महामारी ने 15 करोड़ से ज्यादा बच्चे गरीबी में धकेले
१७ सितम्बर २०२०
कोरोना महामारी की मार जिन पर सबसे ज्यादा पड़ी है, उनमें दुनिया के सबसे गरीब बच्चे भी शामिल हैं. संयुक्त राष्ट्र के बाल कोष यूनिसेफ का कहना है कि आने वाले महीनों में हालात बहुत बदतर हो सकते हैं.
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यूनिसेफ और सेव द चिल्ड्रेन की तरफ से प्रकाशित विश्लेषण में कहा गया है कि कोरोना संकट ने 15 करोड़ से ज्यादा बच्चों को गरीबी के दलदल में धकेल दिया है. महामारी और उसके कारण लगे लॉकडाउन की वजह से कम और मध्यम आय वाले देशों में गरीबी में रहने वाले बच्चों की संख्या 15 प्रतिशत बढ़ कर 1.2 अरब हो गई है. इस रिपोर्ट को कई मानकों के आधार पर तैयार किया गया है जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और रहने की जगह ना मिलना शामिल है.
यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोर का कहना है, "जो परिवार गरीबी से निकलने के मुहाने पर खड़े थे, उन्हें वापस खींच लिया गया है जबकि दूसरे लोग ऐसी तंगी और परेशानियां झेल रहे हैं जो उन्होंने कभी नहीं देखीं." उन्होंने कहा, "सबसे चिंता की बात तो यह है कि हम अभी इस संकट की शुरुआत पर खड़े हैं, इसके अंत पर नहीं."
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हवाओं के साथ अपना शौक पूरा करते गरीब बच्चे
छोटे शहरों और गांव देहातों के बच्चों के मन में बड़े सपने पल रहे होते हैं. संसाधनों के अभाव में वे अपनी हरसतों को पूरा करने के लिए क्या क्या करते हैं, देखिए ईरान की इन तस्वीरों में.
तस्वीर: IRNA/H. Shirvani
गिटार की झनकार
यह तस्वीर 12 साल के बच्चे हैं. पाकिस्तान की सीमा से सटे ईरान के सिस्तान बलूचिस्तान प्रांत का यह बच्चा गिटारिस्ट बनना चाहता है. लेकिन सबसे करीबी म्यूजिक स्कूल उससे 700 किलोमीटर दूर है. उसके पास वहां जाने लायक संसाधन नहीं हैं. लिहाजा जब गिटार बजाने का मन हो तो वह हवाई गिटार निकाल लेता है.
तस्वीर: IRNA/H. Shirvani
ये करारा पंच
13 साल का अली अकबर कराटे चैंपियन बनना चाहता है. वह दक्षिणी प्रांत केरमान के एक गांव में रहता है. अखबार या टीवी में देखी गई स्टाइल को अली यूं ही अकेले अकेले ट्राय करता है. अली की हसरत ओलंपिक मेडल जीकर अपनी मां के लिए बड़ा घर, पिता के लिए मोटरसाइकिल और खुद के लिए एक पिजो कार खरीदने की है.
तस्वीर: IRNA/H. Shirvani
तस्वीर के लिए कैमरा रेडी
मासूमेह भी 13 साल की है और केरमान प्रांत के काहनूज गांव में रहती है. वह फोटोग्राफर बनना चाहती है. लेकिन फिलहाल उसके पास कोई कैमरा नहीं हैं. लिहाजा जब मौका मिलता है तो मासूमेह अपना काल्पनिक कैमरा निकालकर हवाई फ्रेम सेट करने लगती है.
तस्वीर: IRNA/H. Shirvani
हवा से बातें करता मोहम्मदू
11 साल का मोहम्मदू अभी पूरी तरह अपनी मोटरसाइकिल में मगन है. वह मुंह से तेज रफ्तार मोटरसाइकिल की आवाज निकालता है और हाथों से वो सारे एक्शन करता है जो एक मोटरबाइक रेसर करते हैं. वह एक दिन मोटरसाइकिल रेस में हिस्सा लेना चाहता है.
