महाराष्ट्र के नए मंत्रिमंडल के लगभग सभी सदस्य करोड़पति हैं. साथ ही 64 फीसदी मंत्रियों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. हालांकि पिछली कैबिनेट के भी इतने ही मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले थे.
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महाराष्ट्र में लंबी खींचतान के बाद सरकार तो बन गई, पर नई सरकार में जो मंत्री बने हैं आखिर उनकी पृष्ठभूमि कैसी है? यही जानने के लिए चुनावी सुधारों के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने उनके चुनावी हलफनामों की समीक्षा की. जो तथ्य सामने आए हैं, वो चौंकाने वाले हैं.
आपराधिक मामले
नए मंत्रियों की वित्तीय, शैक्षणिक और आपराधिक पृष्ठभूमि पर नजर डालें तो मुख्यमंत्री समेत कैबिनेट के 43 सदस्यों में से 42 के ही हलफनामे मौजूद हैं. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का कोई भी हलफनामा उपलब्ध नहीं हैं क्योंकि उन्होंने आज तक कोई चुनाव नहीं लड़ा.
ठाकरे को छोड़ कर 42 मंत्रियों के हलफनामों से पता चलता है कि उनमें से 27 मंत्रियों, यानी मंत्रिमंडल के 64 प्रतिशत सदस्यों, के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. यही नहीं, इनमें से 18, यानी मंत्रिमंडल के 43 प्रतिशत सदस्यों, के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं.
2014 के मंत्रिमंडल से तुलना करने पर नजर आता है कि सरकार और सत्तारूढ़ गठबंधन जरूर नया है लेकिन आपराधिक पृष्ठभूमि वाले मंत्रियों के मामले में स्थिति वैसी की वैसी है. 2014 में भी मंत्रिमंडल के 64 प्रतिशत सदस्य ऐसे थे जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे.
करोड़पतियों की कैबिनेट
आपराधिक पृष्ठभूमि के अलावा महाराष्ट्र कैबिनेट के मंत्रियों की वित्तीय पृष्ठभूमि देखने पर पता चलता कि 2014 के मुकाबले 2019 के मंत्रिमंडल के सदस्यों की वित्तीय पृष्ठभूमि जरूर बदल गई है. जहां 2014 में मंत्रिमंडल में शामिल 82 प्रतिशत मंत्री करोड़पति थे, वहीं 2019 में करोड़पति मंत्रियों की संख्या बढ़कर 98 प्रतिशत, यानी 41, हो गई है. यानी नई महाराष्ट्र सरकार में लगभग हर मंत्री करोड़पति है. ध्यान देने लायक बात यह भी है कि महाराष्ट्र में प्रति व्यक्ति आय सालाना दो लाख रुपये से भी कम है.
करोड़पति मंत्रियों की घोषित संपत्ति का विस्तृत विवरण देखने पर सामने आता है कि मंत्रियों की औसत संपत्ति है लगभग 22 करोड़ रुपये. 2014 में मंत्रिमंडल के सदस्यों की औसत संपत्ति इससे आधी से भी काम, यानी 10.35 करोड़ रुपये, थी.
सबसे ज्यादा संपत्ति वाले मंत्रियों में शामिल हैं कांग्रेस के विश्वजीत पतंगराव कदम, कुल 216 करोड़ की संपत्ति के साथ; एनसीपी के अजित पवार, 75 करोड़ की संपत्ति के साथ; और राजेशभइया टोपे, 53 करोड़ संपत्ति के साथ.
इनमें से अजित पवार और विश्वजीत पतंगराव कदम सालाना आय में भी सबसे आगे हैं. अजित पवार ने अपनी पारिवारिक कुल सालाना आय तीन करोड़ रुपये दिखाई है. इतनी ही आय दिखाई है कांग्रेस के अमित देशमुख ने. विश्वजीत पतंगराव कदम ने दो करोड़ रुपये सालाना आय दिखाई है.
कितने पढ़े, कितनी महिलाएं
मंत्रिमंडल की शैक्षणिक पृष्ठभूमि भी दिलचस्प है. इनमें से 18 मंत्री, यानी कि मंत्रिमंडल के 43 प्रतिशत सदस्य, आठवीं कक्षा से ले कर बारहवीं कक्षा तक पढ़े हैं. वहीं 22 मंत्रियों (यानि 52 प्रतिशत) ने स्नातक या उससे ऊपर की शैक्षणिक योग्यता दिखाई है.
उम्र और लिंग की समीक्षा करें तो मंत्रिमंडल में 25 से 50 वर्ष की आयु के युवा सदस्य सिर्फ 40 प्रतिशत (17) हैं. वहीं 60 प्रतिशत मंत्रियों (25) की उम्र 51 से 80 साल के बीच में है. मंत्रिमंडल में लैंगिक असंतुलन भी स्पष्ट है. 42 मंत्रियों में से केवल 3 ही महिला मंत्री हैं.
भारत में हर मामले में विविधता देखने को मिलती है. कोई राज्य अमीर है तो कोई गरीब. कहीं सबसे ज्यादा लोग कृषि पर निर्भर हैं तो कहीं उद्योग पर. एक नजर देश के प्रमुख अमीर राज्यों और वहां की अर्थव्यवस्था पर.
