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माओवादियों ने एक सैलानी को रिहा किया

२५ मार्च २०१२

माओवादियों ने बंधक बनाए इटली के दो सैलानियों में से एक को छोड़ दिया है जबकि दूसरा सैलानी अभी भी उनकी गिरफ्त में ही है. विद्रोहियों ने क्लाउडियो कोलैन्जेलो को बिना कोई नुकसान पहुंचाए मीडियाकर्मियों के हवाले किया.

तस्वीर: Prabhakar Mani Tewari

क्लाउडियो कोलैंजेलो को कंधमाल जिले में छोड़ा गया. इसी महीने की 14 तारीख को उन्हें यहीं से अगवा किया गया था. कंधमाल के पुलिस सुपरिटेंडेंट जेएन पंकज ने बताया, "हमारे पास जानकारी है कि कोलैंजेलो को माओवादियों ने दारिंगबाड़ी के पास ताजिंगिया इलाके में रिहा किया." उड़ीसा के गृह सचिव यूएन बेहेरा ने कहा है कि रिहा होने के तुरंत बाद कोलैंजेलो ने उनसे फोन पर बात की. बेहेरा ने बताया, "कोलैंजेलो ने मुझे बताया कि वो आजाद हो गए हैं और ठीक हैं. उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा." इटली के दूसरे नागरिक और पुरी में ट्रैवल ऑपरेटर पाओलो बासुस्को अभी भी माओवादियों के कब्जे में हैं.

इटली के क्लाउडियो कोलैंजेलो ने बताया कि माओवादियों ने उन्हें ठीक से रखा और जितना संभव हो सका उन लोगों की खातिरदारी की. रिहा होने के बाद कोलैंजेलो ने वहां मौजूद मीडियाकर्मियों से कहा, "सबसे पहले मैं अपनी बीवी से बात करना चाहता हूं. उन्होंने हमें ठीक से रखा, मैं यहां की राजनीति में नहीं पड़ना चाहता और यह काम राजनेताओं पर छोड़ता हूं." कोलैंजेलो ने बताया कि वो और बासुस्को नदी में नहा रहे थे तभी चार लोग आए और उन्हें पकड़ कर अपने साथ ले गए.

तस्वीर: Prabhakar Mani Tewari

कोलैंजेलो ने पूरी घटना के अनुभव को 'डरावना' कहा और उम्मीद जताई की बासुस्को को भी जल्दी ही रिहा कर दिया जाएगा. बंधक रहने के दौरान माओवादी उन्हें जंगलो में घुमाते रहे और इस दौरान उन्हें भारी गर्मी के कारण काफी दिक्कत हुई. हालांकि माओवादियों ने उनके खाने पीने का बंदोबस्त किया और जब भी जरूरत हुई उनके सामने खाना हाजिर किया गया.

इटली के बंधकों को छुड़ाने के लिए सरकार और माओवादियों के बीच बातचीत पहले ही रुक चुकी है. एक दिन पहले विद्रोहियों ने सत्ताधारी पार्टी के एक विधायक को भी अगवा कर लिया. तेजी से बदल रहे घटनाक्रम ने सरकार की नींद उड़ा रखी है. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने दो मंत्रियों को इस मामले के हल के लिए प्रभावित इलाके में भेज दिया है. बंधकों को छोड़ने के बदले माओवादियों ने अपने साथियों के रिहाई, इलाके में सैलानियों के आने जाने पर रोक और विद्रोहियों के खिलाफ सुरक्षाबलों के अभियान को रोकने जैसी कई मांगें रखी है. सरकार ने बातचीत की पेशकश की है लेकिन अभी तक मध्यस्थों के नाम पर आखिरी फैसला नहीं हो सका है.

रिपोर्टः पीटीआई, एएफपी/एन रंजन

संपादनः एम गोपालकृष्णन

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