तस्वीर: IRNA/H. Shirvani
दूर देश की उड़ान
9 साल का यह बच्चा विमान में उड़ते हुए विदेश जाना चाहता है ताकि वहां इलाज कराया जा सके. वह एक दुर्लभ बीमारी, बटरफ्लाई सिंड्रोम (एपिडर्मोलिस बुलोसा) से पीड़ित है. इस बीमारी के पीड़ित लोगों की त्वचा फटने लगती है. इसका अभी तक कोई इलाज नहीं है.
तस्वीर: IRNA/H. Shirvani
परफेक्ट शॉट की प्रैक्टिस
मसूद 12 साल के बाकी बच्चों के मुकाबले लंबा है. फिलहाल वह बास्केटबॉल खेलने में व्यस्त है. उसके हाथ से काल्पनिक बॉल निकल चुकी है जो पोस्ट तक जा रही है. पोर्ट पर बसे शहर चाबहार का मसूद बास्केटबॉल प्लेयर बनने की हसरत रखता है.
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शास्त्रीय संगीत का आनंद
बलूचिस्तान का नवीद अपनी ही धुन में सितार बजा रहा है. उसकी अंगुलियां हवा में खेलते हुए कुछ तारों को छू रही हैं और मुंह से भीनी भीनी गुनगुनाहट निकल रही है. किसी तरह के म्यूजिक स्कूल से कम से कम 650 किलोमीटर दूर रहने वाला नवीद सितार वादक बनने के ख्वाब देखता है.
तस्वीर: IRNA/H. Shirvani
रेडी है रोनाल्डो
14 साल के शाहाब के पैर के नीचे फुटबॉल है, सामने गोल पोस्ट है और उसके पास रोनाल्डो की तरह फ्री किक को गोल में बदलने का मौका है. शाहाब बड़ा होकर फुटबॉलर बनाना चाहता है. उसकी हसरत है कि वह अपनी मां के लिए एक घर खरीदे और एक दिन रेस्तरां में बैठकर खाना खाए.
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कद्रदानों के साथ थिरकता गायक
12 साल का आमिर मोहम्मद अपने म्यूजिक कंसर्ट में मस्त है. उसके सामने हवाई जनता है जो उसके गाने पर थिरक रही है. आमिर मशहूर गायक बनकर टीवी पर आना चाहता है. इसीलिए जब मौका मिलता है तब पर खेतों में अकेले जोर जोर से रियाज भी करता है.
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एक्शन सीन में स्टार
“जरा भी हिलने की कोशिश की तो तुम्हें गोलियों से भून दिया दिया जाएगा,” एक्टर बनने की हसरत रखने वाले रामिन के दिमाग में शायद ऐसा ही कोई डायलॉग चल रहा हो. फिलहाल वह पूरी तरह सीन में रमा हुआ दिखता है.
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हवा के साथ उड़ती धुन
रेगिस्तान में अपनी सारंगी बजाने में व्यस्त इस बच्चे का नाम सत्तार है. सत्तार एक दिन वायलिन या बड़ा सारंगी वादक बनाना चाहता है. केरमान का निवासी सत्तार मौका मिलते ही रेतीली हवाओं की आवाज में अपनी सारंगी के राग घोल देता है.
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संगीत में डूबी याल्दा
16 साल की याल्दा ने अंगुलियों से अपने कान बंद किए हैं. इस तरह याल्दा संगीत का आनंद लेती है. उसका सपना एक हेडफोन पाने का है ताकि वो दिन भर अपना पंसदीदा संगीत सुन सके. (रिपोर्ट: मोहम्मद सालेही)
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तो क्या करें?
रिपोर्ट में सभी सरकारों से इन बच्चों को गरीबी से निकालने के कदम उठाने का आग्रह किया गया है. रिपोर्ट के लेखक कहते हैं कि सामाजिक सेवा, श्रम बाजार और दूरस्थ शिक्षा जैसे क्षेत्रों में हस्तक्षेप और निवेश की जरूरत है. फोर कहती हैं, "सरकारों को हाशिए पर पड़े बच्चों और उनके परिवारों को अपनी प्राथमिकता में शामिल करना होगा और कैश ट्रांसफर और बाल भत्ता, दूरस्थ शिक्षा के अवसर, स्वास्थ्य सेवाएं और स्कूलों में भोजन मुहैया कराने जैसी सामाजिक सुरक्षा व्यवस्थाओं का तेजी से विस्तार करना होगा."
