मलहम बचाएगा एड्स के खतरे से
२० जुलाई २०१०यह बात दक्षिण अफ्रीका में हुए एक अध्ययन के जरिए सामने आई है. एड्स की रोकथाम के मामले में यह एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. यह जेल ऐसी महिलाओं के लिए कारगर साबित हो सकता है, जिनके पार्टनर्स कंडोम का इस्तेमाल नहीं करते या नहीं करना चाहते.
हालांकि रिसर्चर्स का कहना है कि अभी एक और अध्ययन के जरिए इस जेल के नतीजों की पुष्टि की जानी है. इसके अलावा इस जेल से मिलने वाली सुरक्षा फिलहाल इतनी नहीं है कि उसे अमेरिका जैसे देशों में मान्यता मिल सके. अमेरिका में मान्यता मिलने के लिए इसकी सुरक्षा 80 फीसदी तक होनी चाहिए. लेकिन वैज्ञानिक निराश नहीं हैं. उन्हें उम्मीद है कि इसमें सुधार किया जा सकता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की संस्था यूएनएड्स के कार्यकारी निदेशक मिशेल सिदीबे कहते हैं कि हम महिलाओं को एक नई उम्मीद दे रहे हैं. इससे हमें एड्स के कुचक्र को तोड़ने में मदद मिल सकती है.
दुनिया भर में एड्स के मामले जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, उन्हें देखते हुए इस तरह की चीजें काफी उपयोगी साबित हो सकती हैं. एड्स खासकर ऐसे तबकों में बढ़ रहा है जहां किसी तरह के सुरक्षा साधनों की पहुंच न के बराबर है. मसलन, हाल ही में आई यूनिसेफ की एक रिपोर्ट चौंकाने वाले खुलासे करती है.
रिपोर्ट कहती है कि पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में एड्स के मामलों में बेहद तेजी से बढ़ोतरी हुई है. अकेले रूस में 2006 से अब तक एड्स के मरीजों में 700 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. दुनिया के किसी और हिस्से में एड्स के मरीजों में इतनी वृद्धि नहीं देखी गई.
पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में 2001 में एड्स के मरीजों की संख्या 9 लाख थी, जो अब बढ़कर 15 लाख को पार कर चुकी है. प्रभावितों में एक तिहाई किशोर हैं जबकि 80 फीसदी लोगों की उम्र 30 साल से कम है.
एड्स प्रभावित लोगों में सबसे ज्यादा वेश्याएं और सड़कों पर रहने वाले बच्चे हैं. एड्स की सबसे बड़ी वजह भी सेक्स और ड्रग्स हैं.
ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि एड्स से बचने के लिए ऐसे उपायों की सख्त जरूरत है, जो आसानी से इस्तेमाल किए जा सकें. वैज्ञानिक मानते हैं कि नया जेल इस मामले में ज्यादा उपयोगी साबित हो सकता है. इस जेल को महिलाएं अपनी योनी में लगाकर ही एड्स के खतरे को आधा कर सकती हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः महेश झा