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मनमोहन और गिलानी की मुलाकात

२९ अप्रैल २०१०

भूटान की राजधानी थिम्पू में भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों की मुलाकात. दोनों देशों के शीर्ष नेताओं ने बातचीत बहाल रखने पर ज़ोर दिया. क़रीब एक घंटे तक हुई बातचीत लेकिन साझा बयान जारी नहीं किया गया.

तस्वीर: UNI

मनमोहन सिंह और यूसुफ़ रज़ा गिलानी के बीच लंबी बातचीत हुई. बातचीत के बाद दोनों ने मुस्कुराते हुए बाहर निकले. हालांकि बातचीत का ब्यौरा नहीं दिया गया. दोनों नेताओं ने साझा बयान भी नहीं दिया. इस दौरान दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने भी बातचीत की. भारत ने बातचीत में आतंकवाद और घुसपैठ का मुद्दा उठाया.

इस मुलाकात के बाद दोनों देश गतिरोध से जूझ रही आपसी बातचीत को बहाल करने पर सहमत हुए हैं. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि बातचीत से रिश्तों में गर्माहट आई.

मुलाकात से पहले पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल बासित ने कहा था, "बैठक के मुद्दे तय नहीं हुए हैं लेकिन दोनों नेता आपसी संबंधों और बातचीत को दोबारा शुरू करने पर चर्चा करेंगे क्योंकि पाकिस्तान भारत के साथ लक्ष्यबद्ध बातचीत के लिए तैयार है."

करज़ई भी पहुंचेतस्वीर: AP

नई दिल्ली में भारत की एक कनिष्ठ आईएफएस अधिकारी को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किए जाने का साया दोनों देशों के बीच हो रही बैठक पर पड़ सकता है. भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने कहा है कि जासूसी का मामला गंभीर है और इस सिलसिले में तहकीकात जारी है. उधर पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने कहा है कि यह भारत का अंदरूनी मामला है.

भारत का नज़रिया

सदस्य देशः विकास पर चर्चातस्वीर: AP

सार्क सम्मेलन के उद्गाटन पर पहुंचे दक्षिण एशियाई नेताओं ने आतंकवाद के खिलाफ साझा कार्रवाई करने की बात की. भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सार्क देशों को "हमारे सपनों के दक्षिण एशिया को पुनर्जीवित करना होगा जो हमारे लिए नए विचारों, नए ज्ञान और नए अवसरों का श्रोत है." साथ ही भारत ने सार्क आतंकवाद निरोध संधि और अपराध में आपसी सहयोग को लेकर संधि पर ज़ोर दिया जिसका बाकी सार्क देशों ने भी समर्थन किया.

पाकिस्तान के मुद्दे

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री गिलानी ने अपने वक्तव्य के दौरान कहा कि आतंकवाद एक ज़हर है जो अलग अलग सिद्धांतों के भेष में आता है. उन्होंने कहा कि देशों के बीच मतभेद की वजह से सार्क देशों की प्रगति को नुकसान हुआ है. उनके मुताबिक आपसी विश्वास बढ़ाने की ज़रूरत है. गिलानी ने अपने भाषण में भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों का कोई संकेत नहीं दिया लेकिन उन्होंने यह ज़रूर कहा कि ऐतिहासिक मतभेदों की वजह से विकास नहीं हो पाया है, लेकिन अतीत कभी भी एक उज्ज्वल भविष्य पर परछाई नहीं डाल सकता.

गिलानी के मुताबिक विकास पाकिस्तान की प्राथमिकता है जिसके लिए शांति और स्थिरता की ज़रूरत है. गिलानी ने पर्यावरण, पानी, खाना और आतंकवाद से सुरक्षा की ज़रूरत पर ज़ोर दिया. आतंकवाद पर उन्होंने कहा कि आतंकवाद एक ऐसी रुझान है जो वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय है. इसकी जड़े इतिहास में, आर्थिक लापरवाही और नाइंसाफी में हैं. गिलानी ने सम्मेलन में पानी के लिए क्षेत्रीय साझेदारी पर भी बात की.

अफ़ग़ानिस्तान की भूमिका

अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने अपने भाषण के दौरान कहा कि सभी सार्क सदस्य देशों को आतंकवाद के ख़त्म करने की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए. उन्होंने कहा, "सारे सदस्यों को बिना किसी हिचकिचाहट के वचनबद्ध हो जाना चाहिए कि वे अपनी ज़मीन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से आतंकवादी प्रशिक्षण या आतंकवाद को आश्रय देने के लिए इस्तेमाल होने नहीं देंगे." उन्होंने कहा कि हम सब आतंकवाद से होने वाली बर्बादी का शिकार हैं. करज़ई ने सार्क नेताओं से अपील की कि वे मिल कर क्षेत्र में आतंकवाद को ख़त्म करें. बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख़ हसीना और श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे ने भी आतंकवाद के खिलाफ सार्क देशों के बीच सहयोग पर ज़ोर दिया.

रिपोर्टः एजेंसियां/एम गोपालकृष्णन

संपादनः महेश झा

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