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समाज

महिलाओं की सुरक्षा के लिए डिवाइस मौजूद, लेकिन रुकेंगे अपराध?

१० सितम्बर २०१८

कभी पेपर स्प्रे तो कभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, महिलाओं की सुरक्षा के लिए तमाम उपाय बाजार में मौजूद हैं. इनकी बिक्री भी तेजी से बढ़ रही है, लेकिन क्या सिर्फ एक यंत्र से महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोका जा सकता है?

Peru Demo gegen Gewalt gegen Frauen in Lima
तस्वीर: Reuters/G. Pardo

कुछ साल पहले यास्मीन मुस्तफा ने जब अकेले दक्षिण अमेरिका घूमने का प्लान बनाया तो उनके दोस्तों ने वहां के खतरों के बारे में उन्हें आगाह किया. जब वह अमेरिका स्थित अपने घर वापस आई तो उनके पास महिलाओं की असुरक्षा की ढेरों कहानियां मौजूद थी. अपने इस अनुभव के बाद ही उन्होंने कुछ ऐसा करने की ठानी जिससे महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और वे कहीं भी निडर होकर आ जा सके. 

वह बताती हैं कि दक्षिण अमेरिका की यात्रा और अपने पड़ोसी के साथ हुई रेप की घटना के बाद उन्होंने साल 2014 में 'रोर फॉर गुड' नामक सोशल इंटरप्राइज की स्थापनी की और तीन साल बाद एथेना गैजेट को लॉन्च किया. एथेना एक ऐसी डिवाइस है जो ब्लूटूथ के जरिए स्मार्टफोन से जुड़ा रहती है. मुसीबत में होने पर डिवाइस में लगे बटन को दबाते ही लोकेशन शेयर हो जाती है जो महिला के भरोसेमंद साथी या रिश्तेदार तक पहुंचती है. उन्हें यह मालूम चल जाता है कि महिला को मदद की जरूरत है और इसके बाद वे उपाय कर सकते हैं. यह छोटा-सा गोल आकार का यंत्र पेंडेंट, बैग, पर्स, बेल्ट या कपड़ों में लगाया जा सकता है. 

महिलाओं में बढ़ी जागरूकता

मी टू कैंपेन के बाद वाइट हाउस के दफ्तर से लेकर हॉलीवुड में कास्टिंग काउच के मामले सामने आए हैं. दुनिया भर की महिलाओं में यौन प्रताड़ना और उत्पीड़न के खिलाफ जागरूकता देखी गई है.  

मुस्तफा कहती हैं कि उनके ग्राहकों में नर्स, टैक्सी ड्राइवर और ऑनलाइन डेट करने वाली महिलाएं शामिल हैं. वह कहती हैं, ''जो महिलाएं इस डिवाइस को हमेशा साथ लिए रहती हैं, वे कभी न कभी यौन उत्पीड़न की शिकार रही हैं.''  उनके मुताबिक, ''80 डॉलर के इस डिवाइस की बिक्री हजारों में हो चुकी है.'' 

हाल के दौर में इंटरनेट ट्रोल और हेट क्राइम के बढ़ते मामलों के बाद एथेना की बिक्री बढ़ी है. मुस्तफा बताती हैं, ''हमें अमेरिका में हिजाब पहनने वाली महिलाओं से लेकर सड़कों पर हुई छेड़छाड़ की शिकार पीड़िताओं ने संपर्क किया है.'' वह आगे बताती हैं कि जिन महिलाओं ने उन्हें मेल भेजे उन्होंने यह जिक्र किया कि मौजूदा राष्ट्रपति की वजह से उन्होंने अपने साथ अधिक प्रताड़ना का अनुभव किया है.  

गोल आकार का डिवाइस एथेना ब्लूटूथ के जरिए स्मार्ट से जुड़ा रहता है. तस्वीर: roarforgood.com/

ऐसा अनुमान है कि हर तीन में से एक महिला अपने जीवन में शारीरिक या यौन हिंसा का सामना करती है. थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन के एक पोल के मुताबिक, महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देशों में अमेरिका दसवें नंबर पर है.  

