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मलाला के बाद स्वात पर खतरा

१२ अक्टूबर २०१२

पाकिस्तान की नन्ही कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई पर हमले के बाद स्वात घाटी में स्कूल जाने वाले बच्चे दहशत में हैं. उन्हें इस बात का डर है कि तालिबान किसी और को भी निशाना बना सकता है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

तीन साल से तालिबान की नजर मलाला पर थी और उसने एलान कर रखा था कि वह उसे अपना निशाना बनाएगा. महिलाओं की पढ़ाई की वकालत करने वाली मलाला पर हमले के बाद उसकी स्थिति नाजुक बनी हुई है और उसे रावलपिंडी के अस्पताल ले जाया गया है.

किसी जमाने में इस जगह को पाकिस्तान का स्विट्जरलैंड कहा जाता था. लेकिन इसके बाद यहां तालिबान का बोलबाला हो गया. लंबी लड़ाई के बाद जुलाई 2009 में पाकिस्तानी सेना ने मौलाना फजलुल्लाह के समर्थकों को हराया और इसे मुक्त इलाका घोषित किया. वहां दो साल से ज्यादा संघर्ष चला.

इस संघर्ष का अमेरिका ने भी स्वागत किया. पाकिस्तान घर के अंदर जब से तालिबान और दूसरे कट्टरपंथियों से जूझ रहा है, उनमें से यह सबसे सफल ऑपरेशन रहा. लेकिन मलाला पर हमले के बाद एक बार फिर से खतरा उभरने लगा है. तालिबान लड़ाके ने मलाला की बस पर चढ़ कर पूछा था कि इन बच्चियों में वह कौन है. स्वात के मां बाप को फिर से खतरा लगने लगा है.

मलाला के दूर के रिश्तेदार रहीम खान का कहना है, "हालांकि स्वात में आम तौर पर शांति है लेकिन इस ताजे हमले ने हम लोगों को चिंता में डाल दिया है." इस इलाके में मलाला इकलौती नहीं, जिस पर हमला किया गया है.

पिछले कुछ महीनों के दौरान दो ऐसे कारोबारियों की हत्या कर दी गई थी, जो खुल कर चरमपंथियों का विरोध करते थे. इसके अलावा दो लोग बुरी तरह घायल भी हो गए थे. शांति कार्यकर्ता मुख्यार यूसुफजई का कहना है, "पिछले तीन चार महीनों में अनजान लोगों ने यहां के बुजुर्गों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है. ऐसे लोगों को, जो स्वात में शांति चाहते हैं."

यूसुफजई ने बताया कि मलाला के पहले चार बुजुर्ग लोगों को निशाना बनाया गया और वह भी निशाने पर हैं. पाकिस्तान की सेना का दावा है कि उन्होंने ज्यादातर तालिबान लड़ाकों को मार दिया है. लेकिन सच्चाई तो यह है कि उनमें से कई पाकिस्तान की सीमा पार करके अफगानिस्तान पहुंच गए हैं. उनके सरगना फजलुल्लाह को कभी नहीं पकड़ा जा सका है. हालांकि उसके सिर पर भारी भरकम इनाम भी है.

स्वात में बच्चेतस्वीर: picture-alliance/dpa

स्थानीय लोगों की नाराजगी है कि किस तरह से हमलावर दिन दहाड़े गोली मार कर भाग सकते हैं और पुलिस उनका कुछ नहीं कर पाती है. पुलिस का कहना है कि यह घाटी वाला इलाका है और वहां तलाशी का काम इतना आसान नहीं.

मलाला अपने पिता जियाउद्दीन के स्कूल खुशहाल पब्लिक स्कूल में जाती थी और उसके रिश्तेदारों को कभी नहीं लगता था कि उसे सुरक्षा की जरूरत है. लेकिन उस पर हमले के बाद लोग स्तब्ध हैं. मलाला के घर लोगों का तांता लगा है. पाकिस्तान के सुरक्षा एक्सपर्ट इम्तियाज गुल का कहना है, "मुझे लगता है कि तालिबान के कई लोगों की पहचान नहीं हो पाई और वे आम जनता के बीच घुस चुके हैं."

आम जनता से लेकर मीडिया तक ने तालिबान के खिलाफ लोगों को उठ खड़े होने के लिए कहा है.

एजेए/एमजे (एएफपी)

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