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महात्मा गांधी की वस्तुओं की नीलामी

गुलशन मधुर, वॉशिंगटन ६ मार्च २००९

नीलामी करने और उसने रोकने की कोशिशों के बीच न्यूयार्क में महात्मा गांधी की व्यक्तिगत चीज़ों की नीलामी हो गई. भारतीय उद्योगपति विजय माल्या ने 18 लाख की बोली लगाकर ये चीज़ें अपने नाम कर लीं.

देश की धरोहरतस्वीर: picture-alliance/ dpa

महात्मा गांधी के निजी उपयोग की कुछ वस्तुएं न्यूयॉर्क में एक विवादास्पद नीलामी में 18 लाख डॉलर में बेच दी गई हैं. लेकिन इन वस्तुओं के विक्रेता जेम्स ओटिस ने कहा है कि वह अब उन्हें नहीं बेचना चाहते.

गांधीजी की घड़ीतस्वीर: AP

ओटिस ने अपने इरादे की घोषणा ऐंटिकोरम नीलामघर के बाहर उस दौरान की जबकि अंदर नीलामी जारी थी. ओटिस एक शांति सक्रियवादी और डॉक्यूमेंट्री फ़िल्मों के निर्माता हैं.

भारतीयों से ख़चाख़च भरे नीलामघर में ये वस्तुएं भारत के उद्योगपति विजय माल्या की ओर से टोनी बेदी ने ख़रीदी हैं. नीलामी का नतीजा घोषित होने पर हॉल तालियों की गड़गड़ाहट और हर्षध्वनि से गूंज उठा. बेदी का कहना है कि उन्होंने यह बोली देश की ख़ातिर लगाई है और ख़रीदा गया सामान अब भारत को लौटा दिया जाएगा.

ऐंटिकोरम नीलामघर ने ओटिस के नीलामी वापस लेने की बात पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. लेकिन उसने क़ानूनी प्रश्नों से उलझने के सिलसिले में नीलाम वस्तुएं सौंपने में दो सप्ताह के विलंब की घोषणा की है.

भारत सरकार इस नीलामी का लगातार विरोध करती आ रही थी. भारत में और दुनिया में कहीं भी मौजूद भारतीयों में नीलामी को लेकर रोष था. उनका मानना है कि नीलामी पर लगाई गई वस्तुएं भारत की राष्ट्रीय धरोहर हैं. इन वस्तुओं में गांधी जी का लोहे के फ़्रेम वाला एक चश्मा, एक जेबघड़ी, एक जोड़ी चप्पल और पीतल की एक कटोरी और थाली शामिल हैं.

ओटिस ने कहा था कि वह ये सामान शांतिवादी विचारधारा के प्रचार के लिए पैसा जुटाने के उद्देश्य से बेचना चाहते हैं. उन्होंने भारत-सरकार के आगे एक प्रस्ताव भी रखा था, जिसके बारे में स्वयं उन्होंने कहा, "हमने भारत-सरकार से एक पेशकश की थी. अगर वह देश के सबसे ग़रीब लोगों की स्वास्थ्य सेवा में ख़र्च किए जाने वाले देश के सकल घरेलू उत्पादन के 1 प्रतिशत को बढ़ाकर 5 प्रतिशत कर दे, तो मुझे ये वस्तुएं भारत सरकार को सौंपने में ख़ुशी होगी."

गांधीजी का चश्मातस्वीर: AP

ओटिस ने यह शर्त भी रखी कि भारत सरकार शांतिवादी विचारधारा के प्रचार के लिए गांधी जी के जीवन से जुड़ी वस्तुओं की एक विश्वयात्रा प्रदर्शनी आयोजित करे. भारत-सरकार की ओर से के विदेश राज्य मंत्री आनंद शर्मा ने इस प्रस्ताव को देश की प्रभुसत्ता की अवमानना बताकर ठुकरा दिया. उन्होंने कहा कि स्वयं गांधी जी इस प्रस्ताव को कभी स्वीकार न करते.

टोनी बेदी से जब यह पूछा गया कि व्यक्तिगत धन दौलत के प्रति उपेक्षाभाव रखने वाले गांधी जी की ये कुछ थोड़ी सी चीज़ें क्या अट्ठारह लाख डॉलर की हैं, बेदी ने हंसते हुए जवाब दिया, "साठ लाख डॉलर की."

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