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महिलाओं के खिलाफ टिप्पणी पर वैज्ञानिक की छुट्टी

२ अक्टूबर २०१८

दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला सर्न में महिलाओं के खिलाफ टिप्पणी करने पर एक वैज्ञानिक की छुट्टी कर दी गई. लेकिन इस मामले ने विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं के साथ भेदभाव की बहस को फिर तेज कर दिया है.

Venus Symbol
तस्वीर: Imago

यूरोपीयन ऑर्गेनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (सर्न) ने इतालवी भौतिक विज्ञानी अलेसांद्रो स्त्रूमिया की लैंगिक मुद्दों पर एक प्रजेंटेशन को "बेहद आपत्तिजनक" बताते हुए उन्हें निलंबित कर दिया है. पीसा की यूनिवर्सिटी से जुड़े स्त्रूमिया ने "हाई एनर्जी थ्योरी एंड जेंडर" नाम के सेमिनार के दौरान यह प्रजेंटेशन दी थी.

सर्न के प्रवक्ता का कहना है कि तत्काल सेमिनार की रिकॉर्डिंग उपलब्ध नहीं थी. इसलिए जो चार्ट, ग्राफ और तालिका दिखाई गईं, उन्हें संदर्भ के बिना समझना मुश्किल है. लेकिन एक जगह कहा गया था, ''भौतिक विज्ञान को पुरुषों ने ही खोजा और खड़ा किया है. इसे न्यौता देकर नहीं बनाया गया.''

सर्न का कहना है कि प्रोफेसर ने जो प्रेजेंटेशन दिया, उसके कंटेंट की जानकारी संस्था को पहले से नहीं थी, लेकिन उन्होंने जो कहा वह अस्वीकार्य है.

समाचार एजेंसी एपी ने जब इस बारे में स्त्रूमिया से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि उनकी जो सोच थी वह एक गलतफहमी है और वह नहीं मानते कि भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में पुरुष महिलाओं से बेहतर हैं.

उन्होंने कहा, "वर्कशॉप में लगातार कहा जा रहा था कि पुरुष बुरे होते हैं और हमारे साथ भेदभाव करते है. मैंने चेक किया कि क्या वाकई ऐसा है तो परिणाम था, ऐसा नहीं है. "

प्रोफेसर स्त्रूमिया ने कहा, "एक राजनीतिक समूह है जो चाहता है कि महिलाएं और दूसरे लोग खुद को पीड़ित ही समझते रहें." अपने निलंबन पर स्त्रुमिया ने कहा, ''मेरा मानना है कि सर्न गलती कर रहा है. मुझे इसलिए निलंबित किया गया क्योंकि यह सच है और यह राजनीति रुख के उलट है."

महिला शोधकर्ताओं का विरोध

इस वर्कशॉप में मौजूद रहीं और जर्मनी में कॉस्मोलॉजी की पढ़ाई करने वाली लॉरा कोवी का कहना है कि स्त्रुमिया की कही बातों में दम नहीं था. उन्होंने कहा, "वह दावा कर रहे थे कि महिलाएं पुरुषों के मुकाबले कम रिसर्च प्रकाशित होने के बाजवूद पद पा रही हैं. मुझे नहीं लगता कि उनकी बात को साबित करने के लिए कोई डाटा मौजूद है."

कोवी मानती हैं कि दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण भौतिक विज्ञानी पुरुष रहे हैं, लेकिन उनके मुताबिक यह एक तरह का "ऐतिहासिक पूर्वाग्रह" है क्योंकि पुरुषों के पास महिलाओं के मुकाबले पढ़ने-लिखने के अधिक मौके रहे हैं.

कोवी बताती हैं कि स्त्रुमिया पहले भी आपत्तिनजक बातें कहते रहे हैं और सेमीनार में अपनी प्रजेंटेशन के बाद ही उन्हें कई लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा. बात इतनी बढ़ गई कि सेशन को फौरन खत्म कर दिया गया. कोवी बताती हैं, "उनकी बातें सुनकर लोग परेशान हो गए. बाद में तो वे पूरी तरह अवैज्ञानिक बातें करने लगे.'' 

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की डॉ. जूली मूट ने भी इस सेमीनार में प्रजेंटेशन दिया. उन्हें यह बात "शर्मनाक" लगती है कि स्त्रुमिया ने वहां पेश दूसरी प्रेजेंटेशनों में कही बातों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया. इसमें वह अपनी रिसर्च का भी जिक्र करती हैं जो करीब 40 हजार युवाओं पर की गई और इसमें 10 से 18 साल के लोगों के इंटरव्यू शामिल हैं.

एक ईमेल में उन्होंने बताया, ''नतीजे बताते हैं कि भौतिक विज्ञान में लड़कियों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है. कोई टीचर कहता है, 'भौतिकी के लिए लड़कों वाले दिमाग की जरूरत है' तो कहीं अध्यापक लड़कों के मुकाबले लड़कियों को भौतिकी पढ़ने के लिए कम प्रोत्साहित करते हैं. इससे लड़कियों को अपनी काबिलियत पर संदेह पैदा होने लगता है कि क्या वे वाकई भौतिक विज्ञान को समझ पा रही हैं.''

दिलचस्प बात यह है कि सर्न की प्रमुख इस समय एक महिला हैं. इतालवी भौतिक विज्ञानी फाबियोला जियानोत्ती इसका नेतृत्व कर रही हैं. इस पूरे विवाद के बाद सर्न ने एक बयान में कहा है कि उसके यहां सभी को बराबर मौके दिए जाते हैं और जातीयता, धार्मिक विश्वास, लिंग या फिर लैंगिक झुकाव के आधार पर किसी से भेदभाव नहीं होता.

वीसी/एमजे (एपी)

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