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मनमोहन पर जूता फेंकने की कोशिश

कुलदीप कुमार, नई दिल्ली२७ अप्रैल २००९

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर एक चुनावी जनसभा में जूता फेंकने की कोशिश की गई है. जूता प्रधानमंत्री तक नहीं पहुंच पाया और जूता फेंकने वाले को तत्काल हिरासत में ले लिया गया है. प्रधानमंत्री अहमदाबाद में सभा कर रहे थे.

अहमदाबाद में कर रहे थे सभातस्वीर: Fotoagentur UNI

अहमदाबाद में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एक चुनावसभा में पांच मिनट ही बोल पाए थे कि एक युवक ने उठ कर उन पर जूता फेंकने की कोशिश की. चूंकि सुरक्षा कारणों से मंच काफी दूर और ऊंचा बनाया गया था, इसलिए जूता मंच तक पहुंचने से पहले ही ज़मीन पर गिर गया.

आडवाणी पर भी फेंका जा चुका है जूतातस्वीर: UNI

मनमोहन सिंह ने इस घटना को देखा तो, पर बिना रुके उन्होंने अपना भाषण जारी रखा. सुरक्षाकर्मी तुंरत युवक को पकड़ कर बाहर ले गए. पूछताछ से पता चला कि उसका नाम हितेश चह्वाण है, वह कंप्यूटर इंजीनियरिंग का छात्र है और उसने पब्लिसिटी पाने के लिए जूता फेंका.

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह प्रवृत्ति बढती जा रही है और सोचने की बात है कि प्रधानमंत्री या आडवाणी जैसे व्यक्तियों के ऊपर फेंके जाने वाली चीज़ यदि जूता न होकर कुछ और होती तो क्या होता? बीजेपी के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि सभी दलों को मिलकर ऐसी घटनाओं की निंदा करनी चाहिए क्योंकि यह लोकतंत्र का अपमान है.

राहुल को गंभीरता से लेना ही होगा: प्रियंका गांधीतस्वीर: Fotoagentur UNI

इस बीच ऐसी रिपोर्टें हैं कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस युवक को माफ़ करते हुए पुलिस से कहा कि उसके खिलाफ कोई केस दर्ज न किया जाए.

उधर वामपंथी दलों और कांग्रेस के बीच वाकयुद्ध तेज़ होता जा रहा है. शनिवार को पार्टी महासचिव राहुल गांधी ने कोलकाता में पश्चिम बंगाल की वाममोर्चा सरकार की विकासविरोधी नीतियों की आलोचना की थी और इसके जवाब में सीपीएम के सांसद मोहम्मद सलीम ने कहा था कि वह राहुल गांधी को गंभीरता से नहीं लेते. सलीम ने यह भी कहा था कि यदि कांग्रेस उन्हें गंभीरता से लेती तो प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाती.

जब प्रियंका गांधी से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सभी को राहुल गांधी को गंभीरता से लेना होगा, आज नहीं तो कल. सीपीएम महासचिव प्रकाश कारत ने एक टीवी चैनल को दिए इन्टरव्यू में कहा है कि कई बार राज्यसभा के सदस्यों को प्रधानमंत्री पद पर देखा जा चुका है. इस बार वामदल किसी लोकसभा सदस्य को ही प्रधानमंत्री बनने के लिए समर्थन देंगे.

इसका एक अर्थ यह है कि यदि कोई ऐसी स्थिति बनी कि वामदलों को अपनी घोषित नीति को छोड़ कर कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देना पड़ा, तो भी वे मनमोहन सिंह को समर्थन नहीं देंगे. समाजवादी पार्टी के महासचिव अमर सिंह ने वामदलों से कहा है कि जब तक उनके साथ मायावती हैं, समाजवादी पार्टी तीसरे मोर्चे में शामिल नहीं हो सकती.

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