पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी पर मौजूदा मोदी सरकार को आड़े हाथ लिया है. उन्होंने राज्यसभा में इसे प्रबंधन की मिसाली विफलता बताया. जब उन्होंने यह बात कही, तो प्रधामंत्री मोदी भी सदन में मौजूद थे.
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भ्रष्टाचार और कालेधन पर रोक लगाने के लिए 8 नवंबर को मोदी सरकार ने 500 और 100 रुपये के नोट बंद दिए. लेकिन इससे आम लोगों को कई तरह की परेशानियां हो रही हैं. मनमोहन सिंह ने कहा, "इन उद्देश्यों से मेरी कोई असहमति नहीं है. लेकिन एक ऐसा कुप्रबंधन हमारे सामने है जिसकी मिसाल दी जाएगी और इस बात को लेकर देश में कोई दोराय नहीं है.”
जाने-माने अर्थशास्त्री रहे मनमोहन सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में अपनी पार्टी कांग्रेस की तरफ से नोटबंदी पर बहस की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि वह यह तो नहीं कह सकते कि सरकार के नोटबंदी के फैसले का अंततः क्या नतीजा निकलेगा, लेकिन इससे देश की कृषि और आर्थिक वृद्धि पर जरूर बुरा असर होगा.
जानिए, रुपये के बारे में दिलचस्प बातें
रुपये के बारे में दिलचस्प बातें
भारत में पांच सौ और एक हजार रुपए के नोट यकायक बंद देने के सरकार के फैसले से सब हैरान हैं. वैसे ये पहली बार नहीं है जब सरकार ने इस तरह नोट बंद किए हैं. चलिए जानते हैं रुपये के बारे में कुछ दिलचस्प बातें.
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क्या आप जानते हैं कि भारत में कभी पांच हजार और दस हजार रुपये के नोट भी चलते थे? ये नोट 1954 से 1978 के बीच चलन में थे. यहां जो आप देख रहे हैं वह नया नोट है, लेकिन अब यह भी इतिहास का हिस्सा है.
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जब विभाजन हुआ तो शुरू में पाकिस्तान में भारत सरकार की मुहर वाले ही नोट चले. जब पाकिस्तान ने अपने नोट छाप लिए. तब भारतीय नोटों का चलन वहां बंद हुआ.
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एक रुपये के नोट को छोड़ कर बाकी सभी नोटों पर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं. एक रुपये के नोट पर वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं.
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रुपया भारत के अलावा ओमान, कुवैत, बहरीन, कीनिया, युगांडा, सेशेल्स और मॉरिशस जैसे कई देशों की मुद्रा का नाम रहा है. बाद में इनमें से कई देशों ने दूसरी मुद्रा अपना ली.
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बताते हैं कि एक वक्त ऐसा भी था जब भारत का पांच रुपये का सिक्का बांग्लादेश तस्करी करके ले जाया जाता था और वहां उसका रेजर बनता था.
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रुपए का नया चिन्ह अगर आपको टाइप करना है तो इसके लिए कंट्रोल+शिफ्ट+$ को एक साथ दबाना होगा.
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दस रुपये के एक सिक्के को बनाने पर 6.10 रुपये की लागत आती है.
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भारत के अलावा नेपाल, श्रीलंका और पाकिस्तान की मुद्रा का नाम भी रुपया ही है.
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नेपाल में भी पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट बंद किए जा चुके हैं.
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हिंदी और अंग्रेजी को छोड़कर 15 अन्य भारतीय भाषाओं का इस्तेमाल भी भारतीय रुपये पर किया जाता है.
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भारत में पांच सौ और दो हजार रुपये के नए नोट जारी किए जाएंगे, लेकिन ये वाला नोट तो अब इतिहास का हिस्सा बन गया है.
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प्रधानमंत्री मोदी नोटबंदी के बचाव में कह चुके हैं कि इससे आगे चलकर देश को फायदा होगा और यह भ्रष्टाचार और कालेधन पर रोक लगाने के लिए जनता के हित में लिया गया फैसला है. पिछले हफ्ते संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद से विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को लेकर सरकार पर जमकर हमला कर रही हैं. विपक्ष इस बारे में प्रधानमंत्री के बयान की मांग कर रहा है, हालांकि अभी तक सरकार का यही कहना है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली इस बारे में सरकार का पक्ष रखेंगे.
सरकार का कहना है कि पुराने नोटों के रूप में बैंकों में 88 अरब डॉलर की राशि जमा की गई है और नए नोट बैंकों को भेजे जा रहे हैं. लेकिन बैंकों और एटीएम मशीनों के सामने लंबी कतारें साफ करती हैं कि स्थिति को सामान्य होने में अभी समय लगेगा.
