महासागरों को बचाने के लिए लाखों की जरूरत
२८ फ़रवरी २०१२विश्व बैंक के अध्यक्ष रॉबर्ट जोलिक ने सिंगापुर में हुई वर्ल्ड ओशन समिट में कहा, "दुनिया के महासागर ज्यादा मछली मारने, सागरों की खराब होती पारिस्थितिकी के कारण हमें मदद के लिए एक एसओएस भेजना होगा कि हमें अपने महासागरों को बचाना ही होगा. तथ्य झूठ नहीं बोलते. आंकड़े कहते हैं कि हम जरूरी कदम नहीं उठा रहे हैं. सागर लगातार बीमार हो रहे हैं और मर रहे हैं."
जोलिक ने कहा कि महासागरों को बचाने के लिए विश्व भर के संगठन और सरकारें पैसा लगा रही हैं, लेकिन वैश्विक स्तर पर सहयोग की बहुत जरूरत है. उन्होंने अगले दस साल में महासागरों को बचाने के लिए ग्लोबल पार्टनरशिप के कई प्रस्ताव रखे.
उन्होंने कहा कि समुद्र में संरक्षित हिस्सों की संख्या दुगनी की जानी चाहिए. धरती पर 12 फीसदी हिस्सा संरक्षित है जबकि महासागरों में केवल दो प्रतिशत हिस्सा ही संरक्षण में है.
कुछ नहीं करने का आर्थिक नुकसान ही बहुत ज्यादा होगा. विकासशील देशों में करीब एक अरब लोग मछलियों या समुद्री जीवों और आजीविका के लिए समुद्र पर निर्भर हैं. अधिकतर द्वीपों, और तटीय देशों का मुख्य व्यापार मछलियां हैं और उनके निर्यात का 80 फीसदी समुद्री से जुड़े होते हैं.
"इस गठबंधन से देश, शोध संस्थान, एनजीओ, अंतरराष्ट्रीय संगठन और निजी क्षेत्र साथ आएंगे और इससे जानकारी, विशेषज्ञ, निवेश सब साथ आएंगे और एक लक्ष्य के लिए काम करेंगे."
जोलिक ने कहा कि शुरुआत में पार्टनरशिप 30 करोड़ डॉलर इकट्ठा करें ताकि मुख्य सुधारों में तकनीकी सहायता के लिए इसे इस्तेमाल किया जा सके. बाकि के एक अरब डॉलर से सागरों को स्वस्थ करने के लिए कदम उठाए जाएंगे.
पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्था वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड डबल्यूडबल्यूएफ ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है. संस्था के मार्केट ट्रांसफॉर्मेशन उपाध्यक्ष जेसन क्ले ने कहा, "डबल्यूडबल्यूएफ सागर संरक्षण के लिए एक बैंक बनाने में रुचि स्वागत लायक है. मुझे लगता है कि यह एक मुख्य कदम है जिससे हमें मदद मिलेगी और हम संरक्षण का एजेंडा आगे बढ़ा सकेंगे."
डबल्यूडबल्यू के मुताबिक इस प्रस्ताव से दुनिया भर के मछली पालन केंद्र और टिकाऊ हो सकेंगे, सरकारों और जनता को महासागरों के संरक्षण के लिए और जागरूक किया जा सकेगा.
रिपोर्टः एएफपी/आभा एम
संपादनः एम गोपालकृष्णन