भारत की महिला किसानों ने सरकार से गुहार लगायी है कि जमीन पर उनके अधिकारों को सुनिश्चित किया जाए और उन्हें सुरक्षित माहौल मुहैया कराया जाए. ये वे महिलाएं हैं जिनके परिवारों के पुरूष काम की तलाश में शहर को चले गये हैं.
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भारत में खेती किसानी से जुड़ा तकरीबन दो-तिहाई काम महिलाएं करती हैं लेकिन भूमि के महज 13 फीसदी हिस्से पर ही उनका अधिकार है. अब ये महिलाएं जमीन कर अपना अधिकार चाहती हैं और इसी उद्देश्य के साथ उन्होंने सरकार से गुहार लगायी है.
महिला अधिकारों के लिये काम कर रही संस्था 'महिला किसान अधिकार मंच' की सोमा पार्थसारथी कहती हैं, "आज जब देश की कृषि व्यवस्था में महिलाओं की भूमिका बढ़ रही है तो जरूरत है कि ऐसा डाटा में भी नजर आये." पार्थसारथी कहती हैं कि महिलाओं के ऊपर काम का अधिक दबाव है लेकिन उनके अधिकार असुरक्षित हैं.
पार्थसारथी दिल्ली में महिलाओं के उस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रही हैं, जो भूमि अधिकारों पर महिलाओं की बराबरी की मांग कर रहा है. उनका कहना हैं कि महिलाओं का नाम जमीन और कृषि से जुड़े रिकॉर्डों पर नजर आयेगा, तभी उन्हें कानूनी रूप से किसान होने के सारे लाभ मिल सकेंगे.
मौजूदा स्थिति में कानूनी कागजों के टाइटल में अगर महिलाओं का नाम नहीं होता तो सरकार उन्हें किसान के बजाए सहयोगी कह देती है, जिसके चलते उन्हें ऋण, बीमा और अन्य सरकारी लाभों का कोई फायदा नहीं होता. इस पूरी मुहिम को लेकर पार्थसारथी कहती हैं कि हमारी मुख्य मांग तो ऐसी धारणा और ऐसी परिभाषा को बदलने की है जिसमें महिलाओं को किसान का दर्जा नहीं मिलता.
विध्वंसकारी ताकत और इरादों वाले कीट
पृथ्वी में जहां जीवन है, वहीं जीवन को खत्म कर रिसाइक्लिंग करने वाले कीट भी हैं. इनके पास विध्वंसकारी ताकत होती है. एक नजर ऐसे ही कीटों पर.
तस्वीर: picture-alliance/blickwinkel/R. Koenig
छोटा लेकिन ताकतवर
लकड़ी में रहने वाले झिंगुर की आवाज अक्सर जंगल में या रात को सुनाई पड़ती है. यह स्वस्थ पेड़ को भी धराशायी कर सकता है. झिंगुर अगर पेड़ की भीतरी झाल में पहुंच जाए तो वह भीतरी परिवहन प्रणाली को खत्म करने लगता है.
तस्वीर: Imago/S. Schellhorn
गीजू
गीजू का यह लार्वा पत्तों को मार देता है. पत्तों की मौत से पौधे के प्रकाश संश्लेषण में बाधा आती है और वह भूखा मरने लगता है. पहली बार ग्रीस में सामने आया ये कीट बरसात से सर्दियों के बीच सक्रिय रहता है.
तस्वीर: picture alliance/WILDLIFE
टिड्डा
अकेला टिड्डा घातक नहीं, लेकिन अगर इनका झुंड हो तो फिर हालात गंभीर हो जाते हैं. एक झुंड में 4 करोड़ से 8 करोड़ टिड्डे हो सकते हैं. एक टिड्डा हर दिन अपने वजन के बराबर खाना खाता है. यानी एक दिन में एक बड़ा झुंड लाखों किलो फसल चट कर जाता है.
तस्वीर: AP
घोंघा
धीमा और सुस्त दिखने वाला घोंघा भले ही नुकसानदेह न लगे, लेकिन किसानों को यह परेशान करता है. यह फलों और सब्जियों में छेद कर देता है. छोटे पौधों को यह कुतर भी देता है.
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तस्वीर: imago/McPHOTO
पी एपहाइड्स
ये छोटे से कीट सिर्फ 12 दिन जिंदा रहते हैं लेकिन इतने ही दिनों में पौधे का रस चूस लेते हैं. दो हफ्ते से भी छोटी जिंदगी में एक मादा 100 कीटों को जन्म देती है. देखते ही देखते एक ही परिवार पूूरी फसल बर्बाद कर देता है.
तस्वीर: Whitney Cranshaw/Colorado State University/Bugwood.org/cc-by-3.0-US
दीमक
लकड़ी में अगर ये घुसे तो फिर समझिये कि खेल खत्म. लकड़ी चट करने के अलावा दीमक मक्के की फसल को भी नुकसान पहुंचाते हैं. ये चाय, कॉफी, पाम ऑयल, रबर और गन्ने की फसल पर भी हमला करते है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
वैरोआ कीट
वैरोआ कीट मधुमक्खियों की पूरी कॉलोनी उजाड़ सकते हैं. यह विषाणु के रूप में मधुमक्खी के शरीर से घुस जाते हैं और फिर मधुमक्खी के प्रतिरोधी तंत्र को कमजोर करने लगते हैं. मधुमक्खियों की मौत से फसलों और फलों के परागण में भी समस्या आती है.
तस्वीर: picture-alliance/blickwinkel/R. Koenig
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भारतीय संविधान में महिलाओं को बराबरी के अधिकार जरूर मिले हैं लेकिन पारंपरिक रूप से परिवार की जमीन बेटों को ही दी जाती रही है. लेकिन अब पुरूषों के कामकाज की तलाश में शहरों की ओर रुख करने से महिलाओं पर दबाव बढ़ रहा है. पार्थसारथी के अनुसार जरूरी ये है कि महिलाओं को न सिर्फ व्यक्तिगत अधिकार मिलें बल्कि जमीन पर भी अधिकार मिलें. पार्थसारथी के मुताबिक पूरा सिस्टम महिला अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए तैयार नहीं है.