यूनिसेफ की प्रमुख ने कहा कि अगर सरकारें आज इन क्षेत्रों में निवेश करती हैं तो इससे उन्हें भविष्य के झटकों से निपटने में मदद मिलेगी. रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि सिर्फ वित्तीय कारकों से यह मूल्यांकन ना किया जाएगा कि कोई व्यक्ति किस कदर वंचित है. हालांकि ये कारण बड़ी भूमिका निभाते हैं. रिपोर्ट कहती है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, जल और साफ सफाई वाले घर मुहैया कराने जैसी सुविधाओं पर अलग अलग क्षेत्रों को एक साथ मिल कर काम करना चाहिए.
बच्चों के लिए काम करने वाली एक और संस्था सेव द चिल्ड्रेन की मुख्य कार्यकारी अधिकारी इंगेर एशिंग ने कहा, "यह महामारी पहले ही इतिहास की सबसे बड़ी वैश्विक शिक्षा इमरजेंसी पैदा कर चुकी है. गरीबी बढ़ने से सबसे कमजोर तबके के बच्चों और उनके परिवार के लिए नुकसान की भरपाई करना बहुत मुश्किल होगा." उन्होंने कहा, "जिन बच्चों की पढ़ाई छूट रही है, उन्हें बाल श्रम या बाल विवाह में धकेला जा सकता है और फिर वे आने वाले सालों में गरीबी के चक्र में फंस कर रह जाएंगे."
बच्चों को कोरोना वायरस से “करीब करीब सुरक्षित" बताने वाला अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का वीडियो तो सोशल मीडिया साइटों से हटा दिया गया. लेकिन बच्चों में कोरोना के खतरे को लेकर कई भ्रांतियां फैली हुई हैं.
तस्वीर: picture-alliance/abaca/A. Marechal
गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा कम
बच्चों के कोरोना वायरस से गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा काफी कम है. इसके भी सबूत हैं कि उनके संक्रमित होने की संभावना भी कम है. लेकिन एक बार संक्रमित होने के बाद वे इसे कितना फैला सकते हैं, इस बारे में अभी पक्की जानकारी नहीं है.
तस्वीर: picture-alliance/abaca/A. Marechal
उम्र के साथ बढ़ता है खतरा भी
सबसे ज्यादा प्रभावित देश अमेरिका की मिसाल देखें तो पता चलता है कि अस्पताल में भर्ती हुए कुल कोरोना मरीजों में केवल दो फीसदी ही 18 साल से कम उम्र के हैं. अमेरिका में कोविड-19 से मरने वालों में 18 से कम उम्र वालों का केवल 0.1 फीसदी हिस्सा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Warren
लक्षण या तो नहीं या तो बहुत हल्के
कोरोना वायरस की शुरुआत जहां से हुई उस देश चीन में कराई गई एक स्टडी से पता चला कि जिन 2,143 बच्चों में कोरोना का संदेह था या फिर उसकी पुष्टि हो चुकी थी, उनमें से करीब 94 फीसदी बिना किसी लक्षण, या हल्के और मध्यम दर्जे के लक्षणों वाले थे.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/A. Fuente
कुछ बच्चों में गंभीर क्यों
जो बच्चे कोरोना के संक्रमण के कारण बीमार पड़ रहे हैं उनमें अकसर पहले से कोई ना कोई स्वास्थ्य समस्या पाई गई. अमेरिका के शिकागो में एक स्टडी से पता चला कि मार्च और अप्रैल में जितने भी बच्चे अस्पताल में भर्ती कराए गए उनमें या तो पहले से कोई समस्या या फिर कोरोना के अलावा कोई और संक्रमण भी था.
