यूरोपीय आयोग महिला कर्मचारियों को पुरुषों के मुकाबले कम वेतन मिलने की समस्या से निपटने की तैयारी कर रहा है. आयोग के प्रस्ताव के तहत कंपनियों को इस गैर-बराबरी की जानकारी को दर्ज करना होगा और आयोग के साथ साझा करना होगा.
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आयोग ने इस पर एक नया कानून बनाया है जिसे गुरुवार को सार्वजनिक किया जाएगा. रॉयटर्स ने इसका मसौदा देखा है. मसौदे के मुताबिक नया कानून 250 से ज्यादा कर्मचारियों वाली सभी कंपनियों पर लागू होगा. आयोग को उम्मीद है कि इससे वेतन देने की व्यवस्था में जो पारदर्शिता आएगी उससे इस गैर-बराबरी को दुरुस्त किया जा सकेगा. कोरोना वायरस महामारी के काल में आ रहे इस कानून का विशेष महत्व है.
कई अध्ययन यह दिखा चुके हैं कि कोविड-19 का असर पुरुषों से ज्यादा कामकाजी महिलाओं पर पड़ा है. यूरोपीय आयोग के मुताबिक 27 देशों के यूरोपीय संघ में महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले औसतन 14 प्रतिशत कम वेतन मिलता है. आयोग का कहना है कि इसका मतलब है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं हर साल लगभग दो महीने बिना वेतन के काम करती हैं. यह गैर-बराबरी लग्जेम्बर्ग में 1.4 प्रतिशत है तो एस्टोनिया में 21.8 प्रतिशत.
नया कानून कर्मचारियों और नौकरी पाने के लिए आवेदन करने वालों को यह अधिकार देगा कि वो अपने पद के लिए वेतन से संबंधित जानकारी कंपनियों से मांग सकेंगे. इसके तहत वो पूछ सकेंगे कि उनके पद के लिए अपेक्षित वेतन कितना है और दूसरों के वेतन से तुलना में उसका स्तर क्या है? जो कंपनियां वेतन देने में पुरुषों और महिलाओं के बीच भेद भाव की दोषी पाई जाएंगी उन पर जुर्माना लगाया जाएगा.
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को परिवार के सदस्यों की देख भाल करने से संबंधित ज्यादा जिम्मेदारियों को उठाना पड़ता है जिसकी वजह से उन्हें बीच बीच में काम से छुट्टी लेनी पड़ती है और काम करने के घंटों को भी कम करना पड़ता है. वेतन में भेदभाव के साथ मिल कर यह सभी कारण उनकी पेंशन को भी पुरुषों की पेंशन से 30 प्रतिशत नीचे धकेल देते हैं.
2014 से इस गैर-बराबरी में थोड़ी सी ही कमी आई है और हाल में हुए अध्ययन दिखाते हैं कि महामारी ने श्रम बाजार की इस असमानता को और गहरा कर दिया है. लिंक्डइन के मुताबिक पुरुषों के मुकाबले ज्यादा महिलाओं की नौकरी गई, क्योंकि महामारी का सबसे ज्यादा असर रिटेल, यात्रा और लेजर क्षेत्रों पर पड़ा.
लिंक्डइन ने कहा, "पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की नौकरियां आर्थिक झटकों के आगे ज्यादा कमजोर होती हैं. इस से कार्यक्षेत्र में बराबरी को काफी धक्का लगा है." फरवरी में आई यूरोपीय संघ की संस्था यूरोफाउंड की एक रिपोर्ट में भी इसी तरह के नतीजे सामने आए थे. रिपोर्ट में कहा गया था कि महामारी का सबसे पहला असर अनुपातहीन रूप से कम कमाई वाली महिला कर्मियों पर पड़ा है.
भारत में 85 फीसदी महिलाएं वेतन बढ़ने और प्रमोशन से चूकीं- रिपोर्ट
लिंक्डइन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 85 फीसदी महिलाएं वेतन वृद्धि और पदोन्नति से चूक गईं. इसमें कहा गया है कि देश में कई महिलाओं के पास घर से काम करने की छूट है लेकिन वे समय की कमी जैसी बाधाओं का सामना करती हैं.
