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मनमोहन देसाई की विरासत को बढ़ाते डेविड धवन

२८ मार्च २०११

डायरेक्टर डेविड धवन ने बॉलीवुड को कई हिट फिल्में दी हैं पर अकसर उन पर एक ही फॉर्मूला वाली फिल्म बनाने का इल्जाम लगता है. वैसे खुद उन्हें इससे परेशानी नहीं है. धवन की मानें तो वह मनमोहन देसाई की विरासत को आगे बढ़ा रहे है.

अपने बीस साल के करियर में डेविड धवन 40 फिल्में बना चुके हैं. वह इस बात से खुश हैं कि मसाला फिल्मों के दम पर वह इतनी लंबी पारी खेल पाए. वह अपनी लीक हटने का कोई इरादा नहीं रखते. धवन का कहना है, "कुछ साल पहले जब तथाकथित नए दौर के सिनेमा की बात चली तो लोग मुझ से पूछने लगे कि क्या मैं भी अपना अंदाज बदलूंगा. मैं क्यों भला ऐसा करूं. फॉर्मूला ही तो है, जिसकी वजह से मैं यहां हूं. मुझे इस बात की खुशी है कि जिस चीज को मैंने बढ़ाया वही आज हर जगह दिखती है."

फिलहाल डेविड धवन अपनी नई फिल्म रासकल्स ले कर आ रहे हैं जिसमें अजय देवगन मुख्य भूमिका में हैं. वह कहते हैं, "मेरा फॉर्मूला मजबूती के साथ आगे बढ़ रहा है. आज के निर्देशक भी इसी के साथ नए अंदाज में अपनी फिल्में पेश कर रहे हैं. अब मेरी चुनौती आज की पीढ़ी से कहीं बेहतर करने की है. मुझे खुद अपने मानक स्थापित करने हैं."

फिल्मों को लेकर अपनी सोच के बारे में धवन कहते हैं कि अपने सफर पर किसी तरह का अफसोस होने की बजाय उन्हें इस बात की खुशी है कि वह मनमोहन देसाई की विरासत को आगे लाने में सफल हुए हैं. वह कहते हैं, "जब मैं इंडस्ट्री में आया तो मैंने मनमोहन देसाई के फॉर्मूले को आगे बढ़ाया. वह मेरे गुरु थे. वह आज भी गुरु हैं और आगे भी रहेंगे. उन्होंने असल में मुझे दीवाना मस्ताना के लिए साइन किया था. लेकिन जब वह दुनिया छोड़ गए तो निजी रूप से मेरे के लिए यह बड़ी क्षति थी. बाद में मैंने उनके बेटे के साथ मिल कर यह फिल्म पूरी की."

सई परांजपे की चश्मे बद्दूर का रिमेक बना रहे धवन का कहना है कि हाल के समय में जितनी भी फिल्में हिट हुईं, वे सब मसाला फिल्में हैं. वह बताते हैं, "आप दबंग को देखिए. यह ऐसी फिल्म है जो इस देश की माटी से आती है. इसमें कहीं कोई विदेशी लोकेशन पर नाच गा नहीं रहा है. यही बात गोलमाल सीरीज की फिल्मों पर भी लागू होती है." डायरेक्ट के तौर पर डेविड धवन ने सबसे पहले 1989 में ताकतवर बनाई जिसमें संजय दत्त और गोविंदा मुख्य भूमिकाओं में थे.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः आभा एम

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