सेफ्टी यंत्रों की बिक्री बढ़ी

हाल के वर्षों में कई टेक इनोवेशन हुए हैं जिनका मकसद महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. इनमें से कुछ को उन महिलाओं ने बनाया जो खुद उत्पीड़न का शिकार हो चुकी थीं. सेफ्टी डिवाइस को इस्तेमाल करने में बटन के अलावा कीरिंग, रिस्ट बैंड और जेवरात का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. बाजार के विश्लेषक मार्केट रिसर्च फ्यूचर के मुताबिक, पिछले पांच वर्षों में ऐसे सेफ्टी डिवाइस की बिक्री 13 फीसदी तक बढ़ गई है. 

इसी साल रिस्ट बैंड सेफर प्रो नामक डिवाइस ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनी तकनीक की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में 10 लाख डॉलर की राशि जीती. इसकी खूबी है कि यह मुसीबत के समय ऑडियो अलर्ट भेज देता है.

एथेना की तरह ही एक अन्य सेफ्टी डिवाइस रिवोलर भी यूजर की लोकेशन को उसके कॉन्टेक्ट लिस्ट में दर्ज नामों को भेजता है.

मुस्तफा बताती हैं कि उनके डिवाइस को इस्तेमाल करने वाली यूजर्स में से मात्र एक फीसदी ने बटन को दबाया है. वहीं 2017 में रिवोलर के बिके 30 हजार यंत्रों में से 6400 में से अलर्ट भेजे गए. कंपनी की प्रवक्ता बताती हैं, ''हमने सैकड़ों बार आपातकाल की स्थिति को देखा है और लोगों की मदद की है, लेकिन मुख्य मुद्दा यह है कि इनमें से कई यूजर ऐसे रहे जिन्हें उनके किसी महत्वपूर्ण संबंधी से बचाया गया.''

मुस्तफा कहती हैं कि उनके प्रोडक्ट से महिलाएं आत्मविश्वास महसूस करती हैं. वह कहती है, ''यह पेपर स्प्रे के इस्तेमाल करने जैसा ही है. आप नहीं जानते कि ये इस्तेमाल में आएंगे या नहीं, यह उस वक्त पर निर्भर करता है. हमारा ध्यान कुछ गलत घटने से बचाव पर है.'' 

अब परछाई करेगी महिलाओं की सुरक्षा

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कितने प्रभावशाली होते हैं यंत्र?

हालांकि अमेरिका में यौन उत्पीड़न के खिलाफ काम करने वाले महिला संगठन ऐसे गैजेट्स के असर पर सवाल उठाते हैं क्योंकि यह तकनीक सामाजिक व सांस्कृतिक समस्या को हल नहीं करती है. नेशनल सेक्सुअल वाइलेंस रिसोर्स सेंटर के क्रिस्टन हाउसर का मानना है कि ऐसे यंत्रों का इस्तेमाल सीमित है और यह तब काम करते हैं जब खतरा आ चुका होता है. उनके मुताबिक, ''ये गैजेट्स का हमारे समाज-संस्कृति पर असर नहीं डालते हैं. यह लोगों को नहीं बताते भद्दी टिप्पणियां, हमले आदि की इजाजत नहीं है,'' 

कॉर्नेल यूनिवर्सिटी का 17 हजार महिलाओं पर किया एक सर्वे बताता है कि इनमें से दो तिहाई से भी अधिक महिलाओं का पीछा किया गया था. इनमें से अधिकतर महिलाओं ने 17 साल की उम्र से पहले ही सड़कों पर चलते हुए उत्पीड़न का सामना किया था.

हाउसर कहती हैं कि उनके संस्थान ने मालूम किया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद महिलाओं में असुरक्षा की भावना बढ़ गई है. महिलाओं को गलत तरीके से पकड़ने के मामले में ट्रंप को बात करते देखा गया था.  

वह कहती हैं, ''जब भी कोई प्रभावशाली व्यक्ति ऐसी प्रतिक्रिया देता है तो लोगों में असुरक्षा की भावना पैदा होती है और यह लोगों को परेशान कर देता है.''

वीसी/ओएसजे (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)

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