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महिला कर्मचारियों के लिए समानता का रास्ता अभी दूर
लिंक्डइन ऑपर्च्युनिटी इंडेक्स 2021 रिपोर्ट के मुताबिक भारत में एशिया प्रशांत के 60 फीसदी औसत से 15 फीसदी अधिक यानी 85 फीसदी महिला कर्मचारियों से औरत होने के कारण वेतन वृद्धि, पदोन्नति और अन्य लाभ के मौके छिन गए.
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काम और परिवार की जिम्मेदारी
रिपोर्ट में कहा गया कि 10 में 7 कामकाजी महिलाओं और मांओं को लगता है कि पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाना अक्सर उनके करियर के विकास में आड़े आता है. लगभग दो-तिहाई कामकाजी महिलाओं (63 प्रतिशत) और कामकाजी माताओं (69 प्रतिशत) ने कहा कि उन्हें पारिवारिक और घरेलू जिम्मेदारियों के कारण काम में भेदभाव का सामना करना पड़ा.
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"पुरुषों की तुलना में कम अवसर"
देश में महिलाओं से पूछा गया कि वे अपने करियर में आगे बढ़ने के अवसरों से नाखुश होने का कारण क्या मानती हैं तो पांच में से एक (22 प्रतिशत) ने कहा कि कंपनियां 'अनुकूल पूर्वाग्रह' का प्रदर्शन करती है, जो कि क्षेत्रीय औसत 16 प्रतिशत से काफी अधिक है.
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"37 प्रतिशत महिलाओं को कम वेतन"
सर्वे रिपोर्ट में कहा गया कि 37 फीसदी महिलाओं का यह भी कहना है कि उन्हें पुरुषों की तुलना में कम वेतन मिलता है. रिपोर्ट में 21 फीसदी पुरुष इस बात से सहमत पाए गए. वहीं 37 फीसदी कामकाजी महिलाओं का कहना है कि उन्हें पुरुषों की तुलना में कम अवसर मिलते हैं. इस पर सिर्फ 25 फीसदी पुरुष ही सहमत हुए.
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करियर और जेंडर
पुरुषों और महिलाओं दोनों का मानना है कि वे नौकरी में तीन चीजों की तलाश करते हैं- नौकरी की सुरक्षा, एक ऐसा काम जिससे वे प्यार करते हैं और एक अच्छा वर्क लाइफ बैलेंस. रिपोर्ट के मुताबिक 63 प्रतिशत महिलाओं को लगता है कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए लिंग महत्वपूर्ण होता है. जबकि पुरुषों में 54 फीसदी को ऐसा लगता है.
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नौकरी पर महामारी का असर
5 में से 4 भारतीयों ने कहा कि उनपर कोरोना वायरस महामारी का नकारात्मक असर हुआ, जबकि 10 में से 9 ने कहा कि वे नौकरी से छंटनी, वेतन में कटौती और काम के घंटों में कटौती से प्रभावित हुए.
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"महिलाओं को मिले अवसर"
लिंक्डइन इंडिया में टैलेंट और लर्निंग सॉल्यूशंस की निदेशक रूचि आनंद कहती हैं कि देश में कामकाजी महिलाओं के लिए नौकरी की सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है. उनके मुताबिक महिला कर्मचारियों के लिए लचीले शेड्यूल और सीखने के नए मौके महत्वपूर्ण हैं जो संगठनों को अधिक महिला प्रतिभाओं को आकर्षित करने, काम पर रखने और बनाए रखने में मदद कर सकते हैं.
सर्वे में कौन-कौन शामिल
लिंक्डइन ने यह सर्वे करने की जिम्मेदारी बाजार अनुसंधान कंपनी जीएफके को दी थी. सर्वे 26 से 31 जनवरी के बीच हुआ और भारत में 2285 लोग शामिल हुए, जिनमें 1223 पुरुष और 1053 महिलाएं थीं.