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मनमोहन, सोनिया और सिब्बल पर बरसे अन्ना

२९ जून २०११

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने केंद्र सरकार पर कटाक्ष किया. अन्ना ने केंद्र के कुछ नेताओं को 'सत्ता के नशे में चूर' करार दिया. उन्होंने आरोप लगाया है कि लोकपाल बिल के मसौदे पर प्रधानमंत्री पर दबाव डाला जा रहा है.

तस्वीर: picture alliance/dpa

74 वर्षीय अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया को आड़े हाथों लेते हुए कहा, "व्यक्तिगत रूप से मुझे नहीं लगता कि मनमोहन लोकपाल के दायरे में आने से भयभीत हैं. लेकिन उन्हें रिमोट कंट्रोल से नियंत्रित किया जा रहा है. हाल ही में मैंने उन्हें एक पत्र लिखा और पूछा कि वह लोकपाल के दायरे में क्यों नहीं आना चाह रहे हैं. उन्होंने पत्र का जवाब नहीं दिया. जब मैं उनसे मिला तब भी मैंने यही सवाल किया कि उनके जैसे साफ छवि वाले और लोगों की तारीफें बटोरने वाले लोकपाल के दायरे में क्यों नहीं आना चाहते हैं. उन्होंने कुछ नहीं कहा."

मंगलवार को नई दिल्ली में अन्ना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बातें कहीं. जब उनसे यह पूछा गया कि क्या सरकार की तरफ से सकारात्मक प्रतिक्रिया ने मिलने पर वह आमरण अनशन पर बैठने को मजबूर होंगे, इस पर अन्ना ने कहा, "सरकार में ऐसे लोग हैं जो सत्ता के नशे में चूर हैं." माना जा रहा है कि अन्ना ने कपिल सिब्बल जैसे नेताओं पर निशाना साधा है. लोकपाल बिल के मसौदे के लिए बनाई गई समिति में सरकार की तरफ से कपिल सिब्बल ही सबसे ज्यादा सक्रिय हैं. सिब्बल बार बार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि मसौदा सरकार अपनी मर्जी के मुताबिक बनाएगी.

फिर से अनशन की तैयारी में अन्नातस्वीर: UNI

अन्ना हजारे की अगुवाई में समिति में शामिल सिविल सोसाइटी के सदस्य कड़ा मसौदा बनाने की मांग कर रहे हैं. सरकार की तरफ उनकी मांग नजरअंदाज किए जाने की स्थिति में अन्ना ने कहा, "मैं किसी भी तरह के परिणाम के लिए तैयार हूं. यदि जरूरी हुआ तो हम हिंसक तरीका अपनाए बिना सिर्फ लाठी ही नहीं गोली का भी सामना करेंगे."

अन्ना के विरोध के मद्देनजर सरकार विपक्षी पार्टियों से मसौदे पर सलाह मशविरा करने जा रही है. सरकार को लग रहा है कि विपक्ष अगर मान जाए तो लोकतंत्र का हवाला देकर सिविल सोसाइटी बाहरी तत्व करार दिया जाएगा और उसकी मांग को दबाया जा सकेगा. सरकार की इस कोशिश पर अन्ना कहते हैं, "बाहरी मतदाता संसद से ऊपर हैं. 18 साल की उम्र में वोटर जब ग्राम सभा का सदस्य बन जाता है तो वह सरकार बनाने वाले लोगों को चुनता है. वह राजा है और उसे अधिकार है कि अगर सत्ताधारी लोगों को हितों में फैसला न करें तो वह सफाई मांगे. आप देश के लोगों को बाहरी कैसे कह सकते हैं."

अन्ना की विपक्ष से अपील है कि वह लोकपाल बिल के मसौदे को लेकर आम लोगों की भावनाओं का ख्याल रखे. इस संबंध में गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता सभी राजनीतिक पार्टियों के प्रमुख नेताओं से मुलाकात करने की योजना भी बना रहे हैं.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: एस गौड़

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