बचपन में अपने मां-बाप से जबरन अलग किए गए ऑस्ट्रेलिया के सैकड़ों मूल निवासियों ने सरकार के खिलाफ मुकदमा कर दिया है. ये वो लोग हैं जिन्हें दशकों पहले समावेश की नीतियों के तहत जबरदस्ती श्वेत परिवारों में डाल दिया गया था.
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दशकों पहले ऑस्ट्रेलिया के श्वेत नागरिकों और मूल निवासियों का जबरदस्ती मिश्रण कराने के लिए आधिकारिक नीतियां लागू की गई थीं. हजारों मूल निवासी परिवारों और टोर्रेस स्ट्रेट द्वीप समूहों के मूल निवासी परिवारों के बच्चों को जबरन उनके परिवारों से अलग कर श्वेत परिवारों के साथ धात्रेय या फॉस्टर देख-रेख में डाल दिया गया था. यह नीतियां 1970 के दशक तक चलीं. अब वो बच्चे बड़े हो गए हैं और उन्होंने मिलकर इसके लिए सरकार की जवाबदेही तय करने की ठानी है.
उनमें से कइयों ने मिल कर सरकार के खिलाफ क्लास एक्शन मामला दर्ज कराया है और उनके साथ हुए अन्याय के लिए मुआवजे की मांग की है. इन लोगों को अब "चुराई पीढ़ी" या "स्टोलेन जेनेरेशंस" के नाम से जाना जाता है. उस काल में उन्हें उनकी अपनी भाषाएं बोलने और अपनी संस्कृति का पालन करने के लिए भी सजा दी जाती थी. उनमें से कई फिर कभी अपने मां-बाप और अपने भाई-बहनों को देख तक नहीं पाए.
शाइन लॉयर्स नाम की लीगल कंपनी के त्रिस्तान गैविन ने बताया कि उनकी कंपनी ने बुधवार 28 अप्रैल को लगभग 800 लोगों की ओर से यह मामला दर्ज किया. ये सभी नॉर्दर्न टेरिटरी के रहने वाले हैं. माना जा रहा है कि उनके जैसे हजारों लोग इस मुकदमे से जुड़ने के योग्य हैं. ऑस्ट्रेलिया के कई राज्य इस समस्या को समझते हैं और वहां की सरकारों ने इस "चुराई पीढ़ी" के लोगों के लिए कई तरह की योजनाएं बनाई.
जिस समय ये अत्याचार किए गए उस समय नॉर्दर्न टेरिटरी की कानूनी जिम्मेदारी केंद्र सरकार के पास थी, लेकिन उसने अभी तक इन लोगों के लिए कोई नीति लागू नहीं की है. गैविन कहते हैं, "टेरिटरी में मूल निवासी परिवारों को उजाड़ देने की जिम्मेदारी राष्ट्रमंडल की थी और राष्ट्रमंडल को ही प्रायश्चित करना पड़ेगा. पहले की गलतियों को स्वीकारे बिना भविष्य को सुधारना असंभव है."
लगभग 2,50,000 लोगों की आबादी वाली टेरिटरी में इस तरह का पहला मामला है. यहां की कुल आबादी में से लगभग एक-तिहाई मूल निवासी हैं. 84 वर्ष की हेदर ऐली को नौ साल की उम्र में उनकी मां से अलग कर दिया गया था. वो कहती हैं कि उस तजुर्बे से वो "कई सालों तक टूटा हुआ महसूस करती रहीं. उन्होंने बताया, "उन्होंने पूरी पीढ़ियां ऐसे मिटा दीं जैसे वो कभी थी ही नहीं. मैं इस मुकदमे में इसलिए शामिल हुई हूं क्योंकि मेरा मानना है कि हमारी कहानियां बताई जानी चाहिएं."
मुकदमा लड़ने का खर्च लिटिगेशन लेंडिंग सर्विसेज उठा रही है, जिसने 2019 में क्वींसलैंड में मूल निवासियों को भुगतान नहीं किए गए वेतन के खिलाफ एक मुकदमे का भी समर्थन किया था. शाइन लॉयर्स ने बताया कि इस मुकदमे में मुआवजे की रकम तो अभी तय नहीं की गई है, लेकिन अगर वे जीत गए तो खर्च उठाने वाली संस्था को 20 प्रतिशत कमीशन मिलेगा. मूल निवासी मामलों के मंत्री केन वायेटके एक प्रवक्ता ने कहा कि "अदालत में दायर एक कानूनी मामले पर टिप्पणी करना मंत्री के लिए अनुचित होगा." मामले में पहली सुनवाई जून में होगी.
सीके/एए (एएफपी)
आज बच्चे हैं लेकिन यही कल राजा रानी बनेंगे
21वीं सदी में भी दुनिया के कई देशों में राजशाही व्यवस्था है और वहां शाही परिवारों को बहुत मान सम्मान दिया जाता है. चलिए मिलते हैं इन्हीं परिवारों के नन्हें सदस्यों से जो भविष्य में राजा और रानी बनेंगे.
