महंगी पड़ रही विलायत में शराब
२१ अक्टूबर २००९ब्रिटिश मेडिकल जर्नल के लिए किए गए इस अध्ययन का शीर्षक है ब्रिटेन के दक्षिण एशियाइयों द्वारा अल्कोहल का प्रयोग. ससेक्स में कार्यरत भारतीय मनोचिकित्सक डा. गुरप्रीत पन्नु ने इसे तैयार किया है. उनका कहना है कि ब्रिटेन में शराब पीने से होने वाली मौत के सिलसिले में भारतीय मूल के पुरुषों की संख्या काफ़ी अधिक है, जिससे यह धारणा ग़लत साबित हो जाती है कि भारत के लोग कम शराब पीते हैं. डा. पन्नु ने कहा कि अल्कोहल पीने से संबंधित समस्याओं से मरने वाले भारतीय मूल के लोगों की संख्या गोरे पुरुषों के मुकाबले देढ़ गुनी है.
वैज्ञानिकों की राय में जैविक और सांस्कृतिक कारणों से यह समस्या पैदा हो रही है. डा. पन्नु कहते हैं कि भारतीय मूल के लोगों की पीने की आदत गोरों से अलग है. मिसाल के तौर पर, सिख पुरुष बीयर के बदले कड़े ड्रिंक्स लेना पसंद करते हैं. इसका नतीजा यह होता है कि काफ़ी अधिक मात्रा में अल्कोहल लिया जाता है.
रिपोर्ट में ब्रिटिश सरकार से अपील की गई है कि इस समस्या से निपटने के लिए सांस्कृतिक भिन्नताओं का ख्याल रखते हुए लोगों को सलाह मुहैया कराई जाए.
ब्रिटेन के साउथ एशियन हेल्थ फ़ाउंडेशन द्वारा आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में यह अध्ययन तैयार किया गया है. डा. पन्नु ने कहा कि इस सम्मेलन में कई अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ मौजूद थे, अध्ययन को तैयार करने के लिए जिनकी मदद ली गई है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादन: राम यादव