मनमोहन सिंह ही रहेंगे प्रधानमंत्री
३१ दिसम्बर २०१३इसी प्रेस कांफ्रेंस की खबरों की वजह से अटकलों का दौर शुरू हुआ और मीडिया में कयास लगने लगा कि प्रधानमंत्री सिंह तय वक्त से पहले ही पद से हट जाएंगे और उनकी जगह उस व्यक्ति को कामचलाऊ प्रधानमंत्री बनाया जाएगा, जो आने वाले चुनावों में बीजेपी के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को टक्कर दे सके. यहां तक कि राहुल गांधी का नाम भी सामने आने लगा. हालांकि इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से संदेश आया, "प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा करेंगे." पीएमओ ने उन रिपोर्टों को बकवास बताया, जिनमें ऐसी बातें कही गई हैं.
कांग्रेस पार्टी के अंदर एक बड़ा तबका राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने का दबाव बना रहा है, खास तौर पर हाल में हुए विधानसभा चुनावों के बाद. सोमवार को वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम ने भी इस बात की मांग की कि कांग्रेस को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार तय कर देना चाहिए, "मेरे विचार से पार्टी को एक ऐसे व्यक्ति को आगे बढ़ाना चाहिए, जो पार्टी की जीत होने पर प्रधानमंत्री बन सकता है. यह मेरा विचार है लेकिन फैसला पार्टी को ही करना है."
हाल के दिनों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे और पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकपाल बिल और दूसरे मुद्दों पर बढ़ चढ़ कर काम किया है. यहां तक कि मुंबई के आदर्श घोटाले में अपनी ही राज्य सरकार के खिलाफ बयान दिया है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एक से ज्यादा बार कह चुके हैं कि राहुल गांधी अच्छे प्रधानमंत्री बन सकते हैं, "मैंने हमेशा कहा है कि 2014 चुनावों के बाद राहुल गांधी एक आदर्श प्रधानमंत्री हो सकते हैं. मैं राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस में काम करना पसंद करूंगा."
शुक्रवार को होने वाले प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री नीतिगत मामलों पर सफाई देने की कोशिश कर सकते हैं और अपने सरकार के विरोधियों को जवाब दे सकते हैं. यह भी हो सकता है कि यूपीए के 10 साल की उपलब्धियों पर एक रिपोर्ट जारी करें. हालांकि ये बातें सिर्फ अटकलें ही हैं.
दो बार प्रधानमंत्री रहने वाले मनमोहन सिंह आम तौर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करते. अपने मौजूदा कार्यकाल में उन्होंने सिर्फ दो बार बड़े प्रेस कॉन्फ्रेंस किए हैं, जिसके अलावा वह कभी कभी बड़े संपादकों से भी मिले हैं. 2004-09 का पहला कार्यकाल उनके लिए सफलता लेकर आया था. लेकिन 2009 में शुरू हुआ दूसरा कार्यकाल कॉमनवेल्थ खेलों के घोटाले से शुरू हुआ, जो टेलीकॉम और आदर्श से होता हुआ कोयला घोटाले की राह पर चला गया. इस दौरान भारत में बेतहाशा महंगाई बढ़ी है और आर्थिक विकास की दर भी घटी है.
एजेए/एमजे (पीटीआई)