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महिलाओं के साथ घर से दफ्तर तक भेदभाव

६ जुलाई २०११

महिलाओं को पहले की तुलना में अधिक अधिकार भले ही मिलते हों, लेकिन आज भी घर पर वे हिंसा का शिकार बनती हैं और दफ्तर में भी उनसे भेद भाव किया जाता है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है.

तस्वीर: picture-alliance/Photoshot

संयुक्त राष्ट्र की नई एजेंसी यूएन वुमन ने यह रिपोर्ट प्रस्तुत की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि आज से दो शतक पहले केवल दो ही देशों में महिलाओं को मताधिकार था, लेकिन अब लगभग हर देश महिलाओं को यह अधिकार देता है. इसके बावजूद उनके विकास के रास्ते में कई बाधाएं हैं. रिपोर्ट में कहा गया है, "ऐसी लाखों महिलाएं हैं, जो जीवन में कभी ना कभी अपने पति के हाथों हिंसा का शिकार हुई हैं... ऐसा बहुत बार देखा गया है कि महिलाओं को फैसले लेना का हक नहीं दिया जाता, उन्हें खुद को हिंसा से बचाने की भी अनुमति नहीं होती."

रिपोर्ट में कहा गया है कि एसे 186 देश हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार देश में लिंग भेद खत्म करने की प्रतिज्ञा ली है, लेकिन वे ऐसा करने में नाकाम रहे हैं. 127 देश तो इसे हैं जो बलात्कार की सजा भी नहीं दे पाते और 61 देशों में गर्भपात पर रोक है.

तस्वीर: fotolia

महिलाओं को घर पर बुरे व्यव्हार के साथ साथ दफ्तर में भी तनाव का सामना करना पड़ता है.

रिपोर्ट में कहा गया है, "दुनिया में आधी से अधिक नौकरीपेशा महिलाएं ऐसी नौकरियां कर रही हैं, जहां वे सुरक्षित महसूस नहीं करती. इनकी संख्या करीब 60 करोड़ है और जिस तरह की नौकरियों में वे फंसी हुई हैं, वह श्रम कानूनी के दायरे से भी बाहर है." रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को तीस प्रतिशत कम वेतन मिलता है.

तस्वीर: picture-alliance/Lehtikuva

भारी पड़ी टिपण्णी

न्यूजीलैंड में कंपनी प्रमुखों के संघ के अध्यक्ष को अपनी नौकरी से हाथ दोना पड़ा है क्योंकि उन्होंने महिलाओं को कम वेतन मिलने को जायज बताया. अलासदाइर थॉम्पसन ने हाल ही में एक रेडियो इंटरव्यू में कहा कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं कम काम करती हैं. थॉम्पसन ने कहा, "सबसे अधिक छुट्टियां कौन लेता है? आम तौर पर महिलाएं. और क्यों? क्योंकि महीने में एक बार उनकी तबियत खराब होती है. सारी महिलाएं नहीं लेती, लेकिन कुछ तो लेती ही हैं. फिर उन्हें बच्चों का ख्याल रखना होता है, इसलिए उन्हें दफ्तर से जल्दी निकलना होता है या छुट्टी लेनी होती है. इसलिए उनसे काम कम होता है, इसमें उनकी कोई गलती नहीं है."

थॉम्पसन की इन टिप्पणियों ने देश में विवाद खड़ा कर दिया और बुधवार को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. अपनी सफाई में थॉम्पसन ने कहा कि वे भेदभाव नहीं करते, उन्होंने केवल तथ्य प्रस्तुत किए हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ ईशा भाटिया

संपादन: आभा एम

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