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माउंट एवरेस्ट फ़तह करने को तैयार रोमेरो

१३ अप्रैल २०१०

माउंट एवरेस्ट की चुनौती बड़े बूढ़ों के होश उड़ा देती है लेकिन 13 साल के जॉर्डन रोमेरो एक नया रिकॉर्ड कायम करना चाहते हैं. इससे कम उम्र वाले किसी ने भी अब तक इस पर्वत पर जीत हासिल नहीं की है.

दुनिया की छत माउंट एवरेस्टतस्वीर: picture-alliance / united-archives/mcphoto

नौ साल की उम्र से रोमेरो को एवरेस्ट चढ़ने की चाह थी. 10 साल की उम्र में रोमेरो अफ़्रीका के किलिमंजारो पर्वत की चोटी पर पहुंचे थे. इससे पहले वह अलास्का में मैककिनली पर्वत भी चढ़ चुके हैं. रोमेरो के साथ उसके माता पिता भी एवरेस्ट चढ़ रहे हैं और काठमांडू से बेस कैंप के लिए रवाना हो गए हैं.

छोटी उम्र के रोमेरो कहते हैं, "मैं हमेशा चाहता था कि मरने से पहले मैं यह काम करूं. बात बस यह है कि मैं यह काम इस उम्र में कर रहा हूं. ऐसा लगता है कि मैं विश्व रिकॉर्ड बनाने की कोशिश में हूं, लेकिन मैं बस चढ़ना चाहता हूं." एवरेस्ट जैसी चोटी पर चढ़ने के लिए ज़ाहिर है रोमेरो ने काफी तैयारी की है.

तस्वीर: DW

अमेरिका में अपने राज्य कैलिफ़ॉर्निया में रोमेरो भारी बोझ लेकर पहाड़ चढ़ते थे और उच्च दबाव वाली परिस्थितियों की नकल करने वाले ख़ास टेंट में सोते थे.

ज़्यादातर पर्वतारोही एवरेस्ट पर नेपाल की ओर से चढ़ने की कोशिश करते हैं लेकिन रोमेरो के पिता पॉल का मानना है कि नेपाल बेस कैंप के ऊपर हिमस्खलन की वजह से यह रास्ता ख़तरनाक हो सकता है. अब यह दस्ता तिब्बत की तरफ़ से एवरेस्ट पर चढ़ेगा, हालांकि इसमें भी ख़तरे कम नहीं हैं. जॉर्डन का कहना है कि उनके साथ जाने वाली टीम अच्छी है और वे ख़तरे मोल लेने के बजाए पीछे हट जाएंगे.

15 और 25 मई के बीच चढ़ाई शुरू करने से पहले टीम कई दिन तिब्बत के बेस कैंप में गुज़ारेगी और वहां के जलवायु और मौसम में अभ्यस्त होगी. इससे पहले नेपाल के तेंबा त्शेरी 16 साल की उम्र में एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचे थे. हालांकि जॉर्डन रोमेरो का एवरेस्ट चढ़ना बहुत बहादुरी का काम है. कई लोगों का मानना है कि 13 साल के बच्चे को इस तरह के ख़तरे का सामना कराना उसके माता पिता की ग़लती है.

लेकिन रोमेरो कहते हैं कि वह आलोचना पर नहीं बल्कि चढ़ाई पर ध्यान देना चाहते हैं. चढ़ाई से पहले वाले दिनों में जॉर्डन को स्कूल से मिला हुआ होमवर्क भी ख़त्म करना है. समय बिताने के लिए उनके पास ढेर सारे वीडियो हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/एम गोपालकृष्णन

संपादनः एस गौड़

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