मलकानगिरी के डीएम आखिरकार रिहा
२५ फ़रवरी २०११आईआईटी में पढ़ाई कर चुके और फिर आईएएस बनने वाले कृष्णा को उस समय अगवा कर लिया गया जब वह जनता की अदालत के लिए जा रहे थे. उनके साथ जूनियर इंजीनियर पबित्र माझी का भी अपहरण कर लिया गया. माझी को पहले ही छोड़ा जा चुका है. 2005 के आईएएस अधिकारी के लौटने पर लोगों ने खुशी जाहिर की.
कृष्णा को फूलों और नोटों का हार पहनाया गया. कृष्णा ने रिहाई के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा, "लोगों के प्यार और सम्मान से मैं बहुत भावुक महसूस कर रहा हूं. मैं राज्य सरकार, मध्यस्थों और जनता के समर्थन के लिए उनका आभारी हूं." कृष्णा के पिता ने भी सबका शुक्रिया अदा किया है. कृष्णा से जब पूछा गया कि माओवादियों ने उनका अपहरण क्यों किया तो उन्होंने कहा कि वह भी हैरान हैं. कृष्णा का कहना है कि माओवादियों ने उनके साथ अच्छा बर्ताव किया.
"जब माओवादियों ने मेरा अपहरण किया तो मैं हैरान रह गया. यह तो आपको उन्हीं से पूछना होगा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया." कृष्णा की रिहाई पर उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी राहत की सांस ली है. एक अखबार के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि माओवादियों के साथ सरकार कुछ मुद्दों पर सहमत हुई है. सरकार अपने वादे को निभाएगी.
आरवी कृष्णा और पबित्र माझी का अपहरण 16 फरवरी को मलकानगिरी जिले में किया गया. मध्यस्थों के जरिए सरकार ने माओवादियों के साथ बातचीत की और बंधकों की रिहाई की कोशिशों को आगे बढ़ाया. मंगलवार रात को एक समझौते पर सहमति बनी जिसके बाद दोनों बंधकों को 48 घंटे में छोड़ने की बात कही गई.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बंधकों की रिहाई के बदले उड़ीसा सरकार माओवादियों की 14 मांगों को मानने के लिए राजी हो गई. इनमें जेल से कुछ माओवादियों को रिहा किया जाना भी शामिल है. समझौते की घोषणा के कुछ ही घंटे बाद पबित्र माझी तो लौट आए लेकिन कृष्णा नहीं लौटे जिससे राज्य सरकार में चिंता बढ़ी. माओवादियों ने सरकार के सामने अपनी कुछ और मांगे रखी हालांकि मध्यस्थों ने उन्हें नई शर्तें न रखने के लिए कहा.
मध्यस्थों के साथ माओवादियों की नए दौर की वार्ता शुरू हो रही थी लेकिन अचानक डीएम कृष्णा को रिहा कर दिया गया. अभी यह साफ नहीं है कि पहले समझौते से पलटने और नई शर्तों को रखने के बावजूद कृष्णा को अचानक रिहा करने का फैसला माओवादियों ने क्यों लिया.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ईशा भाटिया