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मलाला पर हमले का "अफसोस"

१८ जुलाई २०१३

पंद्रह साल की बच्ची पर हमला करके लगभग उसकी जान ले लेने वाले तालिबान को अफसोस है कि मलाला पर कातिलाना हमला किया गया. अब उसका एक कमांडर उसे घर वापस बुला रहा है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

तालिबान के एक प्रमुख कमांडर ने समाचार एजेंसियों को चिट्ठी लिख कर अपनी बात कही है. अदनान रशीद के इस खत में हालांकि माफी नहीं मांगी गई है लेकिन कहा गया है कि उसे हमले के बारे में पता लगने पर "सदमा" पहुंचा.

तालिबान ने पिछले साल स्कूल बस में घुस कर घर लौट रही मलाला पर गोलियां चलाई थीं, जो उसके सिर में लगीं. मलाला कई दिनों तक मौत से जूझती रही और आखिरकार ब्रिटेन में इलाज के बाद अब दुरुस्त है. उसने पिछले हफ्ते अपनी 16वीं सालगिरह पर संयुक्त राष्ट्र में ओजस्वी भाषण दिया, जिसमें उसने तालिबान के इस हमले को "नाकामी" बताया.

तालिबान ने किया था मलाला पर हमलातस्वीर: Naseer Mehsud/AFP/Getty Images

इस भाषण का जिक्र करते हुए रशीद ने लिखा, "तुमने कल कहा कि कलम की ताकत तलवार से ज्यादा होती है. इसलिए उन्होंने तुम्हारी तलवार की वजह से तुम पर हमला किया था, तुम्हारी किताबों या स्कूल की वजह से नहीं."

तालिबान कमांडर का कहना है कि खत में उसके निजी विचार हैं तालिबान के नहीं. हालांकि तालिबान ने पुख्ता किया है कि अंग्रेजी में लिखी गई यह चिट्ठी बिलकुल असली है. मलाला को इस बीच नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी नामित किया जा चुका है.

उसने खत में जातीय जज्बात भी डाले हैं, "मैं तुमसे भाई की तरह जुड़ा महसूस करता हूं क्योंकि मेरी ही तरह तुम भी यूसुफजई कबीले की हो. जब तुम पर हमला हुआ, तो मुझे सदमा पहुंचा. मैं दुआ करता हूं कि ऐसा दोबारा न हो."

रशीद का कहना है कि तालिबान ने मलाला की पढ़ाई की वजह से उस पर हमला नहीं किया, बल्कि इसलिए किया क्योंकि 2008 और 2009 में जब पाकिस्तानी सेना ने स्वात में तालिबान के खिलाफ अभियान चलाया, तो मलाला ने तालिबान के खिलाफ अपनी बातें रखी थीं.

पिछले साल ही जेल तोड़ कर भागने वाले रशीद ने लिखा कि उसका संगठन लड़कों या लड़कियों की पढ़ाई का विरोध नहीं करता, बल्कि वह चाहता है कि वे इस्लामी इल्म हासिल करें, स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली "शैतानी शिक्षा" नहीं. उसका दावा है कि तालिबान उन्हीं स्कूलों को निशाना बनाता है, जहां पाकिस्तानी सैनिक छिपते हैं. टीचर और सामाजिक कार्यकर्ता इस बात को सही नहीं मानते.

ब्रिटेन में इलाज के दौरान मलालातस्वीर: DW

उसने मलाला को संयुक्त राष्ट्र में बुलाने और उसकी इज्जतअफजाई की भी निंदा की है और कहा है कि दुनिया इस बात पर ध्यान नहीं देती कि अमेरिकी ड्रोन हमलों में पाकिस्तान के बेकसूर नागरिक मारे जा रहे हैं.

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री और अब संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक शिक्षा राजदूत गॉर्डन ब्राउन ने चिट्ठी की सारी बातों को खारिज कर दिया है. उनका कहना है, "मलाला को लेकर तालिबान की एक भी बात का कोई तब तक यकीन नहीं कर सकता है, जब तक वे स्कूलों को जलाना बंद नहीं करते."

हालांकि रशीद ने मलाला को पाकिस्तान वापस बुलाया है और सलाह दी है कि वह एक इस्लामी स्कूल में दाखिला ले, "अपनी कलम का इस्तेमाल इस्लाम और मुसलमानों के लिए करो. और उस अल्पसंख्यक समुदाय का पर्दाफाश करो, जो पूरी दुनिया को तबाह करने पर तुले हैं."

एजेए/एमजे (एपी, रॉयटर्स)

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