यवहार करने और भड़काऊ बयानबाजी" का आरोप लगाया. ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाघाई ने कहा कि अमेरिकी नीति निर्माताओं का रुख विरोधाभासी है और उनमें "कूटनीति के रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए जरूरी साख और गंभीरता की कमी है."
हूथियों पर हवाई हमले
उत्तरी यमन, हूथी विद्रोहियों के नियंत्रण में है. फलीस्तीन में जारी इस्राएली सैन्य कार्रवाई के विरोध में वह लाल सागर में व्यापारिक जहाजों पर हमले कर रहे हैं. एशिया से यूरोप और अमेरिका आने-जाने वाले ज्यादातर जहाज लाल सागर से गुजरते हैं. इसी सागर के जरिए स्वेज नहर, भूमध्यसागर को एशिया से जोड़ती है. ईरानी नेतृत्व का कहना है कि यमन के हूथी अपनी मर्जी से काम करते हैं.
लाल सागर से गुजरने वाले जहाजों का बीमा कौन करेगा
अमेरिकी सेना ने मार्च में हूथियों के खिलाफ हवाई हमले करते हुए 1,000 जगहों पर निशाना बनाया. सैन्य कार्रवाई अब भी जारी है. इस बीच ब्रिटिश सेना भी अमेरिका के साथ सैन्य कार्रवाई में हिस्सा ले रही है. ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने 30 अप्रैल को कहा कि उसने इमारतों के समूह को निशाना बनाया है.
मंत्रालय के मुताबिक, इन भवनों का इस्तेमाल "हूथी ड्रोन बनाने के लिए कर रहे थे, उस तरह के ड्रोन जो लाल सागर और अदन की खाड़ी में जहाजों पर हमले करने में इस्तेमाल होते हैं." बमबारी की लोकेशन राजधानी सना ने 25 किलोमीटर दक्षिण में बताई गई. अमेरिकी सेना की सेंट्रल कमांड ने इन हमलों की पुष्टि नहीं की है.
मध्य पूर्व में बढ़ती सैन्य तैनाती
इस बीच अमेरिकी सेना ने मध्य पूर्व में अपनी क्षमताएं काफी बढ़ा दी हैं. पेंटागन कहे जाने वाले अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय ने वहां छह बी-2 बॉम्बर विमान तैनात करने का दावा किया है. इन विमानों को हिंद महासागर में मौजूद ब्रिटिश द्वीप 'डिएगो गार्सिया' में तैनात किया गया है. विशेषज्ञों के मुताबिक, मध्य पूर्व में कार्रवाई के लिहाज से बम वर्षक विमान सटीक जगह पर रखे गए हैं. इनके अलावा अमेरिकी नौसेना के दो विमानवाही युद्धपोत भी मध्य पूर्व में हैं. पेंटागन ने एयर डिफेंस सिस्टम को एशिया से हटाकर मध्य पूर्व पहुंचा दिया है.
तेहरान और वॉशिंगटन दोनों कह चुके हैं कि वो कूटनीति के जरिए बीच का रास्ता निकालना चाहते हैं. परमाणु कार्यक्रम पर जारी दो दशक पुराने विवाद को लेकर दोनों पक्षों की राय, सोच और एक-दूसरे पर विश्वास करने की क्षमता में बहुत बड़ा अंतर है.
जनवरी 2025 में दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने डॉनल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल (2017-2021) में अमेरिका को ईरान व पश्चिमी देशों के बीच हुई परमाणु संधि से बाहर निकाला.
अप्रैल 2025 में टाइम मैगजीन को दिए गए इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, "मुझे लगता है कि हम ईरान के साथ एक डील कर लेंगे." लेकिन कूटनीति नाकाम होने पर उन्होंने ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की धमकी भी दोहराई.