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मस्जिद ने बदल दिया है 9/11 का माहौल

११ सितम्बर २०१०

अमेरिका के न्यूयॉर्क में ग्राउंड जीरो के पास बनने वाली मस्जिद के समर्थन में शुक्रवार को करीब दो हजार लोगों ने रैली निकाली. रैली के दौरान काफी लोगों के हाथों में मोमबत्तियां जलती रहीं.

तस्वीर: picture-alliance/landov

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जो लोग मस्जिद का विरोध करते हैं वे मूलभूत अधिकारों के विरोधी हैं. 9/11 के आतंकी हमले में मारे गए लोगों की याद में बनाए गए ग्राउंड जीरो के पास बनने वाली यह मस्जिद अमेरिका में विवाद का मुद्दा बनी हुई है. लोगों ने 9/11 की बरसी की पूर्व संध्या पर प्रदर्शन कर यह संदेश देने की कोशिश की कि अमेरिका में सबको अपना धर्म मानने की आजादी है. मानवाधिकार संगठन कॉमन कॉज की न्यूयॉर्क की डायेरक्टर सूजन लर्नर ने कहा, "हम रूढ़िवादियों के विरोध में साथ खड़े हैं. हम इस बात का विरोध करते हैं कि हमारे इस महान शहर का कोई भी इलाका किसी खास समुदाय की सीमाओं में बंधा है."

तस्वीर: AP

आतंकी हमले की नौवीं बरसी से पहले दिन हुई इस रैली के बाद ऐसी ही एक रैली और हुई. इस रैली से पहले मस्जिद के विरोधी लोगों ने प्रदर्शन किया. इन रैलियों ने 9/11 की बरसी के हर बार के माहौल के बदल दिया है. हर बार यहां राजनीतिक प्रदर्शन और भाषण होते हैं लेकिन इस बार ग्राउंड जीरो पर मानवाधिकारों को लेकर बहस हो रही है. मस्जिद के समर्थक प्रदर्शनकारियों ने कहा कि इस मस्जिद और इस्लामिक सेंटर का विरोध करने का मतलब है कि सभी मुसलमानों को आतंकियों के बराबर खड़ा कर देना.

ज्यूइश वॉइसेज फॉर पीस की डायरेक्टर रेबेका विल्कोमेरसन ने कहा, "यहां न्यूयॉर्क में मामला सिर्फ ग्राउंड जीरो का नहीं बल्कि बढ़ते इस्लामोफोबिया यानी इस्लाम से डर का है. यह एक तरह का नस्लवाद है जिसे अचानक सही मान लिया गया है."

प्रदर्शनकारियों में शामिल एक सॉफ्टवेयर रिसचर्र इरिक लाजारुस ने कहा कि सबसे बड़ा मुद्दा अमेरिका के संविधान की रक्षा करना है जो कहता है कि देश में पूरी धार्मिक आजादी मिलेगी. यानी मुसलमानों को भी किसी भी जगह अपना पूजाघर बनाने का उतना ही हक है, जितना किसी और को.

इस दौरान ग्राउंड जीरो और रैली की जगह के आसपास भारी मात्रा में पुलिस मौजूद रही. यहीं शनिवार को 9/11 की बरसी के समारोह आयोजित होंगे. उसके बाद भी यहां मस्जिद के मुद्दे पर कई रैलियां हो सकती हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एस गौड़

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