दूसरी तरफ, वित्तीय अखबार मिंट की रिपोर्ट कहती है कि भारतीय अर्थव्यस्था को लेकर पैदा आशंकाओं को देखते हुए विदेशी निवेशक भाग रहे है. रुपया जहां एक तरफ डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर के करीब जा पहुंचा है, वहीं अगले महीने अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक की तरफ से दरें बढ़ाए की संभावना ने उनकी चिंता बढ़ा दी है.
देखिए कैसे बनते हैं करारे करारे नोट
ऐसे बनते हैं करारे नोट
करारे नोट सबको अच्छे लगते हैं. भारत का रुपया हो या यूरोप का यूरो या फिर अमेरिका का डॉलर, ये सब कपास से बनते हैं. जी हां, कागज से नहीं कपास से. चलिए देखते हैं कैसे.
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कपास से नोट तक
भारत समेत कई देशों में नोट बनाने के लिए कपास को कच्चे माल की तरह इस्तेमाल किया जाता है. कागज की तुलना में कपास ज्यादा मुश्किल हालात झेल सकता है. लेकिन नोट बनाने के लिए कपास को पहले एक खास प्रक्रिया से गुजरना होता है.
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आगे दुनिया रहस्यमयी
कपास की ब्लीचिंग और धुलाई करने के बाद उसकी लुग्दी बनाई जाती है. इसका असली फॉर्मूला सीक्रेट है. इसके बाद सिलेंडर मोल्ड पेपर मशीन उस लुग्दी को कागज की लंबी शीट में बदलती है. इसी दौरान नोट में वॉटरमार्क जैसे कई सिक्योरिटी फीचर डाल दिये जाते हैं.
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ठगों से बचने के लिए
यूरोजोन की मुद्रा यूरो में 10 से ज्यादा सिक्योरिटी फीचर होते हैं. इनकी मदद से जालसाजी या नकली मुद्रा के चलन को रोकने की कोशिश होती है. जालसाजी को रोकने के लिए निजी प्रिंटरों पर नकेल कसी जाती है.
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ठग तो ठग हैं
तमाम कोशिशों के बावजूद जालसाज नकली नोट बाजार में पहुंचा ही देते हैं. 2015 में रिकॉर्ड संख्या में नकली यूरो सामने आए. यूरोपीय सेंट्रल बैंक के मुताबिक इस वक्त दुनिया भर में 9,00,000 यूरो के नोट नकली हैं.
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गुमनाम कलाकार
यूरो के नोट डियाजन करने का जिम्मा राइनहोल्ड गेर्स्टेटर का है. उन्हें हर यूरो के नोट पर यूरोप के इतिहास का जिक्र करने में मजा आता है. 5 से 500 यूरो तक के हर नोट पर यूरोपीय इतिहास से जुड़ी छवि जरूर मिलेगी.
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हर नोट अलग
दुनिया के करीब सभी देशों में हर नोट बिल्कुल अनोखा होता है. उसका अपना नंबर होता है. यूरो के नोटों में भी ऐसा नंबर होता है. नोट छापने वाली 12 प्रिटिंग प्रेसें अलग अलग अंदाज में नंबर छापती है. नंबरों के आधार पर ही तय होता है कि कौन से नोट यूरोजोन के किस देश को भेजे जाएंगे.
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500 यूरो की असली कीमत
यूरोजोन में एक नोट छापने की कीमत करीब 16 सेंट आती है. बड़े नोट थोड़े ज्यादा महंगे पड़ते हैं. लागत के हिसाब से सिक्के ज्यादा महंगे पड़ते हैं. उन्हें बनाने में ज्यादा खर्च आता है.
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कंजूसों की नोट छपाई
जर्मनी का संघीय बैंक अब नोट छपाई को आउटसोर्स करना चाह रहा है. खर्च कम करने के लिए ऐसा किया जा रहा है. बीते साल जर्मन प्रिंटर गीजेके डेवरियेंट को अपनी म्यूनिख प्रेस से 700 कर्मचारियों की छुट्टी करनी पड़ी. कंपनी को मलेशिया और लाइपजिग में नोट छापना सस्ता पड़ रहा है.
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समय समय पर नयापन
एक नोट को जस का तस बाजार में बहुत समय तक नहीं रखा जा सकता. ऐसा करने से नकली नोट बनाने वालों को मौका मिलता है. लिहाजा समय समय पर नोटों का डिजायन बदला जाता है. आम तौर पर 5,10,20,50,100 और 500 के नोटों को अलग अलग सालों में बदला जाता है.