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महाराष्ट्र
महाराष्ट्र भारत का सबसे अमीर राज्य है. राज्य की राजधानी मुंबई को देश की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है. महाराष्ट्र का कुल जीडीपी 27.96 लाख करोड़ का है. यह देश का तीसरा सबसे ज्यादा शहरी आबादी वाला राज्य है जहां कि 45 प्रतिशत आबादी शहरों में निवास करती है.
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तमिलनाडु
तमिलनाडु भारत का दूसरा सबसे धनी राज्य है. यहां की कुल जीडीपी 17.25 लाख करोड़ की है. राज्य की 50 प्रतिशत से अधिक आबादी शहरों में निवास करती है. यह पूरे देश की शहरी आबादी का 9.6 प्रतिशत है. राज्य की जीडीपी में 45 प्रतिशत सर्विस सेक्टर, 34 प्रतिशत मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर और 21 प्रतिशत कृषि का योगदान है.
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कर्नाटक
कर्नाटक भारत का तीसरा सबसे धनी राज्य है. यहां की कुल जीडीपी 15.88 लाख करोड़ की है. पिछले एक दशक में देश के अन्य राज्यों के मुकाबले यहां की जीडीपी सबसे तेज गति से बढ़ी है. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, हिंदुस्तान मशीन टूल्स, इंडियन टेलिफोन इंडस्ट्री जैसी कई प्रसिद्ध कंपनियों के मुख्यालय इसी राज्य में हैं.
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उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश भारत का चौथा सबसे अमीर राज्य है. राज्य की कुल जीडीपी 15.80 लाख करोड़ है. 2017-18 के राज्य के बजट के अनुसार उत्तर प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 16.89 लाख करोड़ का है. उत्तर प्रदेश के कई शहर जैसे नोएडा, गाजियाबाद तेजी से विकसित हुए हैं. कई कंपनियों ने यहां अपनी शाखा खोली है. हथकरघा, हस्तशिल्प और कृषि राज्य के लोगों की आय का एक बहुत महत्वपूर्ण साधन है.
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गुजरात
गुजरात की जीडीपी 14.96 लाख करोड़ की है. भारत के इस पश्चिमी राज्य की आय का मुख्य स्रोत कृषि और उद्योग है. दुनिया का सबसे बड़ा जहाज ब्रेकिंग यार्ड गुजरात के अलंग में भावनगर के पास है. रिलायंस पेट्रेलियम की रिफाइनरी भी गुजरात के जामनगर में स्थित है. गुजरात तंबाकू, सूती कपड़े और बादाम का प्रमुख उत्पादक राज्य है. भारत में बनी कुल दवाई में से एक तिहाई गुजरात में बनती है.
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पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल की कुल जीडीपी 13.14 लाख करोड़ की है. राज्य की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और मध्यम दर्जे के उद्योग पर आधारित है. हालांकि सर्विस सेक्टर और भारी उद्योग भी राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में अहम योगदान निभाते हैं. दुर्गापुर के अलावा भी राज्य में कई स्टील प्लांट हैं. कोलकाता के बंदरगाह में दुनिया भर से मालवाहक जहाज आते हैं.
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आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश की कुल जीडीपी 10.49 लाख करोड़ की है. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 62 प्रतिशत आबादी कृषि से जुड़ी हुई है. वर्ल्ड बैंक ने इस राज्य को व्यवसाय शुरू करने के लिहाज से भारत का सबसे अच्छा राज्य बताया है. यह राज्य भारत में 70 प्रतिशत झींगा मछली का उत्पादन करता है.
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तेलंगाना
तेलंगाना की जीडीपी 10.49 लाख करोड़ की है. दो प्रमुख नदियां कृष्णा और गोदावरी की वजह से यहां के बड़े हिस्से में सिंचाई की बेहतर सुविधा है. राज्य में अब सूचना प्रौद्योगिकी और बायोटेक्नोलॉजी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. तेलंगाना भारत के शीर्ष आईटी एक्सपोर्टर राज्यों में से एक है. राज्य में 68 स्पेशल इकोनॉमिक जोन हैं. तेलंगाना में खनिज पदार्थों के मामले में भी धनी राज्य है.
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राजस्थान
राजस्थान की कुल जीडीपी 9.29 लाख करोड़ की है. यह एक खनिज संपन्न राज्य है. यहां की अर्थव्यवस्था कृषि, खनन और पर्यटन पर आधारित है. राज्य में सोना, चांदी, बलुआ पत्थर, चूना पत्थर, संगमरमर, रॉक फॉस्फेट, तांबा और लिग्नाइट के खादान हैं. यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक राज्य है. राजस्थान अपनी ऐतिहासिक विरासतों की वजह से पर्यटकों के आकर्षण का एक प्रमुख केंद्र है.
तस्वीर: Imago/Indiapicture
केरल
केरल की कुल जीडीपी 8.76 लाख करोड़ की है. राज्य की अर्थव्यवस्था में मुख्य योगदान सर्विस सेक्टर का है. कई प्रमुख निगमों और विनिर्माण संयंत्रों का मुख्यालय केरल में है, विशेष रूप से त्रिवेंद्रम, कोच्चि, कोझीकोड में. केरल देश में प्राकृतिक रबर का 85 प्रतिशत और काली मिर्च का 97 प्रतिशत उत्पादन करता है. राज्य की जीडीपी में पर्यटन का योगदान लगभग 10 फीसदी है.