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महिलाओं के लिए खतरनाक भारत के शौचालय

१ अक्टूबर २०१८

बुलेट सवार विधी मल्ला दिल्ली के पास हाइवे पर पेशाब करने के लिए रुकीं और एक रेस्तरां के शौचालय में गईं पर वहां का हाल देख कर उल्टे पांव लौट गईं. सरकार लाखों शौचालय बनाने का डंका बजा रही है लेकिन सफाई की मंजिल अभी दूर है.

Indien Rajasthan Toilette
तस्वीर: imago stock&people

केवल महिलाओं के मोटरसाइकिल क्लब के सवारों के साथ विधी हाइवे पर जाते वक्त जिस शौचालय में गईं वो एक अच्छी सी खाने पीने की दुकान में था लेकिन वहां से बहुत दुर्गंध आ रही थी और टॉयलेट की सीट पर पेशाब बिखरा था. विधी की हिम्मत नहीं हुई कि वो अंदर जा सकें, वो वापस लौटीं और घर जा कर ही फारिग हुईं. विधि मल्ला पेशे से पब्लिक रिलेशन कंसल्टेंट हैं समाचार एजेंसी एफपी से बातचीत में उन्होंने बताया, "शौचालय बहुत बड़ा मुद्दा है. एक बार एक बड़े होटल के शौचालय का इस्तेमाल करने के बाद भी मुझे इंफेक्शन हो गया." मल्ला के बाइक ग्रुप के साथियों के पास भी ऐसी ही कहानियां हैं, कहीं इस्तेमाल किए हुए टॉयलेट्स से भरा बिन दिखा तो किसी ने अपने कपड़ों की किनारी से शौचालय की सीट पोंछी.

तस्वीर: P. Samanta

डॉक्टर बताते हैं कि गंदे शौचालय खासतौर से महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए बहुत नुकसानदेह हैं. गंदा शौचालय का इस्तेमाल, पर्याप्त पानी ना पीना या देर तक पेशाब को रोक कर रखना महिलाओं के मूत्र प्रणाली में संक्रमण का खतरा पैदा करता है. यह ऐसी समस्या है जिसका सामना करीब आधी महिलाओँ की आबादी कम से कम एक बार जरूर करती है. स्त्री रोग विशेषज्ञ अंशु जिंदल बताती हैं कि भारत के शौचालय, "संक्रमण के पनपने के लिए जमीन मुहैया कराते हैं."

महिलाओँ के स्वास्थ्य की जरूरतों को ध्यान में रख कर कई कंपनियों ने ऐसी कुछ चीजें बनाई हैं जिनके इस्तेमाल से इस जोखिम को कम किया जा सकता है. भारत के कुछ स्टार्टअप ने भी इस दिशा में पहल की है. पी बडी, और पीसेफ नाम के स्टार्टअप इसी तरह के सामान बना रहे हैं. पी बडी ने एक कार्डबोर्ड की फनल बनाई है जो महिलाओँ को टॉयलट सीट से दूर रह कर पेशाब करने में मदद करती है. इसी तरह पी सेफ ने स्प्रे बनाया है जिससे टॉयलेट सीट को साफ और कीटाणुमुक्त किया जा सकता है. 75 एमएल की यह स्प्रे 350 रुपये में मिलता है. 

पी सेफ को शुरू करने वाले विकास बागड़िया ने बताया कि बीते 18 महीनों में ही 7.5 लाख स्प्रे बेचे जा चुके हैं. फिलहाल यह 10 देशों में बेची जा रहे हैं. पी बडी को शुरू करने की सोच रखने वाले दीप बजाज बताते हैं कि उन्हें इसका आइडिया तब आया जब एक रोड ट्रिप के दौरान उन्होंने देखा कि महिलाएं कुछ पी नहीं रही थीं. उन्होंने बताया, "पुरुष तो किस्मत वाले हैं वो कहीं भी खड़े हो कर पेशाब कर सकते हैं." विधी मल्ला कहती हैं कि इन सब सामानों की बदौलत अब सड़कों पर चलने में अब उन्हें दोबारा सोचना नहीं पड़ता. बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में महिलाओँ के स्वास्थ्य और साफ सफाई का कारोबार करीब 34 करोड़ डॉलर का है जो 2020 तक 52.2 करोड़ डॉलर का हो जाएगा. 

महात्मा गांधी के 150वें जन्मदिन के मौके पर दिल्ली में चल रहे महात्मा गांधी इंटरनेशनल सैनिटेशन कंनवेंशन में इस तरह के मुद्दों पर चर्चा हो रही है. इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेस कई मंत्रियों और विशेषज्ञों के साथ शामिल हो रहे हैं. साफ सफाई की कमी भारत और दूसरे विकासशील देशों के लिए अब भी एक बड़ी समस्या है. हालांकि मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद इस दिशा में कई कदम उठाए हैं. सरकार का दावा है कि 2014 में जहां 55 करोड़ लोग खुले में शौच कर रहे थे वहीं अब यह तादाद घट कर 15 करोड़ पर आ गई है. हालांकि शौचालयों की स्थिति अब भी बेहद खराब है.

अगर दिल्ली को ही देखें तो यहां करीब 1.9 करोड़ आबादी है लेकिन सार्वजनिक शौचालयों की संख्या महज कुछ सौ ही है. पिछले साल सामाजिक संगठन ने एक्शन एड के 200 शौचालयों के सर्वे में पता चला कि 70 फीसदी शौचालय गंदे थे और उनमें पानी की सप्लाई तक नहीं थी.

एनआर/ओएसजे(एएफपी)

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