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मलेशियाई खिलाड़ी बाद में रखेंगे रोजा

२४ जुलाई २०१२

ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले मलेशिया के खिलाड़ियों को रमजान के दौरान रोजा न रखने की छूट मिल गई है. वे लोग ओलंपिक खत्म होने के बाद रोजा रख सकते हैं. इस बार के ओलंपिक रमजान के दौरान पड़ रहे हैं.

तस्वीर: privat

मलेशिया के नेशनल फतवा काउंसिल के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि ओलंपिक के खिलाड़ी राष्ट्र के गौरव के लिए हिस्सा ले रहे हैं और इसलिए उन्हें इस बात की इजाजत है कि वह बाद में रोजा रख सकते हैं.

मुफ्ती हारुसनी जकारिया ने कहा, "वे ओलंपिक में जा रहे हैं ताकि देश का सम्मान बढ़ा सकें. वे जब मलेशिया लौटेंगे, तब रोजा रख सकते हैं. कुरान में कहा गया है कि अगर आप किसी मिशन पर हैं, तो अपने रोजा को मुलतवी कर सकते हैं. लेकिन बाद में आपको उतने दिन रोजा रखना होगा, जो आपसे छूटा है."

1980 के मॉस्को ओलंपिक के बाद यह पहला मौका है, जब ये खेल मुसलमानों के पवित्र महीने रमजान में पड़ रहे हैं. इस्लामी कैलेंडर चंद्रमा की गति पर आधारित होता है, जिसमें महीने के 29 या 30 दिन होते हैं. इस वजह से वह अंग्रेजी कैलेंडर से हर साल लगभग दो हफ्ते छोटा होता है. यही वजह है कि रमजान हर साल पिछले साल के मुकाबले थोड़ा पहले शुरू होता है.

बाद में रोजा

मलेशिया की 30 सदस्यीय टीम ओलंपिक में हिस्सा लेने ब्रिटेन की राजधानी लंदन जा रही है. इनमें से 11 मुस्लिम खिलाड़ी हैं. मीडिया ने रिपोर्ट दी है कि देश के बड़े साइक्लिस्ट अजीजुलहसनी अवांग बाद में रोजा रखेंगे. उन्होंने 2009 के ट्रैक साइकिल चैंपियनशिप में रजत पदक जीता है और उन्हें ओलंपिक में मेडल का दावेदार माना जा रहा है.

Großbritannien Symbolbild Olympische Spiele in London Tower Bridge und Ringe Regenschirmतस्वीर: Reuters

मलेशिया ओलंपिक काउंसिल के सचिव सीह कोक चीह ने भी कहा है कि खिलाड़ियों को ओलंपिक के दौरान रोजा नहीं रखना है, "उनके जीवन में ऐसा एक ही मौका मिलता है. उन्हें एक या दो दिन रोजे को छोड़ना होगा ताकि पदक जीतने की संभावना बढ़ सके." मलेशिया के खिलाड़ी नौ प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें से मुस्लिम खिलाड़ी निशानेबाजी, साइक्लिंग, तीरंदाजी, नौकायन और ट्रैक एंड फील्ड में हिस्सा ले रहे हैं.

उदार धर्म इस्लाम

मलेशिया की मशहूर महिला निशानेबाज नूर सुरयानी मुहम्मद तैयबी आठ महीने की गर्भवती हैं. इस वजह से उन्हें रोजा रखने से छूट मिली हुई है. उनका कहना है कि सभी खिलाड़ियों को छूट मिलनी चाहिए, "इस्लाम एक उदार धर्म है. धर्म लोगों पर जबरदस्ती नहीं करता. जब हम लंदन जा रहे हैं, तो हम मुसाफिर माने जाएंगे. इस्लाम इस बात की इजाजत देता है कि सफर के दौरान आप रोजा न रखें."

ब्रिटेन के अखबार द डेली मेल ने 2006 में रिपोर्ट दी थी कि इस्लामी मानवाधिकार कमीशन ने कहा था कि ओलंपिक का समय उपयुक्त नहीं है. तुर्की, मिस्र और मोरक्को ने समय बदलने की भी अर्जी दी, जिसे नहीं माना गया. अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी ने यह कहा था कि खेल एक धर्मनिरपेक्ष टूर्नामेंट है.

ओलंपिक खेल से मशहूर ये खेल बुनियादी तौर पर समर ओलंपिक यानी गर्मियों का ओलंपिक है. यानी इन खेलों को हर चार साल पर गर्मियों में आयोजित किया जाता है. लेकिन इसकी कोई तय तारीख नहीं है. हर मेजबान अपने गर्मी के मौसम को ध्यान में रखते हुए इसे आयोजित करता है. मेलबर्न के ओलंपिक खेल नवंबर दिसंबर में हुए थे, जबकि यह अप्रैल में भी हो चुका है.

सऊदी अरब, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, अलजीरिया और मोरक्को ने भी अपने खिलाड़ियों को इस बात की इजाजत दे दी है कि वह अपना रोजा बाद में रख सकते हैं.

एजेए/एमजे (एएफपी)

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