तस्वीर: AFP/Kensington Palace
प्रिंस जॉर्ज (ब्रिटेन)
ब्रिटेन के प्रिंस जॉर्ज की तस्वीरें अंतरराष्ट्रीय मीडिया में छायी रहती हैं. 22 जुलाई 2013 को पैदा हुए प्रिंस जॉर्ज अपने दादा प्रिंस चार्ल्स और पिता प्रिंस विलियम के बाद राजगद्दी के तीसरे दावेदार होंगे.
तस्वीर: AFP/Kensington Palace
प्रिंसेस शारलोट (ब्रिटेन)
प्रिंस शारलोट में उनकी परदादी महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की छलक दिखती है. वह अपने भाई प्रिंस जॉर्ज से दो साल छोटी हैं और राजगद्दी के उत्तराधिकारियों की सूची में चौथे नंबर पर हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Jackson
प्रिंस जिगमे नामग्येल वांगचुक (भूटान)
प्रिंस जिगमे नामग्येल वांगचुक के जन्म के सम्मान में भूटान में 108,000 पेड़ लगाये गये थे. 16 अप्रैल 2016 को जन्मे प्रिंस जिगमे नामग्येल भूटान के राजा जिगमे खेसर नामग्येल वांगचुक की पहली संतान हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa/Royal Office for Media, Bhutan
प्रिंस हीसाहीतो (जापान)
जापान के राजकुमार का जन्म 6 सितंबर 2006 को हुआ. राजगद्दी के वारिसों में वह तीसरे स्थान पर आते हैं. यह तस्वीर 2009 की है जब टोक्यो के जू में तीन साल के राजकुमार ने खरगोश के साथ खूब मस्ती की थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/MAXPPP
प्रिंसेस लियोनोर (स्पेन)
प्रिंसेस लियोनोर (दायें) और उनकी बहन सोफिया (बायें) स्पेन के मौजूदा राजा फेलिपे छठे की बेटियां हैं. 31 अक्टूबर 2005 को जन्मी प्रिंसेस लियोनोर बड़ी बेटी होने के नाते पिता के बाद राजगद्दी संभालेंगी.
तस्वीर: Getty Images/C. Alvarez
प्रिंसेस कैथरीन अमालिया (नीदरलैंड्स)
7 दिसंबर 2003 को जन्मी प्रिंसेस कैथरीन अमालिया नीदरलैंड्स की राजगद्दी की वारिस हैं. अभी उनके पिता विलियम अलेक्जांडर देश के राजा हैं जिन्होंने 30 अप्रैल 2013 को शासन की बाडगोर संभाली.
बेल्जियम में भी राजशाही व्यवस्था है और अभी किंग फिलिप राजा हैं. उनके बाद उनकी बेटी प्रिंसेस एलिजाबेथ महारानी बनेंगे. 25 अक्टूबर 2001 को जन्मी प्रिंसेस एलिजाबेथ अभी डचेस ऑफ ब्राबैंट हैं.
तस्वीर: picture alliance/DPR
प्रिंसेस एमालिया (लक्जमबर्ग)
प्रिंसेस एमालिया लक्जमबर्ग के राजा फेलिक्स की सबसे बड़ी संतान हैं. 15 जून 2014 को जन्मी प्रिंसेस अमालिया ऑफ नसाऊ पिता के बाद राजगद्दी की उत्तराधिकारी हैं.
तस्वीर: Getty Images
प्रिंसेस इंग्रिड एलेक्जांड्रा (नॉर्वे)
नॉर्वे की राजकुमारी इंग्रिड एलेक्जांड्रा का जन्म 21 जून 2004 को हुआ. वह क्राउन प्रिंस हाकोन की बड़ी बेटी हैं. अभी राजकुमारी इंग्रिड के दादा किंग हेराल्ड पांचवें गद्दी पर हैं.
तस्वीर: Getty Images/N. Waldron
प्रिंस क्रिस्टियान (डेनमार्क)
डेनमार्क के क्राउन प्रिंस फ्रेडेरिक की चार संतानें हैं जिनमें प्रिंस क्रिस्टियान सबसे बड़े हैं. 15 अक्टूबर 2005 को जन्मे प्रिंस क्रिस्टियान अपनी दादी और मौजूदा महारानी मार्ग्रारेथा द्वितीय और अपने पिता के बाद गद्दी के तीसरे वारिस हैं.
तस्वीर: picture alliance/Scanpix Denmark
प्रिंस मौले एल हसन (मोरक्को)
मोरक्को के प्रिंस मौले एल हसन 2015 से अपने पिता और मोरक्को के शाह मोहम्मद छठे के साथ सार्वजनिक आयोजन में दिखने लगे. 8 मई 2003 को जन्मे प्रिंस मौले हसन ही पिता के बाद राजगद्दी के वारिस हैं.