महंगाई के आगे लाचार हैं शरद पवार
३० जनवरी २०११![](https://static.dw.com/image/5881632_800.webp)
पवार के मुताबिक उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. "शहर में रहने वाले लोग बढ़ती कीमतों से नाराज हैं जबकि गांव में किसान फसल का सही दाम न मिलने की वजह से दुखी है. आप बताओ कि मैं क्या करूं. सरकार की प्राथमिकता है कि किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम मिले. इसलिए खेती के लिए कर्ज देने सहित सरकार हर संभव कदम उठा रही है."
कानपुर में शरद पवार ने कहा कि अगर किसानों को उनकी फसलों का सही दाम मिलेगा तो उत्पादन बढ़ाने के लिए उनका हौसला बढ़ेगा जिससे खाद्य पदार्थों की कीमत में कमी लाई जा सकती है. पवार ने कहा कि अनाज को लोगों तक सही ढंग से पहुंचाने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है जबकि केंद्र उत्पादन, खरीद और गोदामों तक पहुंचाने के लिए जिम्मेदार है.
पवार ने कहा कि एक ओर उन्हें सब्जियों के बढ़ते दामों से जूझना पड़ रहा है जबकि दूसरी ओर किसानों को उनकी फसलों के सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं. "बढ़ती महंगाई के मुद्दे पर सांसदों और मीडिया ने मुझे निशाने पर रखा है. वह मुझसे पूछते हैं कि सब्जियों के दाम में कमी आएगी. जब मैं गांव जाता हूं तो किसान नाराज होते हैं कि फसलों की सही कीमत नहीं मिल पा रही."
पवार ने कहा कि जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है जबकि कृषि योग्य भूमि कम होती जा रही है. पवार ने वैज्ञानिकों अनुरोध किया कि बीज और तकनीक की नई किस्म को विकसित किया जाए जिससे थोड़ी जमीन पर ज्यादा फसल उगाने में मदद मिल सके.
भारत में पिछले कई महीनों से महंगाई चरम पर है और खाने पीने की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं. यूपीए गठबंधन सरकार तब आलोचना का शिकार हुई जब प्याज की कीमतों ने 80 रुपये प्रति किलो का आंकड़ा पार कर लिया. जनता में नाराजगी और बेचैनी को थामने के लिए सरकार को पाकिस्तान से प्याज का आयात करना पड़ा. इससे पहले चीनी और दाल की कीमतों में भारी बढ़ोत्तरी देखी गई थी.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: आभा एम