हालांकि इस पर अभी काफी कम रिसर्च हुई है लेकिन अब तक मिली जानकारी के अनुसार, एक साल से छोटे बच्चों में इससे बड़े बच्चों के मुकाबले संक्रमण का खतरा थोड़ा अधिक है. आम तौर पर छोटे बच्चों को गंभीर फ्लू की समस्या होती है लेकिन कोविड-19 इस मामले में थोड़ा अलग पाया गया.
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क्या बच्चों की जान नहीं जाती
बच्चों की भी कोरोना के कारण जान जाती है लेकिन यह देखा गया है कि इसकी संभावना वयस्कों और बुजुर्गों के मुकाबले काफी कम है. इसीलिए बच्चों को कोरोना वायरस से इम्यून बताना एक गलत जानकारी है.
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स्कूल कितने सुरक्षित
अब तक इसे लेकर पर्याप्त सबूत नहीं हैं. इस्राएल में कई स्कूलों में बड़े स्तर पर संक्रमण फैलने की घटना सामने आई है. वहीं अमेरिका के शिकागो में हुई एक स्टडी से पता चला कि पांच साल से नीचे के बच्चों की नाक में वयस्कों की तुलना में वायरस का जेनेटिक पदार्थ 10 से 100 गुना तक ज्यादा होता है. यानि संक्रमण फैलाने में बच्चों की अहम भूमिका हो सकी है लेकिन अभी इसे साबित करने के लिए और रिसर्च की जरूरत है.
तस्वीर: Reuters/F. Bensch
बच्चों में कोरोना संक्रमण कम क्यों
इसके लिए कई संभावनाएं जताई जा रही हैं. जैसे कि शायद कोरोना वायरस बच्चों की कोशिकाओं से उतनी आसानी से नहीं चिपकता. या शायद इसलिए कि बच्चों को वैसे ही सर्दी-जुकाम काफी होता रहता है जिसके चलते उनके शरीर में फ्लू जैसे संक्रमणों से लड़ने वाली टी-कोशिकाएं पहले से ही मौजूद होती हैं.
तस्वीर: Reuters/M. Ismail
बच्चों में सामने आई एक दुर्लभ समस्या
ऐसा काफी कम मामलों में होता है लेकिन कभी कभी कोविड संक्रमण के एक महीने बाद कर बच्चों में एक पोस्ट-वायरल कंडीशन पैदा हो जाती है, जिसे मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेट्री सिंड्रोम (MIS-C) कहते हैं. इसके कारण शरीर के कई अंगों में एक साथ बहुत दर्द और सूजन आ जाती है.
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किन बच्चों में है सिंड्रोम का ज्यादा खतरा
औसत रूप से देखा जाए तो इस दुर्लभ सिंड्रोम से ग्रसित करीब दो फीसदी बच्चों की जान चली जाती है. इसका ज्यादा खतरा अमेरिका के अश्वेत या हिस्पैनिक मूल के लगभग आठ साल के आसपास की उम्र के बच्चों में पाया गया.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS/B. B. Price
क्या बच्चे जल्दी संक्रमित होते हैं
आइसलैंड में 13,000 पर हुए सर्वे में 10 साल के छोटे 850 बच्चे भी शामिल थे. इसमें औसतन 0.8 फीसदी लोगों में संक्रमण पाया गया जबकि 10 साल से कम वालों में एक भी संक्रमित नहीं था. इससे समझा जा सकता है कि बच्चे जल्दी संक्रमित नहीं होते. स्पेन, इटली और स्विट्जरलैंड में भी ऐसे सर्वे के समान ही नतीजे मिले.
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क्या बच्चों से आसानी से फैलता है वायरस
अमेरिका में संक्रामक बीमारियों के सबसे बड़े अधिकारी एंथनी फाउची खुद एक स्टडी का नेतृत्व कर रहे हैं जो बच्चों और बड़ों में संक्रमण दर को समझने के लिए है. इसके नतीजे दिसंबर तक आने की उम्मीद है. वहीं दक्षिण कोरिया में बड़े स्तर पर हुई एक स्टडी से पता चला है कि 10 साल से नीचे के बच्चों से घर के करीबी लोगों में संक्रमण होने की संभावना काफी कम है. जबकि 10 से ऊपर के बच्चों और वयस्कों से काफी ज्यादा.