भारत के राजस्थान राज्य में एक 11 साल की लड़की की शादी कर मां बाप ने उसे ससुराल भेज दिया. लेकिन उसके साथ पढ़ने वाले बच्चों ने उसे वहां से निकाल कर वापस स्कूल पहुंचा दिया.
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पीड़ित लड़की के परिवार वालों ने 2012 में उसकी शादी उम्र में उससे काफी बड़े व्यक्ति से करवा दी थी. उस वक्त लड़की की उम्र महज 11 साल थी. 5 साल बाद 2017 में घर वालों ने उसका गौना करा कर उसे ससुराल भेज दिया. राजस्थान और कई दूसरे भारतीय राज्यों में लड़कियों को शादी के कुछ साल बाद ससुराल भेजा जाता है खासतौर से बाल विवाह के मामलों में इसे गौना कहते हैं.
परिवार वालों ने लड़की की शादी पश्चिमी राजस्थान में करवायी थी, जहां आज भी बाल विवाह का प्रचलन है. मई माह में लड़की के रिश्तेदारों ने उसका स्कूल छुड़वाकर पास के गांव में अपने पति के पास जाकर रहने के लिए मजबूर किया.
लेकिन स्कूल में उसके साथ पढ़ने वाले बच्चों ने मीलों नंगे पांव पैदल चलकर अपनी दोस्त का नया घर ढूंढ निकाला.
बच्चों के लिए काम कर रही एक गैरसरकारी संस्था सखी बाल निकेतन के एक शिक्षक गोपाल सिंह ने कहा, "उन्होंने किसी तरह घर खोज लिया और लड़की से मिले. लड़की ने उन्हें बताया कि वह वापस स्कूल लौटना चाहती है और अपने सास ससुर के साथ नहीं रहना चाहती. इस संस्था ने लड़की को वापस स्कूल पहुंचाने में बच्चों की मदद की थी.
नहीं रुक रहीं कम उम्र में शादियां
ह्यूमन राइट्स वॉच ने मांग की है कि बांग्लादेश शादी की उम्र घटाने के प्रस्तावित विधेयक को रद्द कर दे. दक्षिण एशियाई देशों में कम उम्र में शादी का चलन आम है और ये मामले सबसे ज्यादा बांग्लादेश में हैं.
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शादी की उम्र कम करना
जून 2015 में जारी एक रिपोर्ट में ह्यूमन राइट्स वॉच ने बांग्लादेशी अधिकारियों से गुहार लगाई है कि वे बाल विवाह को रोकने की कोशिशें बढ़ाएं. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूह ने बांग्लादेश में प्रस्तावित विधेयक की आलोचना की है जिसमें शादी की कानूनी उम्र 18 से घटाकर 16 साल करने का प्रस्ताव है.
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15वें जन्मदिन से पहले
रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश में 30 फीसदी लड़कियों की शादी उनके 15वें जन्मदिन से पहले कर दी जाती है. बांग्लादेश में बाल विवाह गैर कानूनी है लेकिन अधिकारियों को रिश्वत देकर आसानी से नकली जन्म प्रमाणपत्र बनवाया जा सकता है.
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गरीबी की मार
बार बार आने वाली प्राकृतिक आपदाओं ने बांग्लादेश में गरीबी को और बढ़ावा दिया है. इससे बाल विवाह के मामलों में भी वृद्धि हुई है. पिछले साल प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 2021 तक 15 साल से कम उम्र की शादियों का खात्मा करने की बात कही थी, उनकी सरकार ने इस दिशा में ज्यादा कुछ नहीं किया है.
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घरेलू हिंसा और वैवाहिक बलात्कार
लड़कियों में शिक्षा का अभाव उन्हें ना केवल उन्हें गरीब और आर्थिक रूप से निर्भर बनाता है बल्कि उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है. कम उम्र की लड़कियों के साथ वैवाहिक संबंधो में घरेलू हिंसा और बलात्कार के ज्यादा मामले सामने आते हैं.
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दक्षिण एशिया की हालत
यह समस्या सिर्फ बांग्लादेश की ही नहीं है. लगभग सभी दक्षिण एशियाई देशों में गरीबी और धार्मिक मान्यताओं के चलते कम उम्र में शादी का चलन है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अगले दस सालों में करीब 14 करोड़ लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में कर दी जाएगी. इनमें 50 फीसदी मामले दक्षिण एशिया के हैं.
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सामाजिक मान्यताएं बनाम कानून
भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, नेपाल और श्रीलंका जैसे दक्षिण एशियाई देशों में बाल विवाह पर कानूनी पाबंदी है. लेकिन इससे यहां कम उम्र में शादी के चलन को नहीं रोका जा सका है. यूएनएफपीए के मुताबिक 2000 से 2010 के बीच इन देशों में करीब 20 से 24 साल की 2.44 करोड़ महिलाओं की शादियां 18 साल की उम्र से पहले हो गई थी.
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रवैये में पिरवर्तन
दक्षिण एशिया के लिए यूनीसेफ के उप क्षेत्रीय निदेशक स्टीफेन एडकिसन का कहना है कि स्थानीय समुदायों के लिए जरूरी है कि उनसे बाल विवाह, प्रसव के दौरान होने वाली मौतों, लिंग आधारित भेदभाव जैसे मुद्दों पर बात की जाए जिनकी जड़ें सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक कारणों में है.
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शुरू में पुलिस उनकी बात सुनने को राजी नहीं हुई, लेकिन उन्हें जिले के एक प्रशासनिक अधिकारी का नंबर पुलिस स्टेशन की दीवार पर मिल गया, जिससे उन्हें बाद में मदद मिली.
जिला कलेक्टर सिद्धार्थ महाजन ने एएफपी से कहा कि, "मैंने कुछ अधिकारियों को फोन किया जिसके बाद लड़की को बचाया गया और उसे वापस स्कूल पहुंचाया गया. "
भारत में कानूनन शादी के लिए लड़कियों उम्र 18 तय है, लेकिन लाखों बच्चों का विवाह तब होता है जब वे बहुत छोटे होते हैं, खासकर गरीब ग्रामीण क्षेत्रों में.
यह रिवाज खासकर राजस्थान में विशेष रूप से प्रचलित है जहां राजनीतिक रूप से शक्तिशाली ग्राम परिषदों की सामाजिक और नैतिक जीवन पर मजबूत नियंत्रण है.