1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

मनमोहन की अन्ना से अनशन तोड़ने की अपील

२३ अगस्त २०११

भारत में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अनिश्चितकालीन अनशन कर रहे अन्ना हजारे को एक पत्र लिख कर अनशन समाप्त करने की अपील की है और हजारे की टीम के साथ बातचीत के लिए प्रणब मुखर्जी की नियुक्ति की है.

मनमोहन की मुश्किलें बढ़ींतस्वीर: AP

75 वर्षीय अन्ना हजारे के नेतृत्व में देश व्यापी भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन चल रहा है. अन्ना का अनशन दूसरे सप्ताह में दाखिल हुआ.16 अप्रैल से अनशन शुरू करने वाले अन्ना हजारे का वजन अब तक छह किलो कम हो गया है. लेकिन भ्रष्टाचार के विरुद्ध उनके अभियान को देश भर में लगातार समर्थन मिल रहा है. सड़कों पर दसियों हजार लोग उतर कर मनमोहन सिंह की सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं.

प्रणब मुख्रजी, एके एंटनी और पी चिदंमबरम के साथ बातचीत के बाद लिखे गए अपने पत्र में मनमोहन सिंह ने हजारे को लिखा है कि वे उनके स्वास्थ्य के बारे में चिंतित हैं. प्रधानमंत्री ने संसद के सर्वोच्च होने पर जोर देते हुए लिखा है कि सरकार लोकसभा अध्यक्ष से पूछेंगे कि क्या लोकपाल बिल का हजारे का मसौदा संसद की स्थायी समिति को भेजा जा सकता है जो इस समय सरकार के मसौदे पर विचार कर रही है.

हजारे के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने कानून मंत्री सलमान खुर्शीद से मुलाकात के बाद सरकार की पहलकदमी की घोषणा की. हजारे की टीम की ओर से वे और प्रशांत भूषण प्रणब मुखर्जी के साथ बात करेंगे. इस बीच राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से उनके निवास पर मुलाकात की और उनके साथ ऱणनीति पर चर्चा की.   

हजारे रामलीला मैदान में बने मंच पर लेटे हुए सब नजारा देख रहे हैं. उमस भरी गर्मी में उनके हजारों समर्थक भी वहां बराबर मौजूद हैं. वहां खुले में शौच और कूड़े करकट से बीमारियां फैलने का भी खतरा बढ़ रहा है.

सरकार पर इस अनशन को खत्म कराने का बहुत दवाब है क्योंकि भारत के अखबार, पत्रिकाएं और टीवी चैनल लगातार इस आंदोलन की कवरेज में जुटे हैं जिससे सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है.

अभी खतरा नहीं

भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी और हजारे की मुहिम में जुटीं किरण बेदी कहती हैं, "उनकी तबीयत लगातार बिगड़ रही है. लेकिन अभी तक डॉक्टर कह रहे हैं कि खतरे वाली कोई बात नहीं है." उनका स्वास्थ्य अगर ज्यादा खराब हो जाता है तो देखना होगा कि क्या सरकार जबरदस्ती उन्हें कुछ खिलाने का फैसला लेगी या नहीं, लेकिन इस कदम से सरकार का विरोध और बढ़ सकता है.

दूसरे हफ्ते में दाखिल हुई अन्ना की 'आजादी की दूसरी लड़ाई'तस्वीर: dapd

अगले साल भारत के कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं और उसके बाद 2014 में आम चुनाव होंगे. ऐसे में सरकार पर इस बात का बहुत दवाब है कि इस संकट को खत्म किया जाए, जिसकी वजह से न सिर्फ संसद का काम ठप पड़ा है बल्कि घोटालों से घिरी मनमोहन सरकार की छवि लोगों की नजरों में और धूमिल होती जा रही है.

भारत के मध्यम वर्ग के बहुत से लोग अन्ना हजारे का साथ दे रहे हैं. यह आबादी का वह हिस्सा है जो तेजी से बढ़ रहा है. ये लोग ऐसे तंत्र के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं जहां हर छोटे बड़े काम के लिए रिश्वत दिए बिना काम ही नहीं चलता. एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में बड़े राजनेता और उद्योगपति भी भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं.

विपक्ष के तेवर गर्म

हजारे से मिलने के लिए हिंदू नेता, पूर्व जज और बॉलीवुड स्टार तक सब पहुंच रहे हैं लेकिन उन्होंने किसी को भी अपने साथ मंच पर नहीं बिठाया है. मंगलवार को संसद में वामपंथी और कुछ क्षेत्रीय पार्टी के सदस्यों ने संसद में धरना दिया. मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी गुरुवार को सरकार के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन करने जा रही है.

अन्ना के आंदोलन से निपटना सरकार के लिए कड़ी चुनौती साबित हो रहा हैतस्वीर: AP

विपक्षी पार्टियां इसे अपने लिए एक बड़े मौके के तौर पर देख रही हैं. बीजेपी के प्रवक्ता राजीव प्रताप रूड़ी का कहना है कि सर्वदलीय बैठक में इस बात की संभावना नहीं दिखती कि प्रस्तावित लोकपाल बिल को आगे ले जाने के तरीके पर सहमति कायम होगी.

नरमी के संकेत

सरकार की तरफ से समझौते का संकेत उस वक्त भी मिला जब केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सार्वजनिक तौर पर अन्ना हजारे की इस मांग का समर्थन किया कि उनकी टीम सिर्फ प्रधानमंत्री कार्यालय के मध्यस्थों या कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के साथ ही बातचीत करेगी. वह इस मामले में किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं देखते.

सोमवार को जयराम ने कहा, "यह एक रास्ता हो सकता है." उन्होंने बताया कि सरकार अफसरशाही में निचले स्तर पर फैले भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए एक अलग बिल ला सकती है. हजारे भी आम आदमी पर पड़ने वाली इस भ्रष्टाचार की मार का निवारण चाहते हैं.

लेकिन कुछ सामाजिक कार्यकर्ता और विशेषज्ञ अन्ना हजारे की मुहिम की यह कह कर आलोचना भी कर रहे हैं कि उन्होंने अड़ियल रवैया अपनाया हुआ है जिससे लोकतांत्रिक संस्थान बंधक नजर आते हैं और यह कोई अच्छी मिसाल नहीं है. कुछ मुस्लिम संगठन यह भी कह रहे हैं कि अन्ना हजारे का हिंदू संगठनों से नजदीकी रिश्ता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः महेश झा

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें