माउंट एवरेस्ट से हटाया 8 टन कचरा
३ जून २०११![Bilder von dem Bergsteiger Zdravko Dejanovic, der neulich Mount Everest bestigen hat,](https://static.dw.com/image/5665976_800.webp)
1953 से अब तक एवरेस्ट पर चढ़ने की ख्वाहिश रखने वाले 250 पर्वतारोही मारे जा चुके हैं. इनमें से कई के शव आज भी एवरेस्ट और उसके रास्ते में बिखरे पड़े हैं. कड़ाके की ठंड की वजह से शव पत्थर की तरह ठोस हो चुके हैं. उन्हें नीचे लाना अकेले पर्वतारोही के बस की बात नहीं है.
लेकिन इन दुश्वारियों के बावजूद 29 नेपाली पर्वतारोहियों का दल 42 दिन तक एवरेस्ट की सफाई में जुटा रहा. याक की मदद से दल ने 8,110 किलोग्राम कूड़ा साफ किया. सफाई अभियान में याकों की भी मदद ली गई. कचरे को नीचे लाकर याकों की मदद से ढोया गया.
टीम की अगुवाई करने वाले पसांग शेरपा ने कहा, "हमसें से 19 लोग एवरेस्ट के बेस कैंप में काम कर रहे थे. हम रोज सात घंटे सफाई कर कचरे को नीचे लाते रहे. हर कोई अपने साथ कम से कम 30 किलोग्राम कूड़ा नीचे लाया." एवरेस्ट की तलहटी पर 75 याक और 65 कुलियों की मदद से कचरे को नामचा बाजार में भेजा गया.
विशेषज्ञों के मुताबिक एवरेस्ट में अब भी 50 टन कचरा है. एवरेस्ट सफाई अभियान 2008 से शुरू किया गया है. पिछले तीन सालों से एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाले पर्वतारोहियों को अपना और कुछ अतिरिक्त कूड़ा वापस लाने के लिए कहा जाता है. नेपाल में माउंट एवरेस्ट को सागरमाथा कहा जाता है.
रिपोर्ट: डीपीए/ओ सिंह
संपादन: ए कुमार