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मलेरिया का इलाज कर सकती है कीमोथेरेपी

२१ अप्रैल २०११

यूरोप के रिसर्चरों ने पता लगाया है कि कैंसर के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली कीमोथेरेपी उन परजीवियों को भी मार देती है जो मलेरिया फैलाते हैं. यूरोपीय आयोग ने इस खोज को मलेरिया के इलाज में अहम कदम बताया है.

Anopheles-Mücke, auch Malaria-Mücke genannt, 45-fach vergrößert. (Vergrößerung bei 12cm Kantenlänge) Foto: eye of science/Oliver Meckes (eingestellt 02/2011)
तस्वीर: eye of science/Oliver Meckes

यूरोपीय संघ के रिसर्च आयोग की अध्यक्ष मारी गेओगहेगान-क्विन ने कहा, "यह खोज मलेरिया के लिए एक प्रभाविशाली इलाज के विकास में अहम साबित हो सकती है. यह न सिर्फ लाखों जिंदगियां बचा सकती है बल्कि अनगिनत जिंदगियां बदल सकती है."

कीमोथेरेपी रोकेगी

इस खोज पर ब्रिटेन, फ्रांस और स्विट्जरलैंड की लैब में काम हुआ. यूरोपीय संघ के अनुदान पर आधारित इस खोज में डॉक्टरों ने पाया कि मलेरिया फैलाने वाले प्लासमोडियम परजीवी मानव कोशिकाओं के एंजाइम पर कब्जा कर लेते हैं और वहां अपनी संख्या बढ़ाते हैं. कीमोथेरेपी की दवाओं से इन परजीवियों को रोका जा सकता है.

तस्वीर: picture alliance/dpa

वैज्ञानिक मानते हैं कि यह खोज प्लासमोडियम कोशिकाओं को परजीवियों का घर बनने से रोक सकती है. अब परजीवियों पर सीधा हमला किया जा सकेगा. यूरोपीय रिसर्च आयोग ने कहा, "इस रणनीति से परजीवी के दवा के प्रतिरोधक होने की प्रक्रिया को रोका जा सकता है."

मलेरिया का इलाज खत्म

विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी है कि मलेरिया के सबसे प्रभावशाली इलाज के खात्मे का खतरा पैदा हो गया है क्योंकि परजीवियों ने दवाओं के प्रतिरोध की क्षमता विकसित कर ली है. ऐसे परजीवी कंबोडिया और थाईलैंड की सीमा पर मिले हैं, जिन पर दवाओं का असर ही नहीं होता.

तस्वीर: AP

वैसे कीमोथेरेपी दवाएं अपने साइड इफेक्ट्स के लिए बदनाम हैं. लेकिन उम्मीद की जा रही है कि मलेरिया के इलाज में वे इतनी भयानक साबित नहीं होंगी, क्योंकि कैंसर के मुकाबले यह इलाज काफी कम देर का होगा.

अब क्लीनिकल परीक्षणों के जरिए मलेरिया के लिए खास दवाएं तैयार करने पर काम शुरू किया जाएगा. 25 अप्रैल को दुनिया में सालाना मलेरिया दिवस मनाया जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 2009 में 22 करोड़ से ज्यादा लोग मलेरिया का शिकार हुए. इनमें से आठ लाख की जान चली गई.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ईशा भाटिया

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