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महीने भर में हट जाएगी रूसी सेना

९ सितम्बर २००८

रूस महीने भर के अंदर जॉर्जिया के अलगाववादी इलाक़ों से सेना हटाने पर राज़ी हो गया है. यूरोपीय संघ के साथ अहम बैठक के बाद रूस ने कहा कि यहां यूरोपीय संघ के 200 पर्यवेक्षक तैनात किए जाएंगे.

समझौते का दरवाज़ा खुलाः सारकोज़ी और मेद्वेदेवतस्वीर: AP

मॉस्को के ठीक बाहर मायनडोर्फ़ कैसल में जब सारकोज़ी रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव से मिलने पहुंचे, तो माहौल में थोड़ा तनाव और थोड़ी उम्मीद थी. बैठक के बाद जब दोनों नेता सामने आए तो तनाव कम दिखा और उम्मीद ज़्यादा. यूरोपीय संघ की मेहनत रंग लाई और रूस जॉर्जिया के अलगाववादी इलाक़ों दक्षिण ओसेतिया और अबख़ाज़िया से अपनी सेनाएं हटाने के लिए तैयार हो गया. महीने भर में यह काम कर लिया जाएगा और एक अक्तूबर तक यूरोपीय संघ के क़रीब 200 पर्यवेक्षक यहां तैनात कर दिए जाएंगे. यूरोपीय संघ के मौजूदा अध्यक्ष फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोज़ी के साथ यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ख़ोसे मानुअल बारोसो और यूरोपीय संघ विदेश नीति प्रमुख ख़ावियर सोलाना भी मॉस्को गए हैं.

ईयू रूस की बातचीत मुमकिनतस्वीर: AP

दोनों पक्षों में समझौता होने के बाद फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोला सारकोज़ी ने संकेत दिए कि इस महीने यूरोपीय संघ और रूस के बीच प्रस्तावित बातचीत भी हो सकती है. पिछले हफ़्ते संघ ने यह बातचीत तब तक के लिए टाल दी थी, जब तक रूस अपनी सेनाएं पीछे नहीं हटाता.

मुलाक़ात से ठीक पहले सारकोज़ी ने रूस से अपील की कि वह छह सूत्री समझौते पर अमल करे. दबाव बनाने की नीयत से उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर यूरोप में एकराय है.

जॉर्जिया में रूसी सैनिकतस्वीर: AP

जॉर्जिया ने पिछले महीने अपने अलगाववादी इलाक़े दक्षिण ओसेतिया पर कब्ज़े के लिए हमला कर दिया था, जिसके बाद वहां रूसी सेना घुस आई और जॉर्जियाई सेना को खदेड़ दिया. बाद में रूस ने दक्षिण ओसेतिया और जॉर्जिया के दूसरे अलगाववादी इलाक़े अबख़ाज़िया को आज़ाद घोषित कर दिया. इसके बाद से पश्चिमी देश रूस से नाराज़ हैं. वह रूस से सेनाएं पीछे करने की मांग कर रहे हैं. सारकोज़ी पिछले महीने मॉस्को और जॉर्जिया गए थे, जहां छह सूत्री शांति समझौता बनाया गया. हालांकि जॉर्जिया सहित कई देशों का आरोप है कि रूस इस पर अमल नहीं कर रहा है. उधर, जॉर्जिया ने अंतरराष्ट्रीय युद्ध अपराध अदालत में रूस के ख़िलाफ़ मुक़दमा ठोंका है. कहा गया है कि इलाक़े में रूस मानवाधिकार का उल्लंघन कर रहा है.

यूरोप अपने एक चौथाई गैस सप्लाई के लिए रूस पर निर्भर है और समझा जाता है कि यह एक बड़ी वजह है कि वह रूस के ख़िलाफ़ कोई कड़ा क़दम नहीं उठा सकता. जॉर्जिया विवाद के बाद रूस और पश्चिमी देशों में ज़बरदस्त तनाव बढ़ा है और रूस का आरोप है कि नाटो ने अप्रत्याशित तरीक़े से काले सागर में अपने युद्धपोतों की संख्या बढ़ा दी है.

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