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आपदामोरक्को

मलबे के बीच मदद के इंतजार में मोरक्को के भूकंप पीड़ित

१२ सितम्बर २०२३

बेघर, भयभीत और कुछ मामलों में अधिकारियों की उपेक्षा महसूस कर रहे मोरक्को के कई भूकंप पीड़ित जान बचने पर भी आगे की सोच कर डरे हुए हैं. विनाशकारी भूकंप ने इनका सबकुछ छीन लिया है.

मोरक्को में भूकंप की तबाही
भूकंप के बाद खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर लोगतस्वीर: Gilles Bader/dpa/MAXPPP/picture alliance

उत्तर अफ्रीकी देश में भूकंपकी तबाही ने उसके आपातकालीन संसाधनों पर बड़ा बोझ डाल दिया है. बहुत से लोगों का सबकुछ छिन गया है और उन तक मदद नहीं पहुंची है. ये लोग दुखी और नाराज हैं. 43 साल की खदीजा आइतलकिद एटलस पर्वतमाला के सुदूर गांव मिसिरात में रहती थीं. उनका कहना है, "हम यहां बेसहारा महसूस कर रहे हैं, कोई हमारी मदद के लिए नहीं आया." छोटे से घर के मलबे के सामने खड़ी होकर वह पूछती हैं, "हमारे घर गिर गए हैं...हम रहने के लिए कहां जाएं."

मलबे में से शवों को निकाला जा रहा है लेकिन मवेशी दबे हुए हैं और उनके शव सड़ रहे हैंतस्वीर: FADEL SENNA/AFP

मलबे में फंसे लोगों को बचाने में जुटा मोरक्को

जिधर देखिए मलबा है

इलाके में हर तरफ मौत और तबाही का मंजर दिख रहा है. गांव में रहने वाले लोगों की संख्या 100 से कम है. अब तक 16 लोगों के शव मलबे से निकाले जा चुके हैं लेकिन उनके मवेशी अब भी लकड़ियों और पत्थरों के नीचे दबे हुए हैं और उनके शव सड़ रहे हैं, जिसकी गंध हवा में है. भूकंप की चपेट में आ कर मरने वालों की तादाद अब 2,900 तक पहुंच गई है. घायलों की संख्या 5,000 से ऊपर है और उनमें बहुतों की हालत गंभीर है.

मराकेश के दक्षिण में मौजूद गांव मूले ब्राहिम को भी काफी नुकसान हुआ है. वहां 20 लोगों की मौत हुई है. इसी गांव के मोहम्मद बुआजिज ने बताया, "हमें कुछ मदद मिली है... लेकिन वह पर्याप्त नहीं है."

लोग खतरा उठा कर टूटे घरों से बचा खुचा सामान निकाल रहे हैंतस्वीर: FETHI BELAID/AFP

29 साल के बुआजिज उस स्थानीय समूह में शामिल हैं जो यहां बेघर हुए 600 लोगों तक मदद पहुंचाने की कोशिश में हैं.

स्थानीय अधिकारियों और इलाके के दानदाताओं की मदद से इंतिकाला नाम के इस समूह ने 9 शिविर तैयार किए हैं, जहां महिलाएं और बच्चे रह रहे हैं. कुछ लोग खतरा उठा कर गिरे हुए घरों के अंदर से बचा खुचा सामान निकाल रहे हैं ताकि बिस्तर, कंबल और खाना बनाने के बर्तन जैसी चीजें मिल सकें.

सरकारी सहायता का इंतजार

मराकेश से 300 किलोमीटर दक्षिण में मिसिरात गांव के मोहम्मद आइतलकिद जब चारों तरफ नजर घुमाते हैं तो कोई सरकारी सहायताकर्मी या बचावकर्मी नजर नहीं आता. 28 साल के आइतिलकिद का कहना है, "सिर्फ एक बार ही हमने अधिकारियों को देखा जब वो पीड़ितों की संख्या गिनने भूकंप के कुछ ही घंटे बाद आए थे. उसके बाद से हमने उन्हें नहीं देखा...यहां कोई नहीं आया."

मोरक्को में भूकंप, बढ़ सकती है मृतकों की संख्या

मिसिरात में सरकारी मदद नहीं पहुंचने की कई और लोगों ने शिकायत की है हालांकि गृह मंत्रालय ने सोमवार को बयान जारी कर बताया कि कैसे मदद पहुंचाई जा रही है. मंत्रालय ने कहा, "अधिकारी लोगों को बचाने, सुरक्षित जगह पर पहुंचाने, घायलों की देखभाल में जुटे हैं और सभी जरूरी संसाधनों को जुटा रहे हैं."

स्थानीय राहतकर्मियों के दल ने कुछ अस्थायी शिविर बनाए हैंतस्वीर: FETHI BELAID/AFP

सरकारी कोशिशों के अलावा निजी तौर पर भी लोग खाना, पानी और कंबल पीड़ित लोगों तक पहुंचाने की कोशिश में जुटे हैं. कई जगहों पर सड़कें मलबे से भरी हुई हैं इसलिए भी मदद पहुंचने में मुश्किल हो रही है. 

भूकंप के 48 घंटे बाद मूले ब्राहिम में जब पानी की सप्लाई बहाल हुई तो जो घर बचे रह गए हैं वहां के लोगों ने परिवारों के साथ बाथरूम साझा किए. इसी तरह से जो कुछ भी संभव हो रहा है निजी और स्थानीय स्तर पर मदद जुटाई जा रही है. लोग इस उम्मीद में हैं कि जल्दी ही सरकारी या अंतरराष्ट्रीय सहायता उन तक पहुंचेगी.

एनआर/ओएसजे (